2002 World Cup के फाइनल को Brazil National Team ने जीता था, दूसरी तस्वीर में दिख रहे हैं Oliver Kahn (ट्विटर से साभार)
साल 2002. जनवरी महीने में भारत ने 40 साल बाद चाइना तक सीधी फ्लाइट्स चलाने को मंजूरी दी. लंबी राजनयिक वार्ताओं के बाद यह फैसला लिया गया. एशिया के इतिहास में इसे लैंडमार्क फैसलों में शामिल किया जा सकता है. एशिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले देश फिर से मित्रता के रास्ते पर चल रहे थे. इधर एशिया में एक और लैंडमार्क चीज घटने वाली थी. इसी साल मई-जून में होने वाला था FIFA वर्ल्ड कप. पहली बार एशिया में आए इस टूर्नामेंट को होस्ट करने वाले देश थे साउथ कोरिया और जापान. यह वर्ल्ड कप कई मायनों में खास था. पहली बार यह अमेरिका या यूरोप से बाहर हो रहा था. साथ ही पहली बार इसे दो देश संयुक्त रूप से आयोजित कर रहे थे. इसी वर्ल्ड कप से चाइना, इक्वाडोर, सेनेगर और स्लोवेनिया ने अपना वर्ल्ड कप डेब्यू भी किया. लेकिन इनसे पहले डेब्यू किया फीवरनोवा ने. एडिडास की बनाई इस फुटबॉल ने शुरुआत में खूब चर्चा और बाद में उतना ही अपयश बटोरा. ख़ैर, इसकी बात बाद में करेंगे, अभी टूर्नामेंट पर लौटते हैं.
# बदले की ताक में ब्राज़ील
साल 1998 के फाइनल में हारी ब्राज़ील इस बार चूकना नहीं चाहती थी. उनकी टीम के चार R विश्वविख्यात थे. फॉरवर्ड लाइन में रोनाल्डो, रिवाल्डो और रोनाल्डीनियो और उनके साथ डिफेंस में रॉबर्टो कार्लोस. पिछली बार की चैंपियन फ्रांस से लोगों को बहुत उम्मीद थी, लेकिन सब टूट गईं. फ्रेंच टीम इस वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं जीत पाई और पहले ही राउंड में खेत रही. फ्रेंच प्लेयर्स का प्रदर्शन इतना बुरा रहा, इतना बुरा रहा कि वे तीन मैचों में एक गोल नहीं कर पाए. इधर ब्राज़ील ने अपना हर मैच ऐसे खेल रही थी, मानो पिछले फाइनल की हार का बदला सबसे लेना है. टर्की, चाइना और कोस्टा-रिका को पीटकर ब्राज़ील धूमधाम से अगले राउंड में पहुंचा.
इधर जर्मनी के लिए खेलने वाले मिरोस्लाव क्लोसे नाम के युवा स्ट्राइकर ने अलग गदर काट रखा था. क्वॉलिफेशन में गोल बरसाने के बाद भाई ने पहले ही मैच में मुंड-हैटट्रिक मार दी. अरे मुंड माने खोपड़ी से, वही वाले गोल जिनको फुटबॉल में 'हेडर' कहा जाता है. भाई ने सउदी अरब के खिलाफ तीन गोल मारे, तीनो मुंडी से. जर्मनी ने मैच 8-0 से जीता. जर्मन टीम भी ग्रुप टॉप कर अगले राउंड में आई.
