2016 में आया और छा गया
टिकटॉक 2016 में लॉन्च हुआ था. अप्रैल 2020 तक गूगल प्ले स्टोर और Apple App Store से टिकटॉक डाउनलोड की संख्या दो बिलियन यानी दो अरब तक पहुंच गई. इसमें भारत में 611 मिलियन डाउनलोड हुए. लगभग 30.3 प्रतिशत. मोबाइल इंटेलिजेंस फर्म सेंसर टावर के अनुसार, भारत ने टिकटॉक डाउनलोड के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया. चीन का ये ऐप वहां 196.6 मिलियन डाउनलोड हुए. कुल हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से भी कम.
टिकटॉक ऐप 30 प्रतिशत डाउनलोड भारत में हुए.इस आंकड़े से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि टिकटॉक भारत के लिए कितना बड़ा मार्केट है. पिछले साल टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस ने कहा था कि वह भारत में लगभग एक बिलियन डॉलर, यानी लगभग 70 अरब रुपए निवेश करने जा रही है. कंपनी ने 1000 लोगों को नियुक्त करने की बात कही थी. तब तक कंपनी भारत में 100 मिलियन डॉलर का निवेश कर चुकी थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, टिकटॉक के मालिकाना हक वाली कंपनी बाइटडांस ने पिछले साल तीन अरब डॉलर यानी 22,500 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. हालांकि यह कमाई सिर्फ टिकटॉक की नहीं, बल्कि हेलो समेत अन्य प्रोडक्ट की भी है. 2019 में सिर्फ टिकटॉक से कंपनी को करीब 720 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी.
टिकटॉक पर कमाई कैसे होती है?
ये तो टिकटॉक की कमाई की बातें थीं. लेकिन टिकटॉकर्स कैसे पैसे कामते हैं? अगर आप ये पूछेंगे कि टिकटॉक पर एक व्यक्ति कितना कमा लेता है, इसका सीधा जवाब देना मुश्किल है. यूट्यूब की तरह टिकटॉक के पास क्रिएटर्स के साथ रेवन्यू शेयरिंग का कोई मॉडल नहीं है. टिकटॉकर्स अपने अकाउंट से ब्रांड का प्रमोशन करके पैसा कमाते हैं.
बैन से कुछ समय पहले टिकटॉक की रेटिंग 1.2 पर पहुंच गई थी, क्योंकि लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था.इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कंपनी Sociopool के फाउंडर आशीष भारद्वाज 200 से ज्यादा यूट्यूबर्स के साथ ही टिकटॉक जैसी कई कंपनियों के लिए काम करते हैं. उनका कहना है कि टिकटॉक पर पैसा कमाने के लिए कम से कम एक मिलियन यानी लगभग 10 लाख फॉलोअर्स होने चाहिए. 50 हजार, एक लाख फॉलोवर्स से कुछ नहीं होता है. जिनके मिलियन में फॉलोअर हैं, वो ही पैसा कमा पाते हैं. यानी टिकटॉक पर वीडियो बनाने वाले हर बंदा पैसा नहीं कमा रहा है.
फॉलोअर्स मतलब पैसा?
आशीष का कहना है कि टिकटॉक भी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरह ही है. अगर आप टिकटॉक पर पापुलर होते हैं, तो ब्रांड आपको नोटिस करना शुरू कर देते हैं. आपसे संपर्क करते हैं और प्रमोशन के लिए पूछते हैं. इसके बदले आपको पैसे मिलते हैं. एक इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कंपनी टिकटॉक पर उन लोगों से संपर्क करती है, जिनमें इस बात की संभावना दिखती है कि आने वाले समय में उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ सकती है. क्योंकि फॉलोअर्स बढ़ने का मतलब है कि आपकी वैल्यू बढ़ेगी. एक बार जब फॉलोअर्स की संख्या बढ़ जाती है, तो ब्रांड्स विज्ञापन के लिए संपर्क कर सकते हैं. ब्रांड अपने प्रचार के लिए पैसे देते हैं.
TikTok पर ज्यादा फॉलोअर्स का भी ये मतलब नहीं है कि ब्रांड आपसे संपर्क करेंगे ही.हालांकि ज्यादा फॉलोअर्स होने का मतलब ये भी नहीं है कि आपको स्पॉन्सर मिलेंगे ही. कंपनियां टारगेट ऑडियंस पर ध्यान दे रही हैं. ऐसे में हमेशा ज्यादा फॉलोअर्स वाले अकाउंट के पास पहुंचने की जगह कंपनियां उन लोगों से भी संपर्क करती हैं, जो सीधे उन ऑडियंस तक पहुंच रहे हैं, जहां कंपनियों को अपना प्रोडक्ट बेचना है. टॉप क्रिएटर और इन्फ्लुएंसर को ब्रांड टिकटॉक पर चल रहे हैशटैग में भाग लेने के लिए भी पे करते हैं.
