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लखनऊ की टीना परवीन, जिसके गाने के लिए पापा ने घर में बगावत कर दी

सीक्रेट सुपरस्टार फिल्म वाले अब्बू से उलट थे टीना के पापा.

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गांव से सात किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 56 है. उस हाईवे पर बसा है एक कस्बा. उस कस्बे में घरों से ज्यादा दुकानें हैं. क्योंकि रोड के किनारे है. दुकानों में सबसे ज्यादा दुकाने हैं मोबाइल में गाने भरने की. एक बार लखनऊ से आती बस उस हाईवे पर रुकी. अपन झोला टांगे उतरे. रिचार्ज कराना था. एक दुकान में घुस गए. दुकान पर पहले से भीड़ थी. लोग मेमोरी में गाने भरा रहे थे. एक लड़का प्राइमरी स्कूल की गंदी सी ड्रेस पहने कुछ ज्यादा ही उछल रहा था. कह रहा था "ऐटम बम है तेरी जवानी" जरूर डाल देना. गाना भर गया. फिर चाइनीज फोन में डालकर सुना भी. ये कव्वाली गाई थी तसलीम आरिफ और टीना परवीन ने. बच्चे बूढ़े और जवान सब इसे एक रस में सुनते थे.

तसलीम-आरिफ बदायूं के हैं. उनका इंटरव्यू पढ़ ही चुके हो. फिर हमने सोचा कि बिना टीना से बात किए बात बन नहीं रही है. लाइव प्रोग्राम में वो समां बांधती हैं कि सुनने वाले जमे रह जाते हैं. लखनऊ की हैं. आवाज में जादू है. अदाएं कव्वालियों को पूरी तरह सूट करने वाली. लखनऊ-कानपुर-फैजाबाद-रायबरेली-बाराबंकी का ये हाल है कि लोगों को पता चले, कव्वाली मुकाबला टीना परवीन से है तो लोग ऐदल-पैदल भागकर पहुंच जाते हैं.
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ऐसे हुनर और शोहरत की मालकिन टीना से हमने बात की तो ये मसाला निकल के आया.
सवाल- टीना जी आपने गाना कब शुरू किया? टीना- 12 साल की उम्र में. सवाल- गाने की तालीम ली किसी से? टीना- पापा से. पापा गाते थे और गाने की वजह से बहुत मकबूल थे. वो आकाशवाणी लखनऊ में गाने जाते थे. देश के कई शहरों में गए. मैं उनके साथ अक्सर शोज़ में जाती थी. उनको देखते हुए गाना सीखने की इच्छा हुई तो उनसे ही सीखना शुरू किया. घर में बहुत पंगे हुए. मेरे वालिद ने मेरे लिए बगावत कर दी. घर वाले कहते थे ये हमारा खानदानी रिवाज नहीं है. खुद तो गाते ही हैं, बेटी भी गाएगी तो खानदान की नाक कट जाएगी लेकिन पापा ने सिखाया. सवाल- पढ़ाई किस फील्ड में की है? डिग्री वगैरह? टीना- हमने पढ़ाई सिर्फ हाईस्कूल तक की है. लखनऊ के ही महिला कॉलेज से. उसके बाद गाने में मन लग गया तो पढ़ाई में मन नहीं लगता था. (ये बात सुनकर हमको सीक्रेट सुपरस्टार फिल्म की याद आ गई. हालांकि टीना के पापा इंशिया के पापा से उलट थे.) सवाल- तसलीम-आरिफ के साथ मुकाबला कव्वालियों का दौर कब शुरू हुआ? टीना- उस वक्त गुलशन कुमार साहब जिंदा थे. जब टी सीरीज से बुलावा आया. वहां कहा गया कि मुकाबला कव्वाली रिकॉर्ड करनी है. बस वहीं से शुरुआत हो गई. तसलीम-आरिफ के साथ हमारे तमाम कैसेट आए. ऐटम बम है तेरी जवानी, शैतान मेरी लैला, मेरा कार्ड रख ले. ऐटम बम.... तो कब आकर बिक गया पता ही नहीं चला. कामयाबी मिली तो हमने साथ में लाइव शोज़ भी करने शुरू किए.

सवाल- लाइव शो से जुड़ी कोई बुरी याद है क्या आपकी? जैसे कहीं शो फ्लॉप हो गया हो. या आयोजक पइसा डकार गया हो. टीना- पैसे वैसे वाला तो अमूमन नहीं होता लेकिन एक बार बहुत बुरा हादसा हुआ था. घर में मम्मी एक्सपायर हो गईं थीं और हम उस वक्त शो करने गए थे. (आप समझ सकते हैं कि किसी का सबसे करीबी गुजर गया हो और उसे कहीं परफार्म करना हो. बिना झिझके. कलाकारों के साथ अक्सर ये दिक्कत पेश आती है. उनकी कला पर उनकी पारिवारिक या पर्सनल प्रॉब्लम्स असर करें, ये वो अफोर्ड नहीं कर सकते.) ऐसे ही पापा की डेथ हुई तब भी हम शो करने गए हुए थे. सवाल- आजकल लाइव कव्वाली शोज़ के अलावा और क्या कर रही हैं? टीना- अभी एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. एक सूफी रॉक बैंड बनाने की कोशिश चल रही है. इसमें वेस्टर्न स्टाइल में इन कव्वालियों को गाया जाएगा. दुनिया बदल रही है. आजकल की जनरेशन फास्ट है. उसके हिसाब से भी तो कुछ होना चाहिए. इसलिए अभी ये एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं.
अब एक शायर, एक कवि इरशाद कामिल का इंटरव्यू देखते जाइए.