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अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: क्षमा याचना

क्षमा करो बापू! तुम हमको, बचन भंग के हम अपराधी, राजघाट को किया अपावन, मंज़िल भूले, यात्रा आधी.

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वो राजनैतिक अस्थिरता का दौर था. गठबंधन सरकारें बन रही थीं, गिर रही थीं. वाजपेयी चाहते थे कोई स्थिर सरकार बने केंद्र में. इसके लिए वो कांग्रेस को भी समर्थन देने के लिए तैयार थे. इसके लिए मगर एक शर्त थी उनकी.
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री. एक बार नहीं तीन बार उन्हें इस राष्ट्र के प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ. लेकिन वो सिर्फ नेता नहीं थे, उन विरले नेताओं में से थे, जिनका महज साहित्य में झुकाव भर नहीं था. वो खुद लिखते भी थे. कविताएं. विविध मंचों से और यहां तक कि संसद में भी वो अपनी कविताओं का सस्वर पाठ कर चुके हैं. उनकी कविताओं का एक एल्बम भी आ चुका है जिन्हें जगजीत सिंह ने भी अपनी अावाज़ दी है. पढ़िए उनकी कविता-

क्षमा याचना  

क्षमा करो बापू! तुम हमको, बचन भंग के हम अपराधी, राजघाट को किया अपावन, मंज़िल भूले, यात्रा आधी.

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