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PM मोदी के शपथ ग्रहण में शामिल होगे विक्रमसिंघे, उससे पहले श्रीलंका का इतिहास-भूगोल जान लीजिए!

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वाले हैं. तो एक नज़र डालते हैं श्रीलंका और भारत के रिश्तों पर.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वाले हैं. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. इस समारोह में बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, और भूटान जैसे पड़ोसी देश के बड़े नेता शामिल होंगे. मेहमानों की लिस्ट में श्रीलंका का भी नाम शामिल है. श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने वाले हैं. तो एक नज़र डालते हैं श्रीलंका और भारत के रिश्तों पर. एक-दूसरे के लिए कितने जरूरी है दोनों देश. 

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नक्शे पर कहां है श्रीलंका?

श्रीलंका हिंद महासागर में बसा एक द्वीपीय देश है. चारों तरफ से समंदर से घिरा हुआ. किसी भी देश से उसकी ज़मीनी सीमा नहीं लगती. सबसे क़रीब में भारत है. भारत से श्रीलंका की न्यूनतम दूरी लगभग 55 किलोमीटर है. दोनों देशों को पाल्क स्ट्रेट एक-दूसरे से अलग करती है. श्रीलंका 1948 में ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ. तब इसको सीलोन के नाम से जाना जाता था. 1972 में नाम बदलकर श्रीलंका कर दिया गया.

मुल्क की आबादी 02 करोड़ 25 लाख है. 70 फीसदी लोग बौद्ध हैं. तकरीबन 13 फीसदी हिंदू हैं, 10 फीसदी मुस्लिम और 07 फीसदी ईसाई हैं. श्रीलंका की दो राजधानियां हैं - कोलम्बो और श्रीजयवर्धनपुरा. दूसरे बड़े शहर हैं - गाले, हम्बनटोटा, केंडी, जाफ़ना, दाम्बुला आदि.

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पॉलिटिकल सिस्टम

श्रीलंका एक लोकतांत्रिक गणराज्य है. शक्तियों का विभाजन सरकार के तीन अंगों के बीच हुआ है - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका. कार्यपालिका की कमान राष्ट्रपति के पास है. राष्ट्रपति की शक्तियों की बात करें तो.
- वो राष्ट्र और सरकार के मुखिया होते हैं.
- सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर हैं.
- मंत्रिमंडल की चाबी भी उन्हीं के पास होती है.
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति भी राष्ट्रपति ही करते हैं.
- राष्ट्रपति के पास संसद आहूत करने और भंग करने का अधिकार भी होता है. हालांकि, उनके फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.
- पद पर रहते हुए उनके ऊपर मुकदमा नहीं चल सकता.
- राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच बरस का होता है.

विधायिका की कमान संसद के पास होती है. श्रीलंका की संसद में सिर्फ़ एक सदन है. कुल सदस्यों की संख्या 225 है. संसद के पास कानून बनाने की शक्ति है. संसद में प्रधानमंत्री सत्ताधारी पार्टी को लीड करते हैं. न्यायपालिका की कमान सुप्रीम कोर्ट के पास है. ये श्रीलंका की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है.

श्रीलंका का इतिहास

श्रीलंका का यूरोप से कनेक्शन 16वीं सदी की शुरुआत में हुआ. उससे पहले वहां भारत, चीन और मिडिल-ईस्ट के देश कदम रख चुके थे. श्रीलंका की भाषा और रहन-सहन पर सबसे बड़ा प्रभाव भारत का पड़ा. 1498 ईसवी में पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा भारत के तट पर उतरा. वो भारत पहुंचने वाला पहला यूरोपियन था. पुर्तगाल ने भारत में अपनी कॉलोनी बसाई. 1505 में पहला गवर्नर नियुक्त किया. उसका नाम था, फ्रांसिस्को डि अल्मीडा. अल्मीडा ने अपने बेटे लॉरेंसो को मालदीव भेजा. इसी यात्रा के दौरान वो श्रीलंका के तट पर उतरा. उस समय श्रीलंका अलग-अलग साम्राज्यों में बंटा हुआ था. हर कोई एक-दूसरे के खिलाफ था. पुर्तगाल को अवसर दिखाई दिया. उसने कोलम्बो में अपने उपनिवेश की बुनियाद रख दी. ये श्रीलंका में औपनिवेशिक शासन की शुरुआत थी. पुर्तगालियों के बाद डच आए. 1658 में उनका शासन शुरू हुआ. हालांकि, केंडी उनकी पहुंच से दूर रहा. 1796 में ब्रिटेन ने कब्जा करना शुरू किया. 1815 आते-आते केंडी पर भी उनका नियंत्रण हो चुका था.  उन्होंने सीलोन में चाय, कॉफी और नारियल की खेती शुरू करवाई. फिर साउथ इंडिया से तमिल कामगारों को लेकर आए. 1833 में पूरा श्रीलंका ब्रिटेन के नियंत्रण में आ चुका था.

