सलमान खान ने किया कबीर बेदी की बुक 'स्टोरीज़ आय मस्ट टैल: दी इमोशनल लाइफ़ ऑफ़ एन एक्टर' का कवर रिवील.
मशहूर एक्टर कबीर बेदी ने पिछले हफ्ते अपनी ऑटोबायोग्राफी 'स्टोरीज़ आई मस्ट टेल: दी इमोशनल लाइफ़ ऑफ़ एन एक्टर' का बुक कवर रिवील किया. इस मौके पर सलमान खान समेत बॉलीवुड की कई हस्तियाँ मौजूद रहीं. ये किताब उन्होंने पिछले साल लॉकडाउन के वक़्त लिखी थी. इस बुक में कबीर ने अपनी पर्सनल लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक के जुड़े बेहद निजी और अनसुने किस्से बयां किए हैं. अभी किताब जनता के लिए तो उपलब्ध नहीं हुई है. मगर मीडिया हाउसेस के लिए कॉपी भेजी जा चुकी है. जिसके बाद से कबीर बेदी की किताब के कई पन्ने अखबारों और मीडिया पोर्टल्स की सुर्खियां बने हुए हैं.
#बीटल्स का इंटरव्यू
कबीर बेदी की किताब के पहले ही चैप्टर में उन्होंने मशहूर बैंड बीटल्स के इंटरव्यू लेने का रोचक किस्सा बताया है. कबीर बताते हैं उनके जीवन में पहला सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब उन्होंने बीटल्स का इंटरव्यू लिया.
1968 में कबीर बेदी दिल्ली में कॉलेज में पढ़ रहे थे. कॉलेज की फ़ीस निकालने के लिए ऑल इंडिया रेडियो में बतौर ट्रेनी रिपोर्टर भी काम करते थे. इसी साल फ़रवरी में मशहूर बैंड बीटल्स इंडिया आया. कबीर ने सोचा अगर इनका इंटरव्यू मिल गया तो उनका करियर बहुत तेज़ी से बूस्ट कर जाएगा. जुगाड़-तुगाड़ लगा कर कबीर बेदी बीटल्स के पास पहुंच ही गए और उनका एक शानदार इंटरव्यू रिकॉर्ड कर लिया. दिल्ली आकर इंटरव्यू की टेप उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो दफ्तर में दे दी. इधर ऑल इंडिया रेडियो ने इतने बड़े एक्सक्ल्यूसिव इंटरव्यू को बढ़िया प्रचार-वचार करके प्रसारित करने की बजाय यूंही बेवक़्त एयर कर दिया. जिसके चलते आधे लोगों को मालूम ही नहीं पड़ा इस मेगा इंटरव्यू के बारे में.
कबीर को बड़ा धक्का लगा ये जानकर कि जिस इंटरव्यू के लिए उन्होंने इतनी मशक्कत की उस इंटरव्यू की AIR ने रत्ती भर भी कदर नहीं की. और तो और उन्होंने जब AIR से इंटरव्यू टेप की कॉपी मांगी, तो AIR ने उन्हें बताया कि पैसे बचाने के चक्कर में उस टेप पर बीटल्स का इंटरव्यू हटा कर उन्होंने नया शो रिकॉर्ड कर लिया है. ये सुन कबीर का टूटा दिल चकनाचूर हो गया. इस बात से वो इतना ज़्यादा आहत हुए कि उसी दिन AIR की नौकरी, अपना घर परिवार, दोस्त सबको छोड़ मुंबई में फिल्मों में राइटर बनने चले आए. यहां आकर कई साल कबीर बेदी एड फ़िल्में लिखने का काम करते रहे.
मशहूर बैंड बीटल्स
# बेटे की आत्महत्या की ग्लानी
कबीर बेदी के बेटे सिद्धार्थ एक मानसिक बीमारी से जूझ रहे थे. जिसके चलते उन्होंने 1997 में 26 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली थी. कबीर बताते हैं,
"सिद्धार्थ एक बहुत ही होशियार नौजवान था. बहुत ही योग्य. फ़िर अचानक एक दिन वो कुछ भी सोच सकने में असक्षम हो गया. पहले तो हम समझ ही नहीं पाए आखिर परेशानी क्या है. तीन सालों तक अनदेखे प्रेतों से लड़ते रहे. एक दिन वो मोंट्रियल की सड़को पर एकदम ही बेकाबू और हिंसक हो गया. आठ पुलिस वाले लगे उसको काबू में करने के लिए. तब मोंट्रियल में डॉक्टरों ने बताया कि वो सिज़ोफ्रेनिक है."
