सुप्रीम कोर्ट भारत की सबसे बड़ी अदालत है. उसके फैसले को हुक्म कहा जाता है और उसका वज़न होता है संसद से पास हुए किसी कानून के बराबर. आप भारत के किसी कोने में हों, अदालत का हुक्म बराबरी से लागू होता है. लेकिन शायद मुंबई के नरीमन पॉइंट स्थित स्टेट बैंक भवन का मामला कुछ अलग है. कोर्ट पांत-पांत चल रही है, तो स्टेट बैंक डाल-डाल. इलेक्टोरल बॉन्ड पर कोर्ट के फैसले को 33 दिन हो गए, नियमित रूप से सरकार और बैंक लताड़ खा रहे हैं, लेकिन अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित सारी जानकारी प्रकाश में नहीं आई. आज, माने 18 मार्च को एक बार फिर सुनवाई हुई और फिर आया एक बड़ा आदेश. क्या SBI अब वास्तव में बता देगा कि किसने पैसा दिया और किसने लिया, या कानून की कोई पतली गली अब भी बाकी है, जिसमें वो जाकर शरण लेगा. ये बात हम नहीं कह रहे हैं. भारत के मुख्य न्यायाधीश की शिकायत है कि जब तक अदालत कुछ नहीं कहती, तब तक बैंक भी हाथ धरे बैठा रहता है. आखिर क्यों CJI को ऐसा कहना पड़ा. आखिर कौन है, जिसके इशारे पर ये आना-कानी हो रही है. इन्हीं सवालों पर बात होगी आज बड़ी खबर में. नमस्कार, सौरभ द्विवेदी नाम है हमारा और आप देखना शुरू कर चुके हैं दि लल्लनटॉप शो.