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अर्जुन ने तीर मारकर, घोड़ों के लिए बना दी मिनरल वाटर वाली झील

अर्जुन के पास टास्क था जयद्रथ वध का, लेकिन उसी टाइम उनके घोड़ों पर आ गई आफत. फिर क्या हुआ?

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Source- Epified
बात उस वक्त की है जब महाभारत की लड़ाई चल रही थी. संजय, कौरवों के पप्पा को युद्ध का लाइव टेलीकास्ट सुना रहे थे. सीन में अर्जुन और कृष्ण, जयद्रथ का पीछा कर रहे थे. रथ पर सवार अर्जुन रणभूमि के चक्कर लगा रहे थे. और जयद्रथ के चेला-चपाटियों का कचूमर बना रहे थे. मैजिकल रथ था. जिस-जिस ओर जाता उहां की धरती में क्रैक पड़ जाता. इसी बीच उनके घोड़ों को लग गई जबर वाली भूख-प्यास. ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे. घोड़ों के लंच के बारे में अर्जुन सोच ही रहे थे कि अवन्ति देश के दो राजकुमारों ने उन पर अटैक कर दिया. उन्होंने अर्जुन को 64, कृष्ण को 70 और उनके घोड़ों को 100 तीर मार कर जख्मी कर दिया. लेकिन अर्जुन ने केवल 9 तीरों से उनका काम तमाम कर दिया. दोनों को मरा देख उनकी बाकी टीम अर्जुन की ओर लपकी. पर उन्होंने उन सब को भी धूल चटा दी. इतने में अर्जुन को ख्याल आया की उनके घोड़ों के लिए लंच का भी अरेंजमेंट करना है. उन्होंने कृष्ण से कहा कि वो घोड़ों को लेकर यहां से जाए. उनके घाव साफ कर दें. कृष्ण ने अर्जुन की बात मान ली. अर्जुन पड़ गए अकेले. उनको अकेला देख सामने की सेना ने उनको घेर लिया. और खूब सारे तीर मारे. पर अर्जुन रजनीकांत से कम थोड़े थे. सबको रोक लिया. उधर घोड़ों की तबीयत बिगड़ रही थी. प्यास से गला सूख रहा था. कृष्ण लपके से अर्जुन के पास आए और बोले कि घोड़ों के लिए पीने का पानी यहां आस-पास नहीं है. मिनरल वाटर का इंतजाम करना पड़ेगा. अर्जुन ने फौरन तीर को कमान पर चढ़ाया और जमीन में तीर मार बिसलरी वाली झील बना दी. जिसे देखने के लिए फिर बड्डे-बड्डे मुनि आए. नारद भी आए थे.

साथ ही बाणों से एक घर भी बनाया. कृष्ण ने तुरंत घोड़ों को इस घर में ले गए. इलाज किया और उन सेवा की. वो फिर से हेल्दी हो गए. कृष्ण ने उनको फिर से रथ में जोता और निकल पड़े रणभूमि में. वो इतने फास्ट एंड फ्यूरियस हो गए सेना को पता भी नहीं चला कि वो कब निकल गए. कौरव के सेना वाले लगे अपने आप को खरी-खोटी सुनाने. कि हम उनका कुछ भी नहीं कर पाए. जब ऐसी बातें सेना में हो रही थी, अपने सूरज मामू सोने का मूड बना रहे थे. अगर वो झपकी लेने निकल पड़ते तो युद्ध रोकना पड़ता. इसलिए अर्जुन फास्टली-फास्टली जयद्रथ की ओर बढ़ रहे थे ताकि उसका गेम बजा सके. पर ऐसा हो नहीं पाया. क्योंकि सूरज मामू ने सबको गुडनाइट बोल दिया था. जयद्रथ कैसे मरा, उसकी कहानी बाद में बताएंगे.

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स्त्रोत - संक्षिप्त महाभारत, गीताप्रेस, गोरखपुर

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