The Lallantop

हिंडनबर्ग ने SEBI को जवाब देते हुए Kotak Mahindra Bank को कैसे लपेट लिया?

SEBI ने हिंडनबर्ग फ़र्म पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अडानी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट को छापने से पहले ‘किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट’ नाम की एक कंपनी को दी थी. किंगडन ने फिर इसका इस्तेमाल अडानी के शेयर के ख़िलाफ़ दांव खेला. हिंडनबर्ग ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.

Advertisement
post-main-image
कोटक महिंद्रा बैंक पर लगे अडानी के साथ घालमेल के आरोप. (सांकेतिक फ़ोटो - एजेंसी)

बीते दिनों भारत के मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अमेरिकी रिसर्च फ़र्म हिंडनबर्ग रिसर्च को 46 पन्नों का एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था. हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने इस पर अभी आधिकारिक जवाब तो नहीं दिया है, मगर 1 जुलाई को एक ब्लॉग पोस्ट छापा है. इसमें भारत के कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) का नाम आया है. साथ ही SEBI पर ये आरोप लगाए हैं कि जब आपके यहां के एक बैंक का नाम आता है, तब वो कोई कार्रवाई नहीं करते.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
कोटक महिंद्र बैंक पर क्या आरोप हैं?

SEBI ने हिंडनबर्ग फ़र्म पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अडानी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट को छापने से पहले ‘किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट’ नाम की एक कंपनी को दी थी. किंगडन ने फिर इसका इस्तेमाल अडानी के शेयर के ख़िलाफ़ दांव खेला. उन्होंने स्टॉक को शॉर्ट किया. SEBI का दावा है कि इस तरह किंगडन ने $22.25 मिलियन (करीब 185 करोड़ रुपये) कमाए.

हिंडनबर्ग ने इन आरोपों को ख़ारिज किया और कहा कि ये उन्हें डराने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने उलटे SEBI पर आरोप लगा दिए कि वो निवेशकों के बजाय धोखेबाज़ों को बचा रहे हैं.

Advertisement

अपने ब्लॉग पोस्ट में क्या लिखा है?

- SEBI ने अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाई है. ऐसा लगता है कि वो धोखेबाज़ों से निवेशकों की रक्षा करने की बजाय धोखेबाज़ों को ही बचा रहे हैं.

- इंडियन मार्केट के सूत्रों से पता चला है कि SEBI ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को गुप्त तरीक़े से सहायता मुहैया कराई.

- SEBI ने पर्दे के पीछे ब्रोकर्स पर अडाणी के शेयरों में शॉर्ट पोज़ीशन्स को क्लोज़ करने का दबाव डाला. इससे ख़रीदारी का दबाव बना और इस नाजुक समय में अडाणी ग्रुप के शेयरों को मदद मिली, तेज़ी मिली.

- इन आरोपों के बीच SEBI ने कोटक महिंद्रा बैंक के नाम को छिपाने की कोशिश की है. उदय कोटक की स्थापित ब्रोकरेज फ़र्म्स ने ऑफ़शोर फ़ंड स्ट्रक्चर बनाया, जिसका इस्तेमाल उसके इन्वेस्टर पार्टनर ने अडाणी ग्रुप के शेयरों में ट्रेडिंग के लिए किया.

- SEBI ने जान-बूझकर नोटिस में 'कोटक' नाम को शॉर्ट फॉर्म में 'KMIL' लिखा. KMIL मतलब कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट लिमिटेड.

- SEBI को प्रोसेस के बारे में और अधिक जानकारी चाहिए. इसके लिए एक RTI दायर की जाएगी.

इसी कड़ी में हिंडनबर्ग ने ये भी आरोप लगाए कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद मॉरीशस में कोटक महिंद्रा बैंक की एक यूनिट ने एक अज्ञात निवेशक को अडानी के शेयर्स में हो रही लगातार गिरावट से फ़ायदा उठाने में मदद की. बैंक की इसमें भूमिका ये थी कि उन्होंने अनाम निवेशक के लिए एक ऑफ़शोर फंड स्थापित किया. इस इरादे से कि मुनाफ़ा कूटा जा सकेगा. 