सिज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है. जिसमें मरीज़ कल्पना और हकीकत के बीच फर्क नहीं कर पाता है. इस बीमारी में मरीज़ के मन में आत्महत्या करने के विचार भी आने लगते हैं.
कबीर कहते हैं उन्होंने बहुत कोशिश की सिद्धार्थ का इलाज कराने की मगर वो हार गए, क्यूंकि सिद्धार्थ ने अपने लिए मौत चुन ली थी. कबीर ने कहा इस किताब के माध्यम से वो सबको बताना चाहते हैं कि उस परिवार पर क्या बीतती है जिन्हें ऐसी परेशानियों से गुजरना पड़ता है. 'क्यूंकि वो इंसान जो हम देख रहे होते हैं, वो उस वक़्त वैसा नहीं होता जैसा उसे हम पहले से जानते थे'. कबीर ने बतलाया वो जितनी भी कोशिश करें उनकी ग्लानी कम नहीं होती. 'आपको हमेशा लगता है आप कुछ ना कुछ ज़रूर कर सकते थे उस जीवन को बचाने के लिए'.
सिद्धार्थ ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था
' वो दूसरी ओर जा रहे हैं'. सिद्धार्थ कबीर बेदी और उनकी पहली पत्नी प्रोतिमा बेदी के बेटे और पूजा बेदी के भाई थे. सिद्धार्थ की आत्महत्या के सदमे की वजह से ही कुछ वक़्त बाद प्रोतिमा बेदी का भी देहांत हो गया था.
पूजा बेदी की इकलौती कबीर बेदी की बेटी हैं.
#ओपन मैरिज में थे पहली पत्नी के साथ
कबीर बेदी की पहली शादी 1969 में प्रोतिमा गौरी के साथ हुई थी. कबीर और प्रोतिमा ओपन मैरेज में थे. इस कपल के दो बच्चे भी हुए. मगर 5 साल बाद ही इनका तलाक हो गया. इस शादी टूटने का और अपनी पहली पत्नी का ज़िक्र भी कबीर ने किताब में किया है. लिखते हैं,
"एक बार हम मलेशिया में थे. प्रोतिमा मेरे पास आई और बोली 'आय हैव स्ट्रीक्ड'. स्ट्रीकिंग का मतलब होता है किसी बात के खिलाफ़ आंदोलन में स्टेज या सड़क पर नग्न हालत में भागना. मैं उस वक़्त समझ नहीं पाया वो क्या बोल रही थी. उसने कहा मैं आंदोलन के लिए कपड़े उतार कर भाग रही थी और किसी ने मेरी तस्वीर खींच कर उसे मैगजीन में छाप दिया है. वो झूठ बोल रही थी. बाद में पता चला ये उसने मैगजीन में छपने के लिए जानबूझ कर किया था.

कबीर बेदी और उनकी पहली पत्नी प्रोतिमा बेदी.
उस वक़्त मैं 'संदोकन' की शूटिंग कर रहा था. मुझे इस यूरोपियन टीवी ड्रामा में मुख्य रोल मिला था. मैं इस मौके का पूरा लाभ उठाना चाहता था. मैं नहीं चाहता था कि इस बात से मेरा फोकस खराब हो. मैंने इस बात का ज्यादा बतंगड़ नहीं बनाया. लोग उस वक़्त ये समझ नहीं पा रहे थे कि मैं कैसे अपनी पत्नी को स्ट्रीकिंग करने दे सकता हूं. क्यों अब तक मैंने उसे अपने घर से नहीं निकाला है. हम अपनी जिंदगी में एक खुलापन चाहते थे. हमने सोचा था हमारी ओपन मैरेज समाज में एक उदाहरण सेट करेगी. मगर आज़ादी से ज्यादा इस वजह से हमारे जीवन में विकार पैदा हो गया. मेरे बच्चे इस बारे में पहले से ही जानते हैं. इसलिए मुझे इस बात को लिखने में कोई संकोच नहीं है."
