The Lallantop

बच्चों की शादी रोकने के लिए बनाया गया कानून, जिसमें बदलाव की बात पीएम मोदी कर रहे हैं

क्या है शारदा एक्ट, जिसकी जगह चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट लाया गया.

Advertisement
post-main-image
UNICEF की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ पूरी दुनिया में अभी भी 65 करोड़ लड़कियां/महिलाएं ऐसी हैं जिनकी शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी गई थी. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
10 साल की फूलमणि दासी. फूलमणि की शादी 30 साल से भी ज्यादा उम्र के हरिमोहन मैती से कर दी गई थी. हरिमोहन ने उसका बलात्कार किया, इस वजह से फूलमणि की मौत हो गई. लेकिन हरिमोहन मैती पर रेप के चार्जेज नहीं लगे. क्यों? क्योंकि फ़ूलमणि उसकी पत्नी थी. और पत्नी के साथ संबंध बनाना बलात्कार नहीं था. यही नहीं, तब कोई न्यूनतम उम्र निर्धारित नहीं थी शादी के लिए.
साल था 1890.
ब्रिटिश सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप करके कानून बनवाया. इसे कहा गया ‘एज ऑफ कंसेंट एक्ट’, जो 1891 में पास हुआ था. इसमें शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए लड़कियों की सहमति की उम्र (यानी एज ऑफ कंसेंट) को 12 साल कर दिया गया था.
Wed (2) बाल विवाह रोकने के लिए सरकार ने कानून बनाने के साथ साथ जागरूकता अभियान भी चलाये हैं, लेकिन फिर भी लगातार आती खबरें ये बताती हैं कि बाल विवाह लगातार हो रहे हैं. (सांकेतिक तस्वीर: Pixabay)

इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आए थे, जिनमें बेहद कम उम्र की लड़कियों की शादी करा दी गई थी. लेकिन फूलमणि मामले ने कानून बनाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी. पंडिता रमाबाई, आनंदी गोपाल जोशी जैसी उस समय की क्रांतिकारी महिलाओं ने इसका समर्थन किया था. बाल गंगाधर तिलक ने इस कानून का विरोध करते हुए ये कहा था कि ये हमारी संस्कृति में दखल है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हम इस 130 साल पुरानी घटना का ज़िक्र क्यों कर रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 15 अगस्त को इस तरफ इशारा किया कि सरकार जल्द ही लड़कियों की शादी की उम्र में बदलाव करने पर फैसला ले सकती है.
इसी साल बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में बात की थी. कि कैसे 1978 में लड़कियों की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी. उन्होंने ये भी कहा था कि लड़कियों के कम पोषण स्तर और जन्म देने के दौरान होने वाली उनकी मौतें भी चिंता का विषय हैं, जिनसे निपटना जरूरी है. इन सभी मुद्दों के मद्देनज़र एक टास्कफोर्स बनाई गई. जून 2020 में. ये टास्कफ़ोर्स सरकार को रिपोर्ट देगी. फिर उसके हिसाब से कानून में बदलाव किए जाएंगे. लेकिन इस कानून के पीछे की कहानी एक बार समझ लेते हैं.
शारदा एक्ट 1929
साल 1929 में एक बिल पास हुआ. नाम था ‘चाइल्ड मैरिज रीस्ट्रेंट एक्ट’. इसे ही शारदा एक्ट कहा गया, क्योंकि 1927 में इसे इंट्रोड्यूस कराने वाले व्यक्ति थे राय साहिब हरबिलास शारदा. एक्ट में पहले लड़की की शादी के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष रखी गई और लड़कों के लिए 18 वर्ष. 1 अप्रैल 1930 को ये कानून पूरे ब्रिटिश भारत में लागू किया गया. हिन्दू और मुस्लिम महिलाओं ने मिलकर इसे पास कराने की मांग की. इसके लिए प्रदर्शन किए.
Wed 7 कई बार तो बच्चियों की शादी इसलिए भी करा दी जाती है, क्योंकि घरवालों को लगता है कि यही सही टाइम है.(सांकेतिक तस्वीर)

बिल पास तो हुआ, लेकिन ब्रिटिश भारत में इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा. इसके पीछे तर्क ये दिए जाते हैं कि ब्रिटिश सरकार उस वक़्त सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ नहीं जाना चाहती थी. इस वजह से ही इस बिल के पास होने के बाद भी बाल-विवाह में कोई कमी नहीं देखी गई. बाद में इसमें बदलाव किए गए और लड़की के लिए उम्र 18 वर्ष की गई. लड़के की 21 वर्ष. साल 2006 में भारत सरकार ने शारदा एक्ट को रिप्लेस करते हुए नया एक्ट पास किया, जिसका नाम था बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006.
वर्तमान कानून के हिसाब से अभी शादी की क्या उम्र है?
इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, और हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, सभी के अनुसार शादी करने के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए. इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है.
सज़ा क्या है?
फिलहाल देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है, जिसके मुताबिक़ 21 साल और 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा. ऐसा करने और करवाने पर दो साल की जेल या एक लाख तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है. इसमें कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं. ये सजा इन सभी लोगों पर लागू होती है:

कोई भी वयस्क पुरुष, जो 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह करता है.

