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ब्रॉडकास्ट बिल में ऐसा क्या था, जो विवाद के बाद सरकार को ड्राफ्ट वापस लेना पड़ा?

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 12 अगस्त को बताया कि Broadcasting Services (Regulations) Bill का ड्राफ्ट वापस ले लिया गया है.

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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव. (Sansad TV)

चौतरफा आलोचनाओं के बाद केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल (Broadcasting Services Bill, 2024) का ड्राफ्ट वापस ले लिया है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 12 अगस्त की शाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट किया. लिखा कि पिछले साल 10 नवंबर को बिल का ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था, उसे वापस लिया जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने मंत्रालय ने नया मसौदा तैयार किया था. ये ड्राफ्ट कुछ स्टेकहोल्डर्स को दिया गया और उनसे सुझाव मांगे गए थे. लेकिन पिछले दिनों इस ड्राफ्ट की खूब आलोचना हुई.

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नए मसौदे को लेकर सवाल उठने लगे कि क्या सरकार इस बिल के जरिए अभिव्यक्ति की आज़ादी पर लगाम लगाना चाह रही है. 2024 के मसौदे में, मंत्रालय ने ओटीटी कॉन्टेंट और डिजिटल न्यूज से अपने अधिकार क्षेत्र को बढ़ाते हुए सोशल मीडिया अकाउंट्स और ऑनलाइन वीडियो बनाने वालों को भी इसमें शामिल किया. इस मसौदे में 'डिजिटल न्यूज़ क्रिएटर' शब्द का इस्तेमाल किया गया. और इनके लिए प्रस्तावित नियम-कानूनों ने यू-ट्यूबर्स के कान खड़े कर दिए. क्या था इस ड्राफ्ट बिल में, क्यों आपत्तियां आईं और सरकार को कदम पीछे क्यों खींचने पड़े, समझने की कोशिश करते हैं.

डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर

2024 के मसौदे में 'डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर' या 'पब्लिशर ऑफ न्यूज एंड करेंट अफेयर कॉन्टेंट' नाम की एक नई कैटेगरी बनाई गई. इसमें कहा गया कि कोई भी व्यक्ति जो सिस्टमेटिक बिजनेस, प्रोफेशनल या व्यवसायिक एक्टिविटी के तौर पर ऑनलाइन पेपर, न्यूज पोर्टल, वेबसाइट, सोशल मीडिया पर न्यूज और करेंट अफेयर प्रोग्राम प्रसारित करता है, वो डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर है.

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यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि विधेयक में डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर की परिभाषा में इंडिविजुअल क्रिएटर्स को विशेष रूप से शामिल किया गया है. जबकि इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी रूल्स, 2021 में इनको शामिल नहीं किया गया है. फिलहाल, 2021 आईटी नियमों का भाग-3 डिजिटल न्यूज पब्लिशर और नेटफ्लिक्स, एमेजॉन प्राइम जैसे ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म को नियंत्रित करता है.

द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले ड्राफ्ट में सरकार ने इसे भारतीय नागरिक या नागरिकों के समूह द्वारा चलाई जा रही संस्था तक सीमित रखा था. लेकिन नए ड्राफ्ट में 'व्यक्ति विशेष, 'अविभाजित हिंदू परिवार', 'आर्टिफिशियल जूरिडिकल पर्सन' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. यानी अगर बिल इसी रूप में पेश कर दिया जाता है, तो नियम सिर्फ भारतीय नागरिकों तक सीमित नहीं होंगे. दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त लोग जो देश में या विदेश में बैठकर भारत के लिए कॉन्टेंट बनाते हैं, वे सभी इसकी जद में आ जाएंगे.

हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बॉम्बे और मद्रास हाई कोर्ट ने आईटी नियम 2021 के नियम 9(1) और 9(3) पर रोक लगा दी थी. ये नियम न्यूज और करेंट अफेयर्स पब्लिशर्स को आचार संहिता का पालन करने के लिए बाध्य कर रहे थे. कोर्ट ने कहा कि इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

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क्या नियम मानने होंगे?

नया मसौदा, जिसे फिलहाल सरकार ने वापस ले लिया है, उसके मुताबिक अगर किसी क्रिएटर को डिजिटल न्यूज़ ब्रॉडकास्टर माना गया, तो उसे अपने काम के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ‘सूचित’ करना होगा. उसे अपने खर्चे पर एक या एक से ज़्यादा कॉन्टेंट मूल्यांकन समितियां (content evaluation committees) भी बनानी होंगी.

इस समिति में अलग-अलग सामाजिक समूहों, महिलाओं, अनुसूचित जातियों-जनजातियों, अल्पसंख्यकों के बारे में जानकारी रखने वाले व्यक्तियों को शामिल करना होगा और समिति को विविधतापूर्ण बनाने का प्रयास करना होगा. इस समिति के लोगों के नाम भी सरकार के साथ साझा करने होंगे.

मसौदे के तहत, ऐसी समिति की नियुक्ति न करने का दंड का भी प्रावधान था. जो न्यूज क्रिएटर्स और निर्माता केंद्र सरकार को अपने सीईसी के सदस्यों का विवरण नहीं बताते हैं, उन पर पहले उल्लंघन में 50 लाख रुपये और अगले तीन वर्षों में लगातार उल्लंघन के लिए 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता था.

नए ड्राफ्ट में एक सकारात्मक बदलाव भी किया गया था. 2023 के संस्करण में कहा गया था कि सरकार क्रिएटर्स के लिए सब्सक्राइबर या दर्शक सीमा तय कर सकती है, लेकिन नए संस्करण में यह प्रावधान नहीं है.

सोशल मीडिया कंपनी भी घेरे में

नए बिल में सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की. अगर कोई न्यूज ब्रॉडकास्टर किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कॉन्टेंट शेयर करने के लिए करता है तो बिल में प्रस्तावित नियमों को पालन कराने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म की होगी