बहुत सालों से इस बात की चर्चा थी की कबीर बेदी और उनकी पत्नी प्रोतिमा की शादी टूटने का मुख्य कारण परवीन बाबी रही थीं. परवीन की मौजूदगी का प्रभाव उनके जीवन में कैसे पड़ा इस बारे में भी कबीर ने लिखा.
'हमारे (कबीर और प्रोतिमा) संबंधों में दूरियां आ गई थीं. मुझे वो प्यार नहीं दिखता था जो मैं चाहता था. ना वो प्यार मैं उसे दे पाता था. वो पुराना जादू लुप्त हो चुका था. मैं अपने आप को अकेला और खाली महसूस करता था. परवीन बाबी ने वो खालीपन भरा. वो बहुत सुंदर थी. लंबे काले बाल, सुनहरी आँखें. उससे पहले तक मैं उसे डैनी डैनज़ोंगपा की गर्लफ्रेंड के रूप में जानता था. डैनी एक गुड लुकिंग सिक्किम का एक्टर था. मुझसे दो साल छोटा और परवीन से दो साल बड़ा. आने वाले सालों में वो बॉलीवुड का बहुत सफ़ल विलन बना और कई बार फ़िल्मफेयर के लिए नॉमिनेट हुआ. दोनों का करियर एक साथ ही स्टारडम की ऊंचाइयां छू रहा था. परवीन का डैनी के साथ लिव-इन में रहना, जींस पहनना और पब्लिक में सिगरेट पीना भारतीय लोगों की नज़रों में उसकी एक बोहेमियन छवि गड़ रहा था. लेकिन नैतिकता के आधार पर वो उस वक़्त भी एक आम गुजराती लड़की थी. जहां बाकी की जुहू गैंग गुरु ओशो की 'फ्री सेक्स' की शिक्षा की बात करती थी. वो शारीरिक निष्ठा की बात करती थी. मैं उस वक़्त इस चीज़ की ही तलाश कर रहा था, जब मुझे उसके साथ प्यार हुआ था."

#परवीन बाबी
कबीर बेदी ने परवीन बाबी से अपने संबंधों के बारे में बताते हुए लिखा कि उन्हें परवीन की हर दिन बिगड़ती मानसिक स्थिति के बारे में पता था. वो उनकी मदद भी करना चाहते थे लेकिन परवीन ने मना कर दिया. उन्होंने बताया जब परवीन की मौत की खबर उन्हें मिली, उस वक़्त वो मानसिक और जज्बाती तौर से टूट गए थे. कबीर लिखते हैं,
"उसकी लाश चार दिन बाद उसके जुहू के फ्लैट में मिली थी. उसका एक पैर गैंग्रीन से सड़ गया था. उसके बेड के पास व्हीलचेयर मिली थी. ये एक स्टार का तनहा और त्रस्त करने वाला अंत था, जो कभी करोड़ों दिलों की मलिका हुआ करती थी. तीन लोग जो उसे जानते थे और उससे प्यार करते थे. महेश भट्ट, डैनी और मैं उसके अंतिमदर्शन करने जुहू स्थित कब्रिस्तान में गए थे. हमने उसकी बॉडी उसके रिश्तेदारों के साथ मिलकर कब्र में दफ़न की थी."
कबीर ने लिखा जैसे हम परवीन को जानते थे, वैसे और कोई नहीं जानता होगा. कबीर ने बताया जब उनका और परवीन का रिश्ता टूटा था तब प्रेस ने उन्हें उस वक़्त पूरे तरीके से विलन बना दिया था. कई अखबारों ने परवीन की बिगड़ती मानसिक हालत के लिए भी उन्हें ज़िम्मेदार ठहरा दिया था. प्रेस का कहना था कि कबीर ने परवीन को मानसिक रूप से तोड़ दिया है. 'मेरे बारे बहुत सी घटिया बातें लिखी गईं थीं'.
कबीर बेदी के जीवन के और विस्तार से जानने के लिए आप उनकी ये किताब 'स्टोरीज आय मस्ट टैल: दी इमोशनल लाइफ़ ऑफ़ एन एक्टर' 19 अप्रैल से अमेज़न पर खरीद पाएंगे.