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2 करोड़ प्रति किलो बिकने वाले 'म्याऊं-म्याऊं' ड्रग के बारे में जान लीजिए

पिछले तीन-चार सालों में Mephedrone की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई है. वर्तमान में Meow Meow drug की कीमत 20 हजार रुपये प्रतिग्राम यानी लगभग 2 करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम बताई जाती है.

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1 किलो Mephedrone की कीमत 2 करोड़ रुपए बताई जा रही है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

पुलिस ने पुणे और नई दिल्ली में दो दिनों तक एक बड़ा ऑपरेशन चलाया. छापे मारे. इस छापेमारी में पुलिस को क्या मिला? 1700 किलोग्राम ‘म्याऊं-म्याऊं’. जिसकी अनुमानित कीमत 3000 करोड़ रुपये से भी अधिक है. ‘म्याऊं-म्याऊं’ (Meow Meow) सुनकर अगर आप किसी बिल्ली या बिल्ली की आवाज की कल्पना कर रहे हैं तो रुक जाइए. यहां बिल्लियों से जुड़ी बात नहीं हो रही. पुलिस ने जो ‘म्याऊं-म्याऊं’ जब्त किया है वो एक प्रतिबंधित ड्रग्स (Banned Drugs) है. माने नशीला पदार्थ. विस्तार से जानेंगे इस ड्रग के बारे में.

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‘म्याऊं-म्याऊं’ तो प्रचलित नाम है. स्मगलर्स कोड नेम के तौर पर भी इस नाम का इस्तेमाल करते हैं. वैसे इसका असली नाम है- मेफेड्रोन (Mephedrone). इसको ड्रोन, एम-कैट, वाइट मैजिक और बबल जैसे नामों से भी जाना जाता है. नशे के मामले में कोकीन और हेरोइन के बराबर. लेकिन दाम में इनसे सस्ता. ऐसा जानकार बताते हैं. 

भारत और चीन में इसे पौधों के लिए सिंथेटिक खाद के तौर पर बनाया जाता है. लेकिन बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर भी किया जाता है. 2010 की शुरुआत तक ‘म्याऊं-म्याऊं’ को भारत में NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल नहीं किया गया था. लेकिन फिर देशभर से बड़ी मात्रा में इसकी जब्ती होने लगी. बड़े शहरों में मादक पदार्थ के तौर पर इसके खपत की खबरें आने लगीं. मुंबई से सबसे ज्यादा मामले आए. फिर धीरे-धीरे इस ड्रग ने दिल्ली में पांव पसारना शुरू कर दिया. जिसके बाद मार्च 2015 में महाराष्ट्र सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने इसे प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल कर दिया.

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इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘म्याऊं-म्याऊं’ भारत के अलावा दुनिया के 53 और देशों में भी बैन है. सबसे पहले 2008 में इसे इजरायल ने बैन किया. इसके बाद 2010 में ब्रिटेन और 2011 में अमेरिका ने इस पर प्रतिबंध लगाया.

इंटरनेट पर बिकने लगा था ‘Meow-Meow’

यूरोपीय जैव सूचना विज्ञान संस्थान (EMBL-EBI) की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार, मेफेड्रोन को पहली बार 1929 में संश्लेषित किया गया था. आसान शब्दों में 1929 में पहली बार इसे बनाया गया था. 1999-2000 तक इसकी बहुत ज्यादा चर्चा नहीं हुई. उस समय तक कई देशों में इसका उत्पादन और स्वामित्व कानूनी था. मतलब इस ड्रग को अपने पास रखना या इसका उत्पादन करना कोई अपराध नहीं था. लेकिन फिर साल 2000 में पता चला कि इसको इंटरनेट के जरिए बेचा जा रहा है.

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2008 तक मेफेड्रोन प्रवर्तन एजेंसियों की नजर में आ गया था. 2010 तक यूरोप के अधिकांश हिस्सों से इसके इस्तेमाल और व्यापार की खबरें आने लगीं. दिसंबर 2010 में यूरोपियन यूनियन (EU) ने इसे बैन कर दिया. इसके बाद दुनिया भर के देशों में इसे बैन करने का सिलसिला शुरू हुआ.

2 करोड़ रुपये में एक किलो Mephedrone

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन-चार सालों में मेफेड्रोन के प्रति ग्राम की कीमत में तेजी से वृद्धि हुई है. 2021 में अवैध बाजार में एक ग्राम ‘म्याऊं-म्याऊं’ की कीमत 9 हजार रुपये थी. जो 2022 में बढ़कर 15 हजार रुपये प्रतिग्राम तक पहुंच गई. वर्तमान में इसकी कीमत 20 हजार रुपये प्रतिग्राम यानी लगभग 2 करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम बताई जाती है. बढ़ती कीमत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस ड्रग की मांग भी बढ़ रही है. और इसकी कीमत क्वालिटी पर भी निर्भर है. 

स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह

मेफेड्रोन कैप्सूल, टैबलेट या सफेद पाउडर के रूप में हो सकता है. इसका नशा करने वाले इसको निगल जाते हैं, कुछ सूंघ लेते हैं, कुछ इंजेक्शन लगाते हैं तो कुछ इसका धुआं खींचते हैं.

नुकसान क्या है? वही जो किसी भी नशीली चीज से होता है. पहला नुकसान तो यही कि इसका नशा हो जाता है. मतलब कि शरीर अगली बार पहले से ज्यादा डोज मांगता है. जैसे-जैसे डोज बढ़ता है वैसे-वैसे नुकसान भी बढ़ता जाता है. डोज बहुत ज्यादा होने पर डिप्रेशन की भी शिकायत आ सकती है. कुछ मामलों में ये भी देखा गया है कि इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अचानक आक्रामक हो जाते हैं.

यूरोपियन मॉनिटरिंग सेंटर फॉर ड्रग्स एंड ड्रग एडिक्शन (EMCDDA) के मुताबिक, इसको सूंघने पर नाक से खून आ सकता है. साथ ही नाक में जलन भी हो सकती है. इसके अलावा, आंखों की पुतलियां खराब हो सकती हैं, ध्यान एकाग्र करने में दिक्कतें आ सकती हैं और याद रखने की शक्ति भी कमजोर हो सकती है.

2008 में स्टॉकहोम में एक 18 वर्षीय स्वीडिश महिला की इस मेफेड्रोन से मौत हो गई थी. महिला को पहले शरीर में ऐंठन महसूस हुआ और फिर चेहरा नीला पड़ गया. इसके बाद वो बेहोश हो गईं. लक्षणों की शुरुआत के डेढ़ दिन बाद महिला की मौत हो गई. पोस्टमार्टम में पता चला कि उनके मस्तिष्क में गंभीर सूजन आ गई थी.

आखिर में हमने ये जानकारी आपको सिर्फ इसलिए दी ताकि आप इसके नुकसान को समझ पाएं. बाकी जो नहीं समझ पा रहे हैं उनके लिए पुलिस है. 

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