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आसमान में उड़ते गुब्बारे ने अमेरिका की हालत ख़राब कर दी!

अमेरिका के आसमान में उड़ रहा अनजान गुब्बारा

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आसमान में तैरता गुब्बारा (फोटो: एपी)

सफ़ेद रंग का एक विशाल गुब्बारा अमेरिका के आसमान में कई दिनों से तैर रहा है. दावा किया जा रहा है कि ये चीन की करामात है. इस ख़बर ने पूरी सरकार और सेना की नींद उड़ा दी है. मामला इतना गंभीर है कि इसका सवाल संसद में भी उठने लगा है. निचले सदन के स्पीकर केविन मैक्कार्थी ने ‘गैंग ऑफ़ एट’ की ब्रीफ़िंग के लिए कहा है. गैंग ऑफ़ एट एक कमिटी है. इसमें अमेरिकी संसद के दोनों सदनों के डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसद होते हैं. सरकार क्लासीफ़ाईड मसलों पर इसी कमिटी को ब्रीफ़ करती है.

आसमान में तैरता गुब्बारा (फोटो: एपी)

दूसरी तरफ़, पेंटागन का कहना है कि फिलहाल आम लोगों को कोई ख़तरा नहीं है. ये अभी कॉमर्शियल फ़्लाइट्स के लिए तय ऊंचाई से भी ऊपर है. हालांकि, उसने गुब्बारे को ट्रैक करना ज़रूर शुरू कर दिया है. पेंटागन, अमेरिका के रक्षा मंत्रालय का हेडक़्वार्टर है. उसने गुब्बारे की जानकारी राष्ट्रपति जो बाइडन तक पहुंचा दी है. मीडिया रपटों के अनुसार, उस गुब्बारे को शूट करने का आदेश राष्ट्रपति ही दी सकते हैं. अभी के लिए उन्होंने उस पर फ़ायर करने से मना किया है. आशंका इस बात से है कि, अगर गुब्बारे के अंदर बारूद या दूसरी ख़तरनाक चीजें हुईं तो, नीचे रहने वाले लोगों पर इसका असर पड़ सकता है. इसके चलते सरकार अनिश्चित है.

ये ख़बर तीन बड़ी वजहों से दिलचस्प और डराने वाली भी है.

नंबर एक. वर्ल्ड वॉर और कोल्ड वॉर में खुफिया जानकारियां जुटाने के लिए बलून्स का इस्तेमाल ख़ूब हुआ है. कई बार उनके जरिए जान-माल को भी नुकसान पहुंचाया गया. उस समय ड्रोन्स और दूसरी अत्याधुनिक मशीनों की कमी थी. अभी के समय में अमेरिका ना तो युद्ध में है और ना ही खुफिया यंत्रों की कमी है.

नंबर दो. अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन जल्दी ही चीन के दौरे पर जाने वाले हैं. इस दौरे में उनकी मुलाक़ात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी होनी है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि, चीन ऐसी हरक़त करके हासिल क्या करना चाहता है? क्या वो कई मेसेज देने की कोशिश कर रहा है? और, क्या ब्लिंकन अपना दौरा रद्द कर सकते हैं?

नंबर तीन. अमेरिका ने पिछले दिनों ही फ़िलिपींस के साथ सिक्योरिटी डील की है. इसके तहत, यूएस मिलिटरी को फ़िलिपींस के चार और सैन्य अड्डों का इस्तेमाल करने की इज़ाजत मिल गई है. इनके जरिए अमेरिका, चीन की घेराबंदी कर सकता है. दरअसल, फ़िलिपींस साउथ चाइना सी के दूसरे किनारे पर है. एक तरफ़ चीन है. साउथ चाइना सी में नियंत्रण को लेकर दोनों देश कई बार उलझ चुके हैं. ऐसे समय में अमेरिका को मिलिटरी बेसेस मिलने से चीन नाराज़ है. अगर गुब्बारा भेजने के पीछे चीन है तो इसकी एक वजह ये भी हो सकती है. और, अगर वजह ये हुई तो, आने वाले दिनों में साउथ-ईस्ट एशिया की पोलिटिक्स में बड़ा फेरबदल दिख सकता है.

ये तो हुई हाइपोथीसिस. यानी, अनुमान पर आधारित कल्पनाएं. अगर ऐसा हुआ तो कैसा हो सकता है?

