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कोरोना के बाद तेजी से फैल रही ये बीमारी!

खसरे को लेकर WHO ने जारी की चेतावनी

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बच्चे को खसरे का टीका देते हुए हेल्थ वर्कर (फोटो: पीटीआई)

आज की बड़ी खबर का मुद्दा समझने के लिए भारत से करीब 7 हजार किलोमीटर दूर ज़िम्बाब्वे चलिए. साल 2022 की शुरुआत के तीन महीने बीत चुके थे. अप्रैल का महीना शुरू ही हुआ था कि ज़िम्बाब्वे में एक बीमारी के चलते बच्चों की मौत की ख़बरें सामने आने लगीं. अक्टूबर का महीना आते-आते बच्चों की मौत का आंकड़ा 750 के पार जा चुका था. हालात बदतर होने पर जोर शोर से बीमारी से बचने के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया गया लेकिन हालात अभी पूरी तरह ठीक नहीं हुए हैं. जिम्बाब्वे में जिस बीमारी ने सैकड़ों बच्चों की जान ली उसे खसरा या measles कहते हैं. अब इस बीमारी का प्रकोप भारत में भी दिखने लगा है.

ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत पूरी दुनिया में लोगों की जानें जा रही थीं. भारत कोरोना की त्रासदी से उबर ही रहा था कि मंकीपॉक्स, टोमैटो फीवर, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां लोगों को अपना शिकार बनाने लगीं. जानलेवा बीमारियों की इस फेहरिस्त में अब खसरा भी तेजी से उपर चढ़ रहा है. हाल के ही दिनों में केरल, महाराष्ट्र, गुजरात और झारखंड राज्यों से खसरे के कई मामले सामने आए. इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रकोप मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में देखा जा रहा है. पिछले 2 महीनों में मुंबई में 250 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. कल 24 नवंबर को मुंबई के गोवंडी में खसरे के चलते 8 महीने के एक बच्चे ने दम तोड़ दिया. खबर लिखे जाने तक अकेले मुंबई में खसरे से होने वाली मौत का आंकड़ा 13 तक पहुंच गया है.

खसरा क्या है?

इस पर रीवा मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग के डॉ दीपक द्विवेदी बताते हैं कि खसरा एक ऐसी बिमरी है जिसमें बुखार के साथ शरीर में दाने हो जाते हैं. इस प्रभाव से जुकाम-खांसी के साथ-साथ व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है. डॉ दीपक का कहना है कि ये इतनी गंभीर बीमारी नहीं है और करीब एक हफ्ते में ठीक हो जाती है. छोटे बच्चों को खसरा इसलिए होता है क्योंकि उनके शरीर में इसके खिलाफ इम्यूनिटी नहीं होती. इस बार खसरा होने के बाद शरीर में इम्यूनिटी बन जाती है.

डॉक्टर की बात सुनकर आपको अंदाजा हो गया होगा कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है. इस बीमारी का असली खतरा तब और पुख्ता हुआ जब 23 नवंबर को इस मसले पर  विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी W.H.O और अमेरिका की Centers for Disease Control and Prevention की साझा रिपोर्ट जारी हुई. जिसमें ये बात सामने आई कि खसरे का खतरा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सामने मुंह बाए खड़ा है. रिपोर्ट में दावा किया गया है-

- साल 2021 में दुनिया के 22 देशों में खसरे का प्रकोप देखने को मिला
- साल 2021 में खसरे के करीब 90 लाख मामले सामने आए
- पिछले साल 1 लाख 28 हजार मौत हुईं

WHO की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि साल 2021 में पूरी दुनिया में करीब चार करोड़ बच्चों को खसरे के खिलाफ दिए जाने वाले टीके की खुराक नहीं मिली है. ढाई करोड़ बच्चों को पहली खुराक ही नहीं मिली जबकि 1 करोड़ 47 लाख बच्चों ने अपनी दूसरी खुराक मिस कर दी. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद दुनियाभर में खसरे के टीकाकरण में गिरावट दर्ज की गई है. इस मुद्दे पर W.H.O के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम ने कहा है कि

''COVID-19 के खिलाफ टीके रिकॉर्ड समय में विकसित किए गए थे और इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में तैनात किए गए थे, लेकिन इस दौरान नियमित टीकाकरण कार्यक्रम बुरी तरह से बाधित हो गए. लाखों बच्चे खसरे की तरह घातक बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण से चूक गए. टीकाकरण कार्यक्रमों को वापस लाना बेहद ज़रूरी है.''

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीनेशन के काम में तेजी लाने पर जोर दिया है. वैक्सीन इस बीमारी को रोकने में किस हद तक कारगार है और इसे लेने की प्रोसेस क्या है इसके बारे में डॉ दीपक बताते हैं कि खसरा का टीका बच्चों को दो डोज़ में लगाया जाता है. पहली डोज़  9 महीने की उम्र में और दूसरी डोज़ 15 महीने की उम्र में लगाई जाती है.

फिलहाल भारत में खसरे के मामलों को बढ़ता देख केंद्र सरकार हरकत में आई है. केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी करते हुए कुछ राज्यों को अलर्ट रहने की सलाह दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में संवेदनशील इलाकों में रह रहे 9 महीने से 5 साल तक के सभी बच्चों को खसरे के टीके की एक्सट्रा डोज़ देने पर विचार करने को कहा है. इसके अलावा महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात और केरल में स्पेशल टीम की तैनाती की है जो इन राज्यों में खसरे के बढ़ते मामले और उससे बचाव के लिए काम करेगी.

जैसा कि हमने आपको शुरू में बताया था कि फिलवक्त भारत में खसरे के सबसे ज्यादा मामले मुंबई से आ रहे हैं. पिछले 2 महीनों में आंकड़ा 250 के पार है और यही आंकड़े चिंता का विषय है क्योंकि ये पिछले कुछ सालों के मुकाबले काफी आगे निकल गए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक

- मुंबई में साल 2019 में खसरे के 37 मामले और 3 मौत दर्ज हुईं
- साल 2020 में 29 मामले सामने आए. एक भी मौत दर्ज नहीं हुई
- साल 2021 में 10 मामले और 1 मौत रिपोर्ट की गई

मुंबई के धारावी, गोवंडी, कुर्ला, माहिम, बांद्रा और माटुंगा जैसे इलाके खसरे के हॉटस्पॉट के तौर पर उभरे हैं. खसरे से निपटने के लिए बीएमसी घर-घर जाकर लोगों को टीकाकरण के लिए जागरुक कर रही है. इसके अलावा मुंबई में और क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं इसके बारे में डॉक्टर मंगला गोमरे बताती हैं कि हेल्थ विभाग की टीमें ग्राउंड पर काम कर रही हैं और खसरे से पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है.   उन्होंने बताया कि बीएमसी

खसरे की चपेट में आने पर क्या किया जाना चाहिए? इसके इलाज को लेकर डॉक्टरो का कहना है कि खसरे के इलाज के दौरान खांसी और बुखार की दवाइयां दी जाती हैं. अगर खुजली होती है तो उसके लिए लोशन लगाए जाते हैं. खसरा एक संक्रामक बीमारी है. इससे बचने के लिए एहतियात उठाना बेहद ज़रूरी है. बाकी इंसानों ने कई महामारियों का सामना किया है. पिछली चुनौतियों की तरह हम इससे भी पार पा ही लेंगे. 

वीडियो: कोरोना और डेंगू के बाद किस बीमारी से दुनिया डरी?