इस मेल का मजमून कुछ यूं था-
अल्लाह के नाम पर इंडियन मुजाहिदिन एक बार और हमला कर रहा है... जो चाहो कर लो. रोक सकते हो तो रोक लो.इससे पहले भी इस ग्रुप की ओर से उत्तर प्रदेश में बम धमाके, जयपुर बम धमाके और अहमदाबाद में बम धमाके से पहले मेल भेजे जा चुके थे. जब तक मीडिया घराने इस ई-मेल के बारे में कुछ सोच पाते और पुलिस के किसी बड़े अधिकारी को सूचना दे पाते, शाम के 6 बजकर 10 मिनट पर गफ्फार मार्केट में एक धमाका हुआ. अभी पुलिस कुछ समझ पाती, उससे पहले ही दिल्ली का दिल कहा जाने वाला कनॉट प्लेस भी धमाके से दहल गया. इसके बाद तो बाराखंभा रोड में गोपालदास बिल्डिंग के पास 6 बजकर 30 मिनट पर एक और ब्लास्ट हुआ. इसके एक मिनट बाद ही 6 बजकर 31 मिनट पर सेंट्रल पार्क मेट्रो स्टेशन पर बम धमाका हुआ. इसी दौरान ग्रेटर कैलाश 1 में M ब्लॉक मार्केट में मैक डोनल्ड के पास भी धमाका हुआ. और इसके सात मिनट के बाद इसी बाजार में प्रिंस पान भंडार के पास एक और धमाका हुआ.

दिल्ली में हुए पांच बम धमाकों से 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
30 मिनट के अंदर एक के बाद एक हुए पांच धमाकों से देश की राजधानी दिल्ली दहल गई. बम स्क्वॉड ने इस दौरान चार जिंदा बम भी बरामद किए. एक बम इंडिया गेट के पास था, दूसरा कनॉट प्लेस में रिगल सिनेमा के पास था, तीसरा बम कनॉट प्लेस में था और चौथा बम पार्लियामेंट स्ट्रीट पर रखा हुआ था. जब बमों को डिफ्यूज किया गया, तो पता चला कि इन बमों की क्षमता कम थी. इन्हें अमोनियम नाइट्रेट, गन पाउडर और बॉल बेयरिंग मिलाकर बनाया गया था. ऐसे ही बमों का इस्तेमाल जयपुर, बैंगलोर और अहमदाबाद में धमाकों के लिए किया गया था.
धमाके के बाद हवा में उछला ऑटो और बिजली के तार से टकरा गया

धमाका करने के लिए आतंकियों ने ऑटो में रखे सीएनजी सिलिंडर का इस्तेमाल किया था.
गफ्फार मार्केट में हुआ पहला बम धमाका सीएनजी सिलिंडर में विस्फोट की वजह से हुआ था. ये सिलिंडर ऑटो में रखा था. धमाके के बाद ऑटो हवा में उछला और बिजली के तार से टकरा गया. इसकी वजह से हादसा और बड़ा हो गया. प्रिंस पान भंडार और मैक डोनल्ड के पास जो धमाका हुआ था, उसमें बम को कचरे के डिब्बे में रखा गया था. ग्रेटर कैलाश के एम मार्केट में जो धमाका हुआ उसे एक कार में रखा गया था, ताकि नुकसान ज्यादा हो. हालांकि एम ब्लॉक धमाके में नुकसान ज्यादा नहीं हुआ. और इन सारे धमाकों के बाद जब मरने वालों और घायलों की संख्या की गिनती शुरू हुई तो पता चला कि इन बम धमाकों में कम से कम 30 लोग मारे गए हैं और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
शुरू हुई धमाकों की जांच और और एक हफ्ते में हो गया बटला हाउस एनकाउंटर

बाटला हाउस एनकाउंटर को लीड करने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा भी शहीद हो गए थे.
दिल्ली में धमाकों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदिन ने खुद ई-मेल कर ली थी. जांच के एक हफ्ते के अंदर ही पुलिस को 19 सितंबर, 2008 को पता चला कि दिल्ली के जामियानगर इलाके के बटला हाउस के मकान नंबर एल 18 में इंडियन मुजाहिदिन के कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं. इसके बाद 19 सितंबर की सुबह 8 बजे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा ने दिल्ली की स्पेशल सेल के लोधी कॉलोनी स्थित ऑफिस में मौजूद एसआई राहुल सिंह को फोन किया. राहुल सिंह अपने साथियों एसआई रविंद्र त्यागी, एसआई राकेश मलिक, हवलदार बलवंत, सतेंद्र और विनोद गौतम को एक प्राइवेट गाड़ी से लेकर बाटला हाउस पहुंचे. मोहन चंद शर्मा के बेटे को डेंगू था, तो वोबेटे को नर्सिंग होम में छोड़कर बटला हाउस पहुंचे.