क्या कहना हैं इन टिकटॉकर्स का?
मोटिवेशनल स्पीकर अव्वल (Awal TsMadaan) टिकटॉक पर इंग्लिश बोलना सिखाते हैं. उनके 60 लाख फॉलोवर्स थे. 'मनी भास्कर' से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे पिछले एक साल से टिकटॉक ऐप से जुड़े हुए थे. कई बड़ी कंपनियों ने स्पॉन्सर किया है और इसके लिए उन्हें लाखों रुपए तक मिले हैं. उनका कहना है कि कंपनियां फॉलोवर्स और कंटेंट देखती हैं और फिर उसके मुताबिक उससे संबंधित कंपनी, एजेंसी, एनजीओ अपना प्रमोशन करवाते थे. अव्वल को कई एजुकेशनल ऐप और संस्थानों से ऐड मिलता था.
मोटिवेशनल स्पीकर अव्वल.दिल्ली की रहने वाली गुंजन के टिकटॉक पर 30 लाख फॉलोअर्स थे. वो हेल्थ से रिलेटेड वीडियो बनाती थीं. गुंजन को एक वीडियो के लिए कंपनी 20 से 30 हजार रुपए पेमेंट करती थी. उन्होंने 'मनी भास्कर' को बताया कि उन्हें हर दिन चार से पांच कंपनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए अप्रोच करती थीं. छोटी कंपनियां एक ऐड वीडियो के पांच से 10 हजार रुपए तक देती थीं. वहीं वीवो, ओप्पो और पूमा जैसे ब्रांड एक मिनट के ऐड के 80 हजार रुपए तक पे करने को तैयार थीं.
टिकटॉकर गुंजन हेल्थ से रिलेटेड वीडियो बनाती थीं.फिक्स्ड इनकम
अगर आप इंस्टाग्राम या अन्य प्लेटफॉर्म पर वीडियो बना रहे हैं और आपका अकाउंट टिकटॉक से अटैच है, आपका कॉन्टेंट अच्छा है, तो टिकटॉक आपके संपर्क करेगा. आपसे कहेगा कि हमारे प्लेटफॉर्म पर हर दिन 20 वीडियो बनाइए, हम आपको हर महीने इतना पे करेंगे. इस तरह से टिकटॉक वीडियो बनाने वाले को एक निश्चित अमाउंट पे करने लगता है. टिकटॉक फॉलोअर्स बेस ऐसे लोगों को मंथली सैलरी देता है.कुछ टिकटॉकर्स टिकटॉक पर फेमस होने के बाद अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए पैसा कमाते हैं. ब्रांड अपने प्रमोशन के लिए उन्हें अप्रोच करते हैं. अगर आप टिकटॉक पर एक सिंगर के रूप में फेमस हो चुके हैं, तो ब्रांड आपको लाइव परफॉर्मेंस का मौका देते हैं. इसके बदले भी टिकटॉकर्स की इनकम होती है.
अब आगे क्या?
टिकटॉक के बंद होने से इस प्लेटफॉर्म से पैसा कमाने वालों का क्या होगा? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टिकटॉक स्टार्स देसी शॉट वीडियो प्लेटफॉर्म रोपोसो ROPOSO और चिंगारी जैसे ऐप की तरफ मूव कर रहे हैं. 'मनी भास्कर' की खबर के मुताबिक, रोपोसो के फाउंडर और InMobi Group के सीईओ नवीन तिवारी का कहना है कि हमारे प्लेटफॉर्म रोपोसो पर यूजर्स की संख्या बढ़ रही है. टिकटॉक के कई बड़े स्टार्स हमारे ऐप से जुड़े हैं. कंपनी का कहना है कि वो ऐसे टिकटॉक स्टार्स को अपने प्लेटफॉर्म पर मौका देगी, जिनके कंटेंट अच्छे हैं. वे यहां से कमाई कर सकते हैं. रोपोसो भारतीय ऐप है. इसे टिकटॉक का तगड़ा विकल्प माना जाता है.
टिकटॉक स्टार्स देसी शॉट वीडियो प्लेटफॉर्म रोपोसो ROPOSO और चिंगारी जैसे ऐप की तरफ मूव कर रहे हैं.हालांकि इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कंपनियों का मानना है कि टिकटॉक इतनी आसानी से इंडियन मार्केट छोड़ने वाला नहीं है. आने वाले समय में हो सकता है कि वह किसी भारतीय कंपनी से हाथ मिला ले और अपने बिजनेस को जारी रखे.
59 ऐप्स पर सरकार के बैन के बाद अब TikTok जैसी कंपनियां क्या कर सकती हैं?















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