25 साल पुराने फैनचलो यहीं से शुरू करते हैं. कोच्चन बाद में भी हो सकता है. विमल के 25 साल पूरे, तुमको भी बहुत बहुत मुबारक. बात ये है कि अपन तुम्हारे जन्मजात फैन हैं. कोई हमसे पूछे कि तुम्हारा फेवरेट हीरो कौन है. ठांय से उसके मुंह पर फेंक कर तुम्हारा नाम मारते हैं. लेकिन इधर कुछ दिनों से तुम्हारा ओहदा कुछ और बढ़ गया है. आप में हमको सिर्फ हमारा फेवरेट हीरो ही नहीं दिखता. बल्कि एक फरिश्ते के दर्शन होते हैं. जिसकी पोस्टिंग यमराज ने धरती पर की है. ऐसा काहे है इसका किस्सा आगे. पहले तो ये सुनो हम फैन आपके किस दैवीय प्रेरणा से बने.तो साहब जब तुम्हारी वो फिलिम आई थी नाम था जिसका दिलजले. हम कोई 6-7 साल के थे. लखनऊ के लीला टॉकीज में देखे थे हम उसको. ससुरा बड़ा पइसा वाला पिच्चर तब नहीं आई थी. ये फिल्म दिखाने के बाद लीला टॉकीज भोजपुरी फिल्मों के नाम पट्टा हो गया. इस पिच्चर को देखने के बाद तुम और सोनाली बेंद्रे मेरे लाइफ टाइम फेवरेट हीरो हीरोइन बन गए. सिर्फ दो ही चेहरे याद थे सिनेमा के नाम पर.कच्चे धागे याद है तुम्हें? मुझे है. तब मैं छठी क्लास में था जब आई थी. क्या गज्जब मार मचाए थे यार. तुमको रेगिस्तान में घिसटता देख कर आंख में आंसू आ गए थे कसम से. फिर उसके बाद हम कुछ कुछ समझदार हुए. और तुम बुढ़ाने लगे. हल्ला बोल पिच्चर में आपकी डिप्रेसन के मरीज सी शकल देख कर जिउ सन्न से रह गया. हम कहे कि अचानक हमारा हीरो इत्ता कमजोर कैसे हो गया. फिर अपहरण में तुम ऑटो से किडनैपिंग कर रहे थे. हम तब भी तुम्हारे साथ थे. पता है मैं हमेशा अपने बाल बड़े होने का इंतजार करता हूं. ताकि उस फैंटेसी में वापस जा सकूं जहां तुम 20 साल पहले छोड़े थे.अब सुनो मतलब की बातलेकिन अब खेला बदल गया है बहादुर. आप हीरो होने के साथ ब्रांड एंबेसडर भी हैं. कई चीजों के. सही है भाई सब पइसा की रईसी है. कमाओ खाओ हमाई दुवा है. लेकिन यार तुम पान मसाला बेच रहे हो. मने अच्छी चीज होगी लेकिन उसके साथ झुट्ठई बड़ी है. एक तो तुम अपने दांत नहीं दिखाते हो. अगर खाते हो तो पता होगा कि उसके दाने दाने में केसर का दम तो हैए है. उससे ज्यादा तम्बाकू और कत्थे का दम है. जिसको दिन भर कूचते रहने के बाद दांत अजीब से हो जाते हैं. पहले पीले फिर लाल फिर भूरे और फिर एकदम करिया कुट्ट.हम जब पहली बार पान मसाला खाकर घर आए थे तो मुंडी घूम रही थी. उसके असर से घूमनी बंद हुई तो पापा ने चार लात दो मुक्के और आधा दर्जन कंटाप लगाए. उसकी वजह से मुंडी घूमी. तब से पान मसाला नहीं चखे. हो सकता है हम आप जैसे बहादुर न हों. पर पापा की बात मानना सही लगा. आपकी बेटी न्यासा भी पापा की बात मानती होगी. अगर वो सुबह उठ कर मंजन कुल्ला करने से पहले पुड़िया मुंह में डाल ले. और पूंछे "पापा कहां इत्ते ठुबे ठुबे चल्लहे हो, कहां ठूटिंग है". थोड़ा अजीब लगेगा न. और पान मसाला खाने के बाद आपको काजोल घर में घुसने नहीं देंगी. बालकनी के कोनों और बाथरूम में लाल कलर की सुपारी मिली वालपुट्टी वो बर्दाश्त करेंगी, इसमें मुझे शक है.अच्छा अपनी फिल्में देखने कभी आप खुद मल्टीप्लेक्स में जाते हो? वो लोग पिच्चर शुरू होने से पहले एक बड़ा बोरिंग सा ऐड दिखाते हैं. उसका एक एक डायलॉग रटे बैठे हैं लोग. उसमें एक भूतपूर्व लड़का होता है. कहता है 'मेरा नाम मुकेश है'. इसके बाद का तो याद ही होगा. और जो लौंडे दिन भर में 50 की कमाई में 150 की पुड़िया फांक जाते हैं. उनका तो कोई ऐड भी नहीं बनता. वो धंधे में हेराफेरी करते हैं. घर में पैसे चुराते हैं. बर्तन बेचते हैं. उस पैसे से पहले पान मसाला खाते हैं. फिर पापा की धुनक धुन लातें.अच्छा आप न ये एक सस्पेंस क्लियर कर दो प्लीज. कि विमल पान मसाले वाले और कित्ते साल अपने 25 साल पूरे होने का जश्न मनाएंगे. और इस बार विमल वालों से आपकी बात हो तो मेरा एक मैसेज पास कर देना प्लीज. कि आप तो विमल बेचने के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हो. लेकिन खाने वाले नहीं मना रहे. क्योंकि उनमें से ज्यादातर 25 साल के पहिले ही कट लिए होंगे. इस असार संसार से.