गुरुवार, 30 मई की दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली से तिरुवनंतपुरम के लिए रुख़्सत हुए, फिर वहां से कन्याकुमारी पहुंचे. चुनावी रैली के लिए नहीं, ध्यान करने के लिए. प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु के कन्याकुमारी में बने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में 48 घंटे का ध्यान करेंगे. जिस ध्यान मंडपम में प्रधानमंत्री मोदी ध्यान करे रहे हैं, स्वामी विवेकानंद ने भी वहीं ध्यान किया था, साल 1892 में.
पीएम मोदी ने ध्यान लगाने के लिए विवेकानंद रॉक मेमोरियल को ही क्यों चुना?
कन्याकुमारी के समुद्री तट पर श्री भगवती अम्मन मंदिर में पूजा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई की शाम अपना 45 घंटे का ध्यान शुरू कर दिया है. जिस ध्यान मंडपम में प्रधानमंत्री मोदी ध्यान कर रहे हैं, स्वामी विवेकानंद ने भी वहीं ध्यान किया था. साल 1892 में.

कन्याकुमारी के समुद्री तट पर श्री भगवती अम्मन मंदिर में पूजा के बाद प्रधानमंत्री ने 30 मई की शाम अपना 48 घंटे का ध्यान शुरू कर दिया है.
छूट लेकर इसमें एक पैटर्न खोजा जा सकता है. साल 2019 और उससे पहले, 2014 में भी लोकसभा चुनाव के सारे चरण निपटने के बाद प्रधानमंत्री ध्यान-मग्न हुए थे. 2014 में PM मोदी ने महाराष्ट्र के प्रतापगढ़ का दौरा किया और छत्रपति शिवाजी को श्रद्धांजलि दी थी. पिछले चुनाव नतीजों से ठीक पहले उत्तराखंड के केदारनाथ में एक गुफ़ा में उनके तल्लीन होने की ख़ूब तस्वीरें आई थीं.
विवेकानंद रॉक मेमोरियल एक लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट है. कन्याकुमारी के वावथुरई गांव से लगभग 500 मीटर दूर समुद्र में एक बड़ी चट्टान पर स्थित है. एक तरफ़ से अरब सागर, दूसरी तरफ़ बंगाल की खाड़ी और तीसरी ओर से हिंद महासागर से घिरा हुआ है.
दो मुख्य स्ट्रक्चर हैं - विवेकानंद मंडपम, जिसमें स्वामी विवेकानंद की एक बड़ी-सी कांस्य की मूर्ति है. दूसरा, श्रीपद मंडपम. इसमें कन्याकुमारी देवी के पदचिह्न हैं. ‘ध्यान मंडपम’ के नाम से एक ध्यान कक्ष भी है. धार्मिक लोगों के लिए इस जगह का बहुत गहरा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है. मंडप के डिज़ाइन में पूरे भारत की मंदिर वास्तुकला की अलग-अलग शैलियों को शामिल किया गया है.

साल 1892 के दिसंबर में 24, 25 और 26 तारीख़ को स्वामी विवेकानंद यहां आए थे. ध्यान और ज्ञान प्राप्ति के लिए. उनके शिष्यों का मानना है कि चार सालों तक भारत के कोने-कोने में घूमने के बाद विवेकानंद को अंततः कन्याकुमारी में अपना दर्शन मिला. उन्होंने वहां तीन दिन और तीन रात ध्यान किया, और ज्ञान प्राप्त किया. इसी को चिह्नित करने के लिए 1963 में स्वामी विवेकानंद की जन्म शताब्दी पर RSS कार्यकर्ता एकनाथ रानाडे के नेतृत्व में विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने ये मेमोरियल बनवाया था. चट्टान पर स्मारक का औपचारिक उद्घाटन 1970 में राष्ट्रपति वीवी गिरि ने किया था.
अलग-अलग मीडिया रपटों में ये छपा है कि नरेंद्र मोदी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं. स्वामी विवेकानंद के आध्यात्मिक और परोपकारी संगठन 'रामकृष्ण मिशन' के सदस्य भी रहे हैं. पिछले साल रामकृष्ण मिशन की 125वीं वर्षगांठ के मौक़े पर उन्होंने अपने भाषण में कहा था,
स्वामी विवेकानंद के पास भारत के बारे में एक भव्य दृष्टिकोण था और मुझे यकीन है कि वो गर्व के साथ भारत को इस दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में काम करते हुए देख रहे हैं.
प्रधानमंत्री की एक तस्वीर भी शेयर हो रही है. 33 साल पुरानी, कन्याकुमारी की एक तस्वीर. X पर एक पेज है, मोदी आर्काइव. उन्होंने नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वो विवेकानंद की एक बड़ी मूर्ति के सामने खड़े हैं. साथ में लिखा है,
33 साल पहले कन्याकुमारी में प्रतिष्ठित विवेकानंद रॉक मेमोरियल से विशाल राष्ट्रव्यापी एकता यात्रा शुरू हुई थी, जो कश्मीर तक फैली थी. डॉ. मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी सहित सभी एकता यात्रियों ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा की परिक्रमा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी.
कुछ ने इस चयन को राजनीति से भी जोड़ा. भारतीय जनता पार्टी के मिशन साउथ से जोड़ा. कुल 543 लोकसभा सीटों में से 131 सीटें पांच दक्षिणी राज्यों - केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में हैं. अकेले तमिलनाडु में 39 सीटें. प्रधानमंत्री ने बीते तीन सालों में दक्षिणी राज्यों के ख़ूब दौरे किए. अकेले 2024 में तमिलनाडु की सात यात्राएं कीं. इसीलिए दो का दो चार करने वालों ने इसके भी राजनीतिक निहितार्थ निकाले हैं.
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PM मोदी लोकसभा चुनावों के लिए अपने प्रचार भाषणों के दौरान तमिल संस्कृति और भाषा को बढ़ावा दे रहे हैं. राज्य में 19 अप्रैल को ही मतदान हो गए थे. उससे पहले प्रधानमंत्री ने श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर और कोथंडारामस्वामी मंदिर सहित कई मंदिरों का दौरा भी किया था. साल 2026 में
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