अभी हम मौजूदा ख़तरे के बारे में जान लेते हैं. अमेरिका में हड़कंप क्यों मचा है? गौर से देखने पर इसकी चार बड़े कारण दिखाई देते हैं.

> नंबर एक. अनिश्चितता. जो गुब्बारा अमेरिका में उड़ रहा है, वो मेले या बर्थडे में उड़ाने वाला नहीं है. ये वैसा है, जिसमें गैस भरकर फिर उड़ाया जाता है. बहुत विशाल सा. उस गुब्बारे में कई लोग बैठ सकते हैं या उसके आकार की कोई भी मशीन फ़िट की जा सकती है. अमेरिका को अभी ये पता नहीं है कि, उसके अंदर क्या  है और किसने भेजा है? इस वजह से वे कार्रवाई को लेकर निश्चिंत नहीं है. 01 फ़रवरी को डिफ़ेंस मिनिस्टर लॉयड ऑस्टिन और यूएस मिलिटरी के टॉप अधिकारियों की मीटिंग भी हुई. उससे पहले ही गुब्बारे को मार गिराने के लिए F-22 फ़ाइट जेट्स तैनात कर दिए गए थे. लेकिन जनरल्स इसके लिए राज़ी नहीं हुए. वे अभी और पुष्ट जानकारी चाहते हैं.

> नंबर दो. सीक्रेट जानकारियां. ये गुब्बारा इस समय अमेरिका के पश्चिम में मोन्टाना स्टेट के ऊपर उड़ रहा है. उसके नीचे न्युक्लियर मिसाइल्स के साइलोज़ हैं. इन साइलोज़ में अमेरिका अपनी न्युक्लियर मिसाइल्स रखता है. इन मिसाइल्स को एक ऑर्डर पर फ़ायर किया जा सकता है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि गुब्बारे में लगी सर्विलांस की मशीनें संवेदनशील जानकारियां चुरा रही हैं. ये अमेरिका की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक है.

- नंबर तीन. राजनैतिक चुनौती. एक तरफ़, सरकार गुब्बारे के साइज़ और उसकी करेंट लोकेशन बताने से परहेज कर रही है. अमेरिका ने ये मसला चीनी अधिकारियों के सामने उठाया है. लेकिन उसकी भी डिटेल्स बाहर नहीं आई है. दूसरी तरफ़, हाउस ऑफ़ रिप्रजेंटेटिव्स के स्पीकर केविन मैक्कार्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने सरकार को गैंग ऑफ़ एट के सामने सारी जानकारियां रखने के लिए कहा है. मैक्कार्थी ने ट्वीट किया, ‘चीन ने अमेरिका की संप्रभुता का अपमान किया है. इस हरकत का जवाब देना आवश्यक है. राष्ट्रपति बाइडन इस पर चुप्पी नहीं साध सकते.’

- नंबर चार. दहशत. मोन्टाना में रहने वाले आम लोग गुब्बारे को लेकर परेशान हैं. सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें लिखी जा रहीं है. अगर सरकार ने उनकी चिंताएं दूर नहीं कीं तो अफ़वाह फैलने की आशंका है.

एक आशंका और है, जिससे साउथ-ईस्ट एशिया की जियो-पोलिटिक्स का चाल-चरित्र बदल सकता है. बात ये है कि, अमेरिका के विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन अगले हफ़्ते चीन के दौरे पर जा रहे है. वो ऐसा करने वाले बाइडन सरकार के पहले कैबिनेट मंत्री होंगे. इस टूर में ताइवान, कोविड-19 और सिक्योरिटी जैसे मसलों पर चर्चा होनी है. हालांकि, उनके दौरे से ठीक पहले घटी दो बड़ी घटनाओं ने तनाव कई गुणा बढ़ा दिया है. एक फ़िलिपींस के साथ डिफ़ेंस डील और दूसरा अमेरिका के ऊपर गुब्बारा. कई रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से ये दावा किया जा रहा है कि, ब्लिंकन अपना दौरा रद्द कर सकते हैं. मगर अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ़ से इस बाबत कोई पुष्ट जानकारी नहीं आई है.

अब एक और जिज्ञासा शांत कर लेते हैं. गुब्बारे का ख़तरा कितना गंभीर है?

पेंटागन का दावा है कि आम लोगों और इमारतों को नुकसान की आशंका नहीं के बराबर है. हालांकि, गुब्बारे का साइज़ काफ़ी बड़ा है. इसलिए, वो उतनी ऊंचाई पर होने के बावजूद लोगों को दिख रहा है. इसके अलावा, अमेरिकी एजेंसियां उस पर नज़र बनाए हुए है. उन्हें पता है कि गुब्बारा कब किस जगह पर पहुंच रहा है.

दूसरी बात, अमेरिका के पास गुब्बारे को गिराने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं. उनके पास अत्याधुनिक फ़ाइटर जेट्स और मिसाइलें हैं. जो कुछ सेकेंड्स में गुब्बारे को गिरा सकतीं हैं. वे बस फ़ाइनल ऑर्डर के इंतज़ार में हैं.

तीसरी बात, जासूसी के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल दशकों से होता आ रहा है. लगभग हर देश ये करता रहा है. ये कोई नई चीज नहीं है. आमतौर पर इनका मकसद खुफिया जानकारियां जुटाना भर होता है. लेकिन इससे दूसरा डर ये होता है कि, इन जानकारियों के जरिए दुश्मन आपको ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.

इस मामले में क्या अपडेट है?

- गुब्बारे पर चीन का आधिकारिक बयान आ गया है. चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि, उनका देश संदिग्ध गुब्बारे से जुड़ी रिपोर्ट्स की पड़ताल कर रहा है. निंग ने कहा,

‘चीन एक ज़िम्मेदार देश है. उसने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया है. और, चीन का किसी संप्रभु देश की सीमा और एयरस्पेस का उल्लंघन करने का कोई इरादा नहीं है.’

चीन ने ये भी कहा कि, तथ्यों की पुष्टि होने तक कोई भी जजमेंट देने से बचना चाहिए.

ये तो हुई वर्तमान की बात. अब थोड़ा इतिहास भी जान लेते हैं.

युद्ध के मैदान में बैलून का इस्तेमाल 19वीं सदी के आख़िरी सालों से होता आ रहा है. पहले विश्वयुद्ध में जर्मनी ने ज़ेपलिन में बम भरकर लंदन और दुश्मन के दूसरे शहरों पर छोड़े थे. जे़पलिन प्लेन के आकार वाले गुब्बारे होते थे. इन्हें एयरशिप भी कहा जाता था. 1937 में हिन्डनबर्ग हादसे के बाद एयरशिप्स का चलन बंद कर दिया गया.

हालांकि, दूसरे विश्वयुद्ध के समय जापान ने इनका ख़ूब इस्तेमाल किया. जापान ने अमेरिका की दिशा में लगभग 09 हज़ार बलून्स भेजे थे. सबमें छोटे-छोटे बम रखे होते थे. अधिकतर बलून्स प्रशांत महासागर के ऊपर ही बेकार हो गए. हालांकि, एक बलून मई 1945 में हादसे का कारण ज़रूर बना. अमेरिका के ओरेगन के जंगलों में पिकनिक बनाने गए कुछ लोग पेड़ों में फंसे गुब्बारे को उठा लाए. उत्सुकता में बम फट गया. इसमें छह लोगों की मौत हो गई थी.

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कोल्ड वॉर का दौर शुरू हुआ. कोल्ड वॉर में दुनिया के अधिकतर देश दो धड़ों में बंट गए थे. एक धड़ा अमेरिका का था, जबकि दूसरे धड़े को सोवियत संघ लीड कर रहा था. कोल्ड वॉर के दौरान बलून्स के ज़रिए ख़ूब जासूसी हुई. एक तो बलून्स बनाकर किसी देश के ऊपर छोड़ना आसान और सस्ता था.  उसमें आसानी से कैमरा इंस्टॉल किया जा सकता था.दूसरी बात ये कि, इससे देशों के बीच झगड़े की आशंका भी कम होती थी. क्योंकि सीधी जासूसी का आरोप साबित नहीं किया जा सकता था. इसके अलावा, इसमें किसी ज़िंदा इंसान की ज़िंदगी दांव पर नहीं लगी होती थी. आज के दौर में गुब्बारों का इस्तेमाल टूरिज्म और एडवर्टाइजिंग के लिए होता है. हालांकि, गाहे-बगाहे दुनियाभर के देश और एजेंसियां जासूसी के लिए इनसे काम लेना नहीं भूलतीं.

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