शहजाद अहमद को दिल्ली की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा दी है.
टीम ने बटला हाउस की घेराबंदी की. इसके बाद एसआई धर्मेंद्र कुमार फोन कंपनी के सेल्समैन के लुक में पहुंचे और एल 18 का गेट खटखटाया. पुलिसवाले नीचे इंतजार करते रहे, लेकिन इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा सीढ़ियां चढ़ने लगे. गेट खुलने के साथ ही अंदर चार लड़के नज़र आए, जिनमें अमीन, साजिद, आरिज और शहजाद पप्पू थे. सैफ नाम का लड़का बाथरूम में था. इसी के साथ गोलियां चलनी शुरू हो गईं. गोलीबारी में दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए. वहीं दो और संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान फरार हो गए, जबकि एक आरोपी जीशान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. मुठभेड़ में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को भी गोली लग गई और 20 सितंबर को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. 6 फरवरी 2010 को इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या में पुलिस ने शहजाद अहमद को गिरफ्तार कर लिया. 2013 में कोर्ट ने शहजाद अहमद को उम्र कैद की सजा दी.
और शुरू हुआ गिरफ्तारियों का सिलसिला

यासीन भटकल (बाएं) पुलिस की गिरफ्त में है. कहा जा रहा है कि रियाज (दाएं) मारा जा चुका है और उसे असम में दफना दिया गया है.
इंडियन मुजाहिदिन को चलाने वाले दो लोग थे. याासीन भटकल और रियाज भटकल. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई, यासीन और रियाज के ब्लास्ट में शामिल होने की बात पुष्ट होती गई. 29 अगस्त 2013 को एनआईए ने यासीन को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया. उसके साथ असुदुल्लाह अख्तर को भी गिरफ्तार किया गया था. वहीं 2016 में सामने आया कि रियाज भटकल की असम में हत्या कर दी गई है. फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस ने इंडियन मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड आतंकी आरिज खान उर्फ जुनैद को गिरफ्तार कर लिया. यही आरिज खान था, जो दिल्ली में हुए सिलसिलेवार धमाकों का जिम्मेदार था और जो एनकाउंटर से बचकर भाग गया था. उसने आतिफ अमीन के साथ मिलकर ग्रेटर कैलाश के एम मार्केट में बम रखा था. आतिफ बटला हाउस एनकांउटर में मारा गया था. वहीं यासीन भटकल के साथ गिरफ्तार हुआ असदउल्लाह आतिफ का दाहिना हाथ था और दिल्ली धमाकों में उसकी भूमिका थी.
आरिज के खिलाफ दाखिल हुई चार्जशीट

आरिज खान को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था.
दिल्ली पुलिस ने एक सितंबर 2018 को आरिज खान के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है.
चार्जशीट के मुताबिक-
आरिज ने खुद को इंजीनियरिंग का स्टूडेंट बताते हुए 10 मई, 2008 को चांदनी चौक से साइकल के पुर्जे बेचने वाली दुकान से 20,000 बॉल बेयरिंग खरीदी थी. 50 पन्नों की चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया कि बम धमाके वाले इलाके की सीसीटीवी फुटेज में आरिज दिखा है. उसके सिर पर टोपी है. बॉल बेयरिंग खरीदने के बाद दूसरे आतंकी आतिफ अमीन, सैफ और खालिद कर्नाटक के उडूपी गए थे. ये लोग 28 जुलाई 2008 को उडूपी गए थे. 31 अगस्त को सभी वापस आए थे. इसी दौरान 8 सितंबर को हाकिम बग्गा नाम का एक आतंकी लखनऊ से दिल्ली पहुंचा. जब सब एक साथ दिल्ली पहुंच गए तो इन्होंने 8 सितंबर को ही बटला हाउस में फ्लैट नंहर एल 18 को किराए पर लिया. 9 सितंबर को इन लोगों ने कनॉट प्लेस की रेकी की. इस दौरान उन्होंने कुछ फोटो भी खींचे, जिसे पुलिस ने बटला हाउस में मारे गए आतंकी साजिद के मोबाइल से बरामद भी किया था.

पुलिस के साथ ही फोरेंसिक एक्सपर्ट ने जांच के बाद बताया था कि धमाके कम तीव्रता के थे.
इसके बाद जुनैद और आतिफ 13 सितंबर को सुबह एस्कॉर्ट हॉस्पिटल भी गए थे. वहां से उन्होंने एक ऑटो गिया और ग्रेटर कैलाश स्थित एम ब्लाक मार्केट पहुंचे. शाम के करीब 5 बजकर 45 मिनट पर जुनैद ने पार्किग में खड़े साइकिल पर बम रखा. इसी तरह अलग-अलग जगहों पर बम रखे गए और पूरी दिल्ली एक साथ दहल गई. फिलहाल मामला अदालत में है. यासीन भटकल और आरिज के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. मामले से जुड़े आतंकी या तो जेल में हैं या फिर मार दिए गए हैं.
केरल नन रेप केस में पादरी को कौन बचा रहा है!