Advertisement

कोई भी वयस्क व्यक्ति, जो ऐसी शादी की इजाज़त देता है.

कोई भी वयस्क, जो ऐसी शादी संपन्न करवाता है या उसे प्रमोट करता है.

Advertisement
इस एक्ट के तहत सरकार Child marriage prohibition ऑफिसर्स नियुक्त करती है, जिनका काम होता है बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना. साथ ही कहीं ऐसी शादी होने की जानकारी मिले, तो उसके खिलाफ एक्शन लेना.
Bride Kalpana And Groom Bhavin Munjpara Exchange Wedding Vows Inside A Hospital In Ahmedabad लड़कियों की शादी की उम्र बढाने के पीछे मैटरनल मोर्टेलिटी रेट (MMR) यानी माओं की मृत्यु दर कम करना, लड़कियों में पोषण की कमी को एड्रेस करना जैसी वजहें दी जा रही हैं. (सांकेतिक तस्वीर)

लड़कों की उम्र कम करना ऑप्शन नहीं?
31 अगस्त, 2018 को लॉ कमीशन ने ‘परिवार क़ानून में सुधार’ के मुद्दे पर एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया था. इसमें कहा गया, ‘अगर वोट डालने की एक उम्र मतलब 18 साल तय कर दी गई है, जिसमें नागरिक अपनी सरकार चुन सकते हैं, तो उसी उम्र को शादी की उम्र भी मान लेना चाहिए’. हवाला दिया गया, Indian Majority Act, 1875 का, जिसमें बालिग़ होने की उम्र 18 साल मानी गई है.
साथ में ये बात भी कही गई-
‘पति-पत्नी की उम्र के अंतर का कोई कानूनी आधार नहीं है. लड़के की उम्र ज़्यादा रखना दकियानूसी है. शादी कर रहे दोनों लोग हर तरह से बराबर होते हैं. उम्र भी बराबर हो सकती है, क्योंकि साझेदारी (जिसका यहां मतलब शादी है) बराबरी वालों के बीच होनी चाहिए.’
बेसिकली लॉ कमीशन ये कह रहा था कि शादी में न कोई किसी से छोटा है, न कोई बड़ा. तो लड़कों की उम्र भी 21 से 18 की जा सकती है.
Wedding 5 3 09 Clise Mansion, Hindu लड़कों की उम्र कम करने की अपील को कोर्ट खारिज कर चुका है. लेकिन कुछ लोग ये तर्क अक्सर देते पाए जाते हैं कि ये अंतर नहीं होना चाहिए. लड़का और लड़की दोनों की उम्र सामान होनी चाहिए. (सांकेतिक तस्वीर)

अक्टूबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट में लॉयर अशोक पांडे ने जनहित याचिका दायर की थी. मांग की थी कि लड़कों की शादी की उम्र घटाकर 21 से 18 साल कर दी जाए. तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने मामले को न सिर्फ खारिज कर दिया, बल्कि 'इकॉनमिक टाइम्स' के मुताबिक़, अशोक पांडे पर फाइन भी लगाया. कहा कि इंतज़ार करिए, जिस दिन कोई 18 साल का लड़का शादी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास याचिका लेकर आएगा, तब देखेंगे.
अगस्त, 2018 में ही एक मामला सामने आया था दिल्ली हाई कोर्ट में. लड़का और लड़की दोनों ही 19 साल के थे. उन्होंने कहा था कि वो शादी करना चाहते हैं, लेकिन घरवालों से उन्हें ख़तरा है. वो ये शादी नहीं होने देना चाहते. उनकी याचिका में कहा गया कि पुरुषों की शादी की उम्र भी घटा देनी चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों को सुरक्षा तो दी, लेकिन उम्र वाले मामले पर सुनवाई नहीं की.
हाल में क्या अपडेट हुए हैं?
अगस्त 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया. मामला था लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से 21 वर्ष करने का. फिर इस मुद्दे पर दोबारा बहस शुरू हुई. अब कमिटी की रिपोर्ट के बाद इस पर विचार किया जाएगा कि इस पर क्या कदम उठाए जाने चाहिए. सरकार द्वारा बनाई गई इस कमिटी को लीड कर रही हैं जया जेटली. 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, इस कमिटी को अपनी रिपोर्ट 31 जुलाई 2020 तक सरकार को सबमिट करनी थी, जो कि अब तक नहीं हुई है.
दूसरे देशों में क्या उम्र है?
140 से ज्यादा देशों में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. यमन और सऊदी अरब में कोई भी मिनिमम उम्र नहीं है शादी की. इंडोनेशिया, नाइजीरिया जैसे 20 देशों में न्यूनतम उम्र 21 साल है.


वीडियो:अलीगढ़ की इस BJP नेता पर मुस्लिम लड़कियों का धर्म बदलवाकर जबरन शादी करवाने का आरोप

Advertisement
Advertisement