The Lallantop

इन पांच शहरों में होली का मतलब सिर्फ रंग लगा के भाग जाना ही नहीं है

देश के अलग-अलग शहरों में होली की मस्ती का रंग भी जुदा होता है.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
वैसे तो होली हम सभी मनाते हैं, लेकिन कुछ जगहों पर होली अलग अंदाज़ में मनाई जाती है. पारंपरिक होली से हटकर कई शहरों में अपने विशिष्ट तरीके से होली का आनंद लिया जाता है. ऐसी ही कुछ ख़ास होलियों पर नज़र डालते हैं.

बनारस:

भोले शंकर का गौना, गुलाल की फुहार के बीच विदा होती पार्वती, रंगों से सराबोर बारातियों और श्मशान में चिता की भस्म के साथ शुरू होती है बनारस की होली. गंगा किनारे होली पर खूब अबीर और गुलाल उड़ता है. भगवान शिव की नगरी में हजारों साल से होली मनाई जाती है. ढोल नगाड़ों के साथ लोग अपने-अपने घरों से निकल पड़ते हैं. क्या देशी, क्या विदेशी भांग का नशा सब पर चढ़ता है. banaras image

बरसाना:

उत्तर प्रदेश के बरसाना की होली काफी मशहूर है. होली के दिन बरसाना की महिलाएं नंदगांव के लड़कों पर लाठियां बरसाती हैं. जिसे लट्ठमार होली कहते हैं. होली के सात दिन पहले से ही माहौल सज जाता है. लट्ठमार होली के अलावा बरसाना की लड्डूमार होली भी काफ़ी मनोरंजक होती है. जिसमें राधा-कृष्णा के गानों पर लोगों पर लड्डू बरसाए जाते हैं. बरसाना में होली खेलने के लिए भारी संख्या में विदेशी मेहमान भी आते हैं. Barsana होली पर सूरदास की पंक्तियां- हरि संग खेलति हैं सब फाग इहिं मिस करति प्रगट गोपी: उर अंतर को अनुराग सारी पहिरी सुरंग, कसि कंचुकी, काजर दे दे नैन बनि बनि निकसी निकसी भई ठाढी, सुनि माधो के बैन डफ, बांसुरी, रुंज अरु महुआरि, बाजत ताल मृदंग अति आनन्द मनोहर बानि गावत उठति तरंग

मथुरा और वृंदावन: 

मथुरा की नगरी में फूलों वाली होली की धूम होती है. एक दूसरों पर फूल फेंक कर होली मनाई जाती है. वहीं द्वारकाधीश के मंदिर में सुबह से ही एक-दूसरे पर रंगों की बौछार की जाती है. मथुरा वही जगह है जहां पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. होली के दिन सुबह से ही यहां के लोग ठंडाई बनाते हुए देखे जा सकते हैं. vrindavan फणाीश्वर नाथ रेणु होली पर- साजन! होली आई है! सुख से हंसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज- साजन ! होली आई है! हंसाने हमको आई है!

आनंदपुर साहिब

पंजाब के आनंदपुर साहिब में होली के दौरान मेले का आयोजन किया जाता है. जिसे होला मोहल्ला कहते हैं. सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने इसकी शुरुआत 1701 में की थी. एक दूसरे पर रंग लगाने के अलावा यहां पर कई करतब भी दिखाए जाते हैं. ट्रैक्टर की रेस से लेकर घोड़ों की दौड़ देखने के लिए लोगों का मजमा लग जाता है. मेले में तलवारबाज़ी भी होती है. hola-mohalla

शांतिनिकेतन:

पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में होली को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत रबिन्द्र नाथ टैगोर ने की थी. यहां पर होली का दिन बेहद खास होता है. विश्व-भारती यूनिवर्सिटी में हर साल प्रोग्राम होता है. स्कूल के बच्चें रंग-बिरंगे कपड़ों में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. रबिन्द्र नाथ टैगोर के कई गानों पर डांस भी किया जाता है. बंगाल की संस्कृति की झलक दिखाई जाती है. विदेशी मेहमान भी इसमें हिस्सा लेने के लिए आते हैं. Photo Credit- flickr
ये भी पढ़िए:

सत्ता किसी की भी हो इस शख्स़ ने किसी के आगे सरेंडर नहीं किया

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

चुनाव के बाद और होली से पहले अखिलेश यादव के लिए 11 शेर

जिस नेता ने मायावती को गाली दी थी, जीतते ही बीजेपी ने उसे पार्टी में शामिल कर लिया

Advertisement
Advertisement