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सरकार आपसे कहां-कहां टैक्स लेती है जान लीजिए, ITR भरने में काम आएगा

रोड टैक्स देने के बावजूद टोल टैक्स क्यों लगता है? ये पढ़ कर जान जाएंगे.

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सरकार क्या-क्या टैक्स लेती है (सांकेतिक तस्वीर)

सरकार टैक्स बहुत लेती है. ऐसा कहा जाता है. लेकिन, एक आम आदमी अपने रोज़मर्रा के जीवन में कहां-कहां क्या-क्या टैक्स देता है, ये बहुत कम लोगों को मालूम है. तो आज जान ही लीजिए कि आपकी मेहनत का पैसा कहां-कहां जाता है?

1. डायरेक्ट टैक्स

वो टैक्स जो किसी व्यक्ति या संगठन से सीधे सरकार के पास जाता है.

इसमें आता है:

# इनकम टैक्स - जैसी इनकम यानी कमाई, वैसा टैक्स. हिंदी में कहते हैं आयकर. मतलब किसी भी बिज़नेस या व्यक्ति से उसकी आय के हिसाब से लिया गया टैक्स. कितनी आय पर कितना टैक्स लगेगा, उसी हिसाब से स्लैब बंटे हुए हैं. उसका बेसिक ढांचा है:

अगर पूरा तिया-पांचा पढ़ना है, तो यहां क्लिक करें.

# कैपिटल गेन्स टैक्स - कैपिटल गेन को कहेंगे पूंजीगत लाभ. किसी पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से जो मुनाफ़ा हुआ, वो. चूंकि मुनाफ़े को 'आय' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो उस पर टैक्स लगता है.

# सेक्योरिटी ट्रांज़ैक्शन टैक्स - जब आप शेयरमार्केट से कोई शेयर या अन्य सेक्योरिटीज़ ख़रीदते हैं, उस पर लगता है. आप शेयर ख़रीदते हैं ब्रोकर के ज़रिए. ब्रोकर को ये टैक्स देना होता है, तो वो आपसे किसी ज़रिए ये दाम निकाल लेता है.

# परक्विज़िट टैक्स - वेतन के अलावा संगठन से जुड़े किसी आकस्मिक वेतन या मुनाफ़े को कहते हैं परक्विज़िट या अनुलाभ. इस पर भी टैक्स जाता है.

# कॉर्पोरेट इनकम टैक्स - एक संगठन के मुनाफे़ पर लगा टैक्स.

# कृषि पर लगा रेट टैक्स - कृषि आय आयकर के अधीन नहीं है. लेकिन इंकम टैक्स ऐक्ट की धारा 2(1A) में कुछ ज़रूरी कंडिशन्स हैं, जिससे कृषि टैक्स निर्धारित होता है.

# कृषि के लिए कृषि भूमि, भंडार कक्ष, आवासीय जगह या आउटहाउस किराए पर लेना/पट्टे पर देने. पौधशालाओं में रोपण से उगने वालों पेड़ों से कमाए पैसों पर. अगर कोई कृषि भूमि किसी व्यावसायिक इस्तेमाल में आ रही है, तो उससे कमाई आय पर.

2. GST 

 GST आया जुलाई 2017 में. उससे पहले था VAT (वैल्यू ऐडेड टैक्स), सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, वग़ैरह. अब केवल GST है. गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स. दो लेवल्स पर लगता है. स्टेट GST और सेंट्रल GST.

उत्पादन प्रक्रिया में हर क़दम पर लगाया जाता है. GST को कुल पांच स्लैब्स में बांटा गया है, जो साल दर साल बदल सकती है. 0%, 5%, 12%, 18% और 28%. सरकार हर प्रोडक्ट या सर्विस पर टैक्स निर्धारित करती है. और, इन्हीं स्लैब्स में उलटफेर करती रहती है.

वैसे तो GST केंद्र सरकार इकट्ठा करती है, लेकिन पेट्रोलियम, शराब और बिजली को इससे अलग रखा गया है.

इसके अलावा टोल टैक्स भी लगता है. रोड टैक्स देने के बावजूद टोल टैक्स क्यों लगता है? टोल रोड हर जगह तो होती नहीं है. कुछ जगहों पर सरकार विशेष टेंडर दे कर 'हाई-फाई' सड़क बनवाती है, उसी का टैक्स लिया जाता है. जैसे ही टेंडर की लागत ख़त्म हो जाती है और मेनटेनेंस का टेंडर नहीं होता, तो वो बंद भी हो जाता है.