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1931 में ब्रिटिशर्स बहुसंख्यक सिंहलियों के साथ पॉवर शेयर करने के लिए राज़ी हो गए. उन्होंने स्थानीय लोगों को वोटिंग का अधिकार भी दिया. ब्रिटेन का शासन 1948 तक चला. 04 फ़रवरी 1948 को श्रीलंका आजाद हो गया. हालांकि, वो तब भी ब्रिटेन का डोमिनियन बना रहा. यानी, आजादी के बाद भी हेड ऑफ द स्टेट की कुर्सी पर ब्रिटिश क्राउन ही बैठता रहा. मई 1972 में सीलोन ने डोमिनियन स्टेटस ख़त्म करने का फ़ैसला किया.

आज़ादी के बाद सत्ता बहुसंख्यक सिंहली लोगों के पास आई. इस बीच तमिल कामगारों की ज़िंदगी मुश्किल होने लगी. उनको नागरिकता और दूसरे बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जाने लगा. इसके चलते दंगे भड़के. 1976 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE या लिट्टे) की स्थापना हुई. वे अलग तमिल देश की मांग कर रहे थे. लिट्टे ने श्रीलंका सरकार के ख़िलाफ़ जंग छेड़ी. आगे चलकर ये सिविल वॉर में बदल गया. सिविल वॉर 2009 तक चला. तब श्रीलंकाई सेना ने लिट्टे को हरा दिया. फिलहाल, श्रीलंका सिविल वॉर में हुए नुकसान और आर्थिक और राजनैतिक संकट से उबरने की कोशिश कर रहा है.

पैसे वाली बात

श्रीलंका की करेंसी का नाम श्रीलंकाई रुपया है. भारत श्रीलंका में बड़े पैमाने पर निवेश करता है. भारत का ज्यादातर निवेश पेट्रोलियम, पर्यटन, विनिर्माण, रियल एस्टेट, दूरसंचार, बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ शामिल है.

सरकार की कमान 

फिलहाल श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे की सरकार है.

- रानिल विक्रमसिंघे का जन्म श्रीलंका की आज़ादी के एक साल बाद हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वकील के तौर पर की थी. 1970 के दशक में वो राजनीति में आए. 1977 में उन्हें पहली बार सांसद चुना गया.
- विक्रमसिंघे को राजनीति विरासत में मिली थी. उनके चाचा जूनियस जयवर्दना 1978 से 1979 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे. जयवर्दना ही वो नेता थे, जिन्होंने संविधान बदलकर राष्ट्रपति के पद को प्रधानमंत्री से अधिक ताक़तवर बनाया.
- विक्रमसिंघे के परिवार का अपना अख़बार था. 1973 में श्रीलंका सरकार ने उनकी कंपनी का राष्ट्रीयकरण कर दिया. विक्रमसिंघे पत्रकारिता में अपना करियर बनाना चाहते थे. राष्ट्रीयकरण के बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया.
- विक्रमसिंघे की पार्टी का नाम है, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP). ये पार्टी श्रीलंका की आज़ादी के 74 में से 38 सालों तक सरकार का हिस्सा रही है. इस पार्टी ने अभी तक श्रीलंका को चार राष्ट्रपति और छह प्रधानमंत्री दिए हैं.
- विक्रमसिंघे दो बार राष्ट्रपति चुनाव हार चुके हैं. 1999 में चंद्रिका कुमारतुंगा से और 2005 में महिंदा राजपक्षा से.
- जहां तक प्रधानमंत्री पद की बात है, विक्रमसिंघे 1993 में पहली बार पीएम बनाए गए थे. आखिरी बार उन्हें मई 2022 में प्रधानमंत्री बनाया गया था. महिंदा राजपक्षा के इस्तीफे के बाद.
- इस समय विक्रमसिंघे की UNP के पास संसद में सिर्फ एक सीट है. ख़ुद उनकी. श्रीलंका के संसदीय चुनाव में 196 सीटों पर सीधे चुनाव होता है. जबकि 29 सीटों के सांसद पार्टियों को हासिल वोटों के आधार पर तय किए जाते हैं. 2020 के संसदीय चुनाव में विक्रमसिंघे हार गए थे. डायरेक्ट वोटिंग में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी. फिर नेशनल लिस्ट में UNP को एक सीट दी गई. तब पार्टी की तरफ़ से उन्हें सांसद बनाकर भेजा गया था.

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सामरिक रिश्ते और प्रोजेक्ट

भारत-श्रीलंका का सबसे बड़ा हितैषी देश है. भारत मदद करने को हमेशा तैयार रहता है. भारत, श्रीलंका के आर्थिक संकट के बीच साल 2022 में 37.9 करोड़ डॉलर का  कर्ज दिया था. 2022 के बाद से अब तक भारत 4.5 बिलियन डॉलर से अधिक सहायता दे चुका है. भारत की तरफ से कई निवेश भी स्थापित किए गए है. इसमें प्रमुख रूप से विद्युत परियोजना, बंदरगाह का निर्माण और रिफाइनरी तेल जैसी परियोजना शामिल है. 2022 में अडानी ग्रीन एनर्जी परियोजना की शुरुआत की गई है. पिछले वर्ष 2023 में डेयरी सुविधा बढ़ाने के लिए अमूल डेयरी कंपनी का निवेश किया गया था. फरवरी 2024 में भारतीय आवास परियोजना के तहत श्रीलंका में 10,000 घरों का निर्माण किया जाएगा.  

 

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