The Lallantop

आयोडीन नमक खाने से कैंसर होने की ख़बरों में कितनी सच्चाई है?

ऐसी ख़बरें और उनका खंडन, दोनों ही आ रहे हैं.

Advertisement
post-main-image
आयोडीन नमक का इस्तेमाल इतना खतरनाक हो सकता है., पता न था.
आयोडीन नमक को लेकर विवाद हो गया है. वही आयोडीन नमक जिसके बचपन में टीवी पर कई सारे ऐड आते थे. सबका सार यही होता था कि आयोडीन नमक खाने से बच्चों का मानसिक विकास होता है. मामले में ट्विस्ट तब आया हब एक अमेरिकन लेबोरेटरी के हवाले से भारतीय मीडिया में ऐसी ख़बरें हुईं कि आयोडीन नमक में एक केमिकल मिला हुआ है, ऐसा केमिकल जो लोगों को नपुसंक बना सकता है. ये भी कहा गया कि ये कैमिकल कैंसर की वजह भी बन सकता है. हालांकि इस रिपोर्ट को नकारा भी जा रहा है. इसका खंडन भी आया है. दावा क्या है? अमेरिका की अमेरिकन वेस्ट एनॉलिटिकल लेबोरेट्रीज के हवाले से जो बताया जा रहा है, वो ये कि उन्होंने भारत की कई ब्रैंडेड कंपनियों के नमक की जांच की. जांच में मिला पोटेशियम फेरोसायनाइड. ये केमिकल कार्सिनोजेनिक होता है. कार्सिनोजेनिक यानी वो तत्व जो शरीर में कैंसर पैदा करने में सहायक होता है. मतलब इस रिपोर्ट के मुताबिक आयोडीन नमक हमारे लिए कैंसर का कारण भी बन सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक़ रिसर्च में एक किलो नमक में 4.91 से 1.90 मिलीग्राम तक पोटाशियम फेरोसायनाड मिला है. ये मात्रा कैंसर पैदा करने के लिए काफी है. यूएस, जर्मनी समेत 56 देशों ने नमक में पोटेशियम फेरोसायनाइड के इस्तेमाल पर बैन लगाया है. नमक में पोटेशियम फेरोसायनाइड क्यों मिलाया जाता है? भारत में कंपनियां नमक बनाने के लिए ब्लीचिंग जैसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करती हैं. ब्लीचिंग से नमक सफेद दिखने लगता है. जिससे हमें लगता है कि ये तो बहुत साफ है. नमक को साफ करने की प्रक्रिया के दौरान उसमें आयोडीन और पोटेशियम फेरोसायनाइड मिलाया जाता है. इस प्रोसेस को रिफाइंड कहा जाता है. ये पूरी प्रक्रिया नमक के न्यूट्रीएंट्स खत्म कर देती हैं. आपको बता दें कि आयोडीन नमक में नैचुरली भी मौजूद होता है. खंडन  उधर टाटा सॉल्ट ने ऐसी तमाम बातों का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि ऐसी तमाम ख़बरें ग़लत हैं. ये नमक बिल्कुल सेफ है. अपने दावे की पुष्टि के लिए उन्होंने अमेरिकन वेस्ट एनॉलिटिकल लेबोरेट्रीज का एक डॉक्यूमेंट पेश किया है. जिसमें ये लिखा गया है कि AWAL न तो पोटेशियम फेरोसायनाइड की मात्रा एनलाइज़ करती है, न ही न्यूज़ एजन्सीज़ जैसी थर्ड पार्टीज़ से कोई जानकारी साझा करती है. ये रहा वो डॉक्यूमेंट: लैटर टाटा सॉल्ट ने FSSAI को भी कोट किया है. FSSAI यानी फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया. इनके ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से फेरोसायनाइड को लेकर एक ट्वीट हुआ है. जिसके मुताबिक़ फेरोसायनाइड नमक की प्रोसेसिंग में एंटी-केकिंग एजेंट की तरह इस्तेमाल होता है और सेफ होता है. इंटरनेशनल फ़ूड स्टैंडर्ड्स के मुताबिक़ एक किलो में 14 MG से कम सेफ होता है. मीडिया में आई अलग-अलग टेस्ट रिपोर्ट्स में ये 10 MG से भी कम है. देखिए FSSAI का ट्वीट: FSSAI कहने की बात ये कि आयोडीन नमक को लेकर भ्रम का माहौल फैला हुआ है. अब ये मामला मैगी जैसा विकराल रूप लेता है या नहीं, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

(ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रही कामना ने की है.)

Advertisement

वीडियो:नेता नगरी: मोदी-शाह के नए दांव, मनमोहन-राहुल का नया काम और ट्रिपल तलाक बिल की एक गलती

Advertisement
Advertisement
Advertisement