# आगे बढ़ती जर्मनी
नॉकआउट स्टेज में ब्राज़ील ने बेल्जियम को 2-0, इंग्लैंड को 2-1 और टर्की को 1-0 से हराकर फाइनल में एंट्री की. इधर जर्मनी ने पराग्वे, अमेरिका और साउथ कोरिया को 1-0 के समान अंतर से हराया. फाइनल हुआ 30 जून को, जापान के शहर योकोहामा में. जर्मनी ने पूरे वर्ल्ड कप में सिर्फ एक गोल खाया था. उनके गोलकीपर ओलिवर कान घर-घर में पहचाने जाने लगे थे. आलम ये था कि गली क्रिकेट के विकेटकीपर भी खुद को कान बुलाया जाना पसंद करने लगे थे. पूरी उम्मीद थी कि फाइनल बराबरी का होगा. उम्मीद हो भी क्यों ना, रोनाल्डो के छह गोल्स के जवाब में जहां क्लोसे थे, वहीं कान को टक्कर देने के लिए ब्राज़ील के पास मार्कोस थे ही. उस वर्ल्ड कप का फाइनल खेली जर्मन टीम को वर्ल्ड कप इतिहास की सबसे घटिया फाइनलिस्ट कहा जाता है. दस्तावेज उठाकर देखिए, यही लिखा मिलेगा कि ओलिवर कान न होते, तो जर्मनी वर्ल्ड कप फाइनल नहीं खेल पाता.
दूसरी ओर मार्कोस का कमाल ब्राज़ीली R चौकड़ी के आगे अनदेखा रह गया. ख़ैर, फाइनल शुरू हुआ. 32 टीमों के साथ शुरू हुआ वर्ल्ड कप अब दो प्लेयर्स की जंग बनकर रह गया था. ब्राज़ीली रोनाल्डो बनाम जर्मन कान. मैच का पहला पूरा हाफ बीत गया, ओलिवर कान रावण की सभा में अंगद बने डटे रहे. ब्राज़ीली टीम की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं. दूसरा हाफ शुरू हुआ. इसके 21 और कुल 66 मिनट तक पूरा ब्राज़ील मिलकर कान को हिला नहीं पाया.
# खेत रहे द 'टाइटन'
लेकिन हर चट्टान के जीवन में वो दिन आता है, जब उसे टूटना पड़ता है. ऐसा ही हुआ. मैच के 67वें मिनट में रिवाल्डो ने काफी दूर से एक शॉट लिया. कैमरे की नज़र से लगा कि इसे तो कान बेहद आसानी से रोक लेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. बॉल आई और कान के हाथों से छिटक सीधे रोनाल्डो के पैरों पर गिर गई. रोनाल्डो के पैरों पर बॉल गिराने का मतलब यूट्यूब फैन के सामने टिकटॉक की बड़ाई कर देना. बस, रोनाल्डो ने फट से बॉल को कान के पीछे गोल में धकेल दिया.
यह बहुत बड़ी ग़लती थी और कान को इसका अंदाजा हो गया था. इस गोल के कुछ ही मिनट बाद, मैच का 79वां मिनट. जर्मन डिफेंडर्स की सुस्ती का पूरा फायदा उठाकर रोनाल्डो ने मैच का दूसरा गोल दाग दिया. जर्मनी एक भी गोल नहीं कर पाई. ब्राज़ील वर्ल्ड चैंपियन बन गया. मैच के बाद अपने गोलपोस्ट पर निराश बैठे कान की तस्वीर अमर हो गई. हर फुटबॉल प्रेमी को निराश ओलिवर कान की वह तस्वीर ताउम्र याद रहेगी. बाकी दुनिया तो इस वर्ल्ड कप से रोनाल्डो की हेयरस्टाइल ही याद रखती है. बाद में कान को गोल्डेन बॉल मिली. यह फुटबॉल वर्ल्ड कप में बेस्ट प्रदर्शन करने वाले प्लेयर को दी जाती है. 'द टाइटन' के नाम से मशहूर रहे कान यह गोल्डेन बॉल जीतने वाले इकलौते गोलकीपर हैं. कान ने इस वर्ल्ड कप में गोल्डेन ग्लव्स भी जीते थे. यह टूर्नामेंट के बेस्ट गोलकीपर को मिलने वाला सम्मान है. कान यह डबल जीतने वाले इकलौते गोलकीपर भी हैं.
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