Advertisement

ये भी पढ़ें - शेयर मार्केट में सलाह बांटते थे, 20 लाख फॉलोअर्स, अब SEBI ने लगा दिया 12 करोड़ का जुर्माना!

हिंडनबर्ग ने ब्लॉग में ये भी लिखा है,

कोटक बैंक के फ़ाउंडर उदय कोटक ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर SEBI की 2017 में बनी एक कमेटी का नेतृत्व किया था. इस नाते हमें संदेह है कि SEBI उदय कोटक या कोटक बोर्ड के किसी भी अन्य सदस्य का उल्लेख नहीं करेगा. इसका मतलब एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना भी हो सकता है.

शॉर्ट सेलिंग क्या बला है?

शॉर्ट सेलिंग ट्रेडिंग की एक टेक्नीक है. इसमें कोई इनवेस्टर, किसी ब्रोकर से कुछ शेयर्स उधार पर लेता है और ये शेयर्स मार्केट प्राइज़ पर बेच देता है. ऐसा इनवेस्टर तभी करता है, जब उसकी गणित ये कह रही हो कि आने वाले दिनों में ये स्टॉक्स तेज़ी से गिरने वाले हैं. अगर गणित सही बैठा और स्टॉक नीचे आ गए, तो इनवेस्टर इस नई और कम क़ीमत पर शेयर दोबारा ख़रीद लेता है और जहां से उधार लिया है, वहां चुका देता है और फ़ायदा कमा लेता है. भारत में शॉर्ट सेलिंग अवैध नहीं है, अगर आप ऐसा SEBI के नियमों के दायरे में रहकर करें. हालांकि, इसकी नैतिकता पर बेशक सवाल उठाए जाते रहे हैं.

फ़र्ज़ कीजिए आपने अपने दोस्त से 10 सेब उधार लिए. तब सेब की क़ीमत थी, 10 रुपये. आपने अफ़वाह सुनी कि बाज़ार में एक स्वादिष्ट और सस्ता फल आने वाला है और इसलिए, जल्द ही सेब की क़ीमत कम हो जाएगी. आपने फ़ौरन सारे सेब बाज़ार में बेच दिए. 10 रुपये के दाम पर. हफ़्ते भर बाद अफ़वाह सच हो गई और सेबों की क़ीमत गिर कर 5 रुपये हो गई! अब आपने तो अपने दोस्त से सेब उधार लिए थे, पैसे नहीं. तो अब आपने दस नए सेब ख़रीद कर वापस कर दिए. अब आपने तो सेब 10 के दाम पर ही बेचे थे, तो आपको तो 50 रुपये का फ़ायदा हुआ न!

Kotak का जवाब

इन सारी ख़बरों के बीच कोटक महिंद्रा बैंक के शेयर्स 2.23 फ़ीसदी नीचे आकर 1768.25 रुपये तक पहुंच गए हैं. कोटक ग्रुप का भी इस पूरे मसले पर बयान आ गया है. उन्होंने कहा,

हिंडनबर्ग कभी भी KMIL या हमारी किसी भी कंपनी का क्लाइंट नहीं रहा है. हमारे किसी निवेशक का पार्टनर हिंडनबर्ग रहा हो तो इसकी हमें जानकारी नहीं है.

हालांकि, उन्होंने ये क़ुबूल किया है कि फंड ने किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट के लिए अडानी के शेयरों की शॉर्टिंग में मदद की थी. द मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कोटक महिंद्रा बैंक के एक अधिकारी ने ये तक बताया है कि उन्हें हिंडनबर्ग और किंगडन कैपिटल के बीच संबंधों के बारे ब्लॉग के बाद ही पता चला है.

ये भी पढ़ें - Quant Mutual Fund पर 'घपले' के आरोप, SEBI ने की जांच शुरू... 79 लाख निवेशकों का क्या होगा?

जनवरी, 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक्स मैनिपुलेशन के गंभीर आरोप लगाए थे. तब से मामला शांत हुआ नहीं है. कभी कुछ, कभी कुछ. रह-रहकर कोई मामला उठ ही जाता है. कोटक का नाम आने से एक बार फिर ये मसला आम जनता की नज़रों में चढ़ गया है.

वीडियो: SEBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट से आया फैसला तो गौतम अडानी ने कहा…

Advertisement