ये लिस्ट जारी हुई 21 मार्च को. इसमें 29वें नंबर पर है स्मृति का नाम. वो अमेठी की सीट से खड़ी की गई हैं. लिस्ट में उनके अलावा 183 और उम्मीदवारों के भी नाम हैं. हिंदू भी, मुस्लिम भी. मगर किसी का धर्म मेंशन नहीं है. ऐसे में ये सवाल तो बनता है कि बस स्मृति का ही धर्म क्यों बताया गया?

इस लिस्ट में 100 नाम हैं. इनमें बस स्मृति के नाम के आगे धर्म का ज़िक्र है. बाकी किसी का धर्म बताने की जरूरत नहीं समझी गई.
पहले 'पारसी' लिखा, तो बाद में हटा क्यों दिया? इसमें भी एक दिलचस्प बात हुई. बीजेपी की तरफ से मीडिया को जो लिस्ट जारी की गई, उसमें स्मृति के आगे उनकी पारसी पहचान का ज़िक्र है.
लोगों ने इसके बारे में लिखना शुरू किया. बाद में जब ये लिस्ट बीजेपी ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की, तो उसमें ये पारसी रेफरेंस नहीं था.
तो क्या आलोचनाओं के बाद ये तब्दीली की गई? अगर हां, तो क्यों? पहले लिखा ही क्यों? हटा क्यों दिया?

ये वही लिस्ट है. मगर बीजेपी ने इसे अपने यहां अपलोड करते समय पारसी वाला रेफरेंस हटा दिया. हटाया तो अच्छी बात है, लेकिन पहले डाला ही क्यों था.
स्मृति कहती हैं, वो हिंदू हैं पार्टी ने भले स्मृति के नाम के आगे पारसी लिखा हो, मगर वो खुद को हिंदू मानती हैं. अतीत में सार्वजनिक तौर पर कह चुकी हैं कि पारसी से शादी करने पर भी उन्होंने अपना हिंदू धर्म नहीं छोड़ा है. वो अब भी हिंदू ही हैं. नवंबर 2018 में उन्होंने एक ट्वीट किया था. इसमें लिखा था-
मेरा गोत्र कौशल है. मेरे पिता का, उनके पिता का, उनके पिता का और उनके भी पिता का. सबका यही गोत्र था. मेरे पति और बच्चे पारसी है. इसीलिए उनका गोत्र नहीं हो सकता. मैं अभी भी हिंदू धर्म मानती हूं और उसे फॉलो करती हूं. मैं जो सिंदूर लगाती हूं, वो मेरे हिंदू होने के नाते है.

और भी कुछ मौकों पर स्मृति ईरानी कह चुकी हैं कि उनके पति पारसी हैं, लेकिन वो खुद प्रैक्टिसिंग हिंदू हैं. उनके इस ट्वीट का आखिरी लाइन पढ़कर लगता है कि वो खुद पर उठाए गए सवाल से चिढ़ गई थीं. ये वाजिब रिऐक्शन था. मगर जरूरी है कि औरों के मामले में भी इस बात का ध्यान रखा जाए.
किसी ने स्मृति से उनके धर्म पर सवाल किया था ये ट्वीट स्मृति ने एक ट्विटर यूजर को जवाब देते हुए लिखा था. उस शख्स ने एक ट्वीट करके स्मृति, उनके पति और बच्चों का गोत्र पूछा था. स्मृति के ट्वीट के आखिर में लिखा था- अब वापस अपनी ज़िंदगी का रुख कीजिए. पढ़ने से लगा कि वो इस सवाल से चिढ़ गई थीं. चिढ़ना भी चाहिए. धर्म क्या, जाति क्या, गोत्र क्या, ये सब कितने दो-कौड़ी के वाहियात सवाल हैं. पूछना है तो किसी की योग्यता पूछो. पढ़ाई-लिखाई और बाकी ढंग की चीजें पूछो.
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