जयंत नार्लीकर को भले ही साइंस के क्षेत्र में इतने प्रतिष्ठा मिली लेकिन उनकी शख्सियत में साइंटिस्ट और साहित्यकार हाथ पकड़ कर साथ-साथ चलते हैं. उन्होंने जिस प्रोफेशनल तरीके से रिसर्च पेपर लिखे, उतने ही चुटीले ढंग से साइंस फिक्शन भी गढ़े. वह अगर गुरुत्वाकर्षण पर विश्व प्रसिद्ध रिसर्च का हिस्सा बने तो साथ ही उन्होंने टाइममशीन पर एक ऐसी किताब लिखी जिसमें लोग समय को मात देते नजर आते हैं.
घोस्ट राइटर बन लिखी पहली कहानी एक इंटरव्यू में जयंत नार्लीकर ने अपने पहले साइंस फिक्शन लिखने की कहानी को कुछ ऐसे बयां किया
मुझे अपने मेंटॉर और सुपरवाइजर साइंटिस्ट फ्रेड हॉयल की तर्ज पर साइंस फिक्शन लिखने का मन था. वह ब्लैक क्लाउड और ए फॉर एंड्रॉमेडा जैसी बेहतरीन साइंस फिक्शन लिख चुके थे. मैं लिखना तो बहुत दिन से चाह रहा था लेकिन पता नहीं था कि लिख भी पाऊंगा या नहीं. ऐसे में एक दिन मैंने देखा कि मराठी विज्ञान परिषद ने 2000 शब्दों में साइंस फिक्शन लिखने का कॉम्पिटिशन रखा है. लिखने के लिए मेरा मन मचलने लगा. चूंकि तब तक मुझे साइंस की फील्ड में काफी लोग जानने लगे थे और मुझे पुरस्कार भी काफी मिल चुके थे, ऐसे में मेरी कहानी को लेकर पक्षपात की आशंका थी. मैंने दूसरे नाम से लिखने का मन बना लिया....नार्लीकर की इन किताबों को जरूर पढे़ं द रिटर्न ऑफ वामन (The Return of Vaman) मूल रूप से मराठी में यह नॉवल 'वामन परत न आला' के नाम से आया था. यह कहानी एक तीन लोगों के इर्दगिर्द घूमती है. एक भौतिक शास्त्री(फिजिसिस्ट) दूसरा कंप्यूटर वैज्ञानिक और तीसरा पुरातत्ववेत्ता. एक प्रयोग करने के लिए फिजिसिस्ट जमीन में गड्ढा खोदता है और उसे एक खास तरह का क्यूब मिलता है. क्यूब को बड़ी मुश्किल से खोलने पर तीनों दोस्त कामयाब होते हैं और पता चलता है कि इसमें एक सुपर कंप्यूटर बनाने के राज छुपे हैं. फिर शुरू होता है एक खतरनाक साइंस थ्रिलर. भारत में शायद ही ऐसा कोई साइंस फिक्शन लिखा गया हो. कहां से मिलेगी - अमेजन पर तकरीबन 1500 रुपए में उपलब्ध है
...मैंने अपना पेन नाम रखा नारायण विनायक जगताप. इस नाम को रखने का भी एक कारण था. इन नामों को उल्टे क्रम में पढ़ने पर मेरे असल नाम के पहले अक्षर जयंत विष्णु नार्लीकर (JVN) नजर आते हैं. मैंने कहानी सोच ली, लेकिन एक मुश्किल और थी. मुझे आशंका थी कि कहानी को जज करने वाली कमेटी में कोई मेरे साथ का साइंटिस्ट न हो जो मेरी हैंडराइटिंग पहचान ले. ऐसे में मैंने कहानी अपनी पत्नी से लिखवाई. इससे हैंडराइटिंग के जरिए पकड़े जाने का खतरा खत्म हो गया. मैंने अपनी एंट्री भेज दी. जब रिजल्ट आया तो पता चला कि मेरी कहानी को ही पहला पुरस्कार मिला है. इससे मेरा हौसला बढ़ गया और साथ ही साइंस फिक्शन लिखने का कॉन्फिडेंस भी आ गया.

जयंत नालकर्नी की साइंस फिक्शन में रिटर्न ऑफ वामन अपने आप में दुनिया की बेहतरीन साइंस कथा है.
वायरस (Virus) एक कंप्यूटर वायरस किस तरह से दुनिया भर की सरकारों का सिरदर्द बन जाता है वह इस नॉवल में बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है. वायरस वाकई वह रहस्यमय सॉफ्टवेयर है, जिससे एकाएक दुनिया के ज्यादातर कंप्यूटर गड़बड़ाने लगते हैं. वैज्ञानिक मिलजुल कर इसका कारण और निदान खोजने की कोशिश करते हैं. बाद में पता लगता है कि आकाश के तारों पर नजर रखने के लिए भारत में जो महादूरबीन स्थापित की गई है. उसी के जरिए वह अज्ञात वायरल हमारी सभ्यता को तहस-नहस करने की कोशिश कर रहा है. इंसान से बस यही गलती हो गई कि उसने एलियन सभ्यता को दोस्ती के लिए जो मेसेज भेजे थे वही उसकी उसके लिए मुश्किल का सबब बन गए हैं. कहां मिलेगी - अमेजन पर 129 रुपए में
चार नगरों की मेरी दुनिया (A Tale of Four Cities) यह किताब भले ही उनकी साइंस कथा नहीं है लेकिन यह नार्लीकर के जीवन से जुड़ी किताब है. इस किताब के जरिए एक साइंसदान से लेकर फिक्शन राइटर तक के सफर को बखूबी समझा जा सकता है. जयंत विष्णु नार्लीकर ने अपने जीवन के 19 साल बनारस में, 15 साल केंब्रिज विश्वविद्यालय में, 18 साल मुंबई शहर में और 20 साल महाराष्ट्र के पुणे शहर मे गुजारे हैं. वे अभी अपने परिवार के साथ पुणे शहर में रहते हैं. शहरों के जरिए एक साइंटिस्ट की रोचक कहानी जानने के लिए यह एक बेहतरीन किताब है. इस किताब को 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. कहां मिलेगी - अमेजन पर 750 रुपए में
जयन्त विष्णु नार्लीकर के लिखे साइंस फिक्शन में लास्ट विकल्प, दाईं सूंड के गणेशजी, टाइम मशीन का करिश्मा, पुत्रवती भव, अहंकार, ट्राय का घोड़ा, छिपा हुआ तारा, विस्फोट एवं यक्षों की देन भी पढ़ी जा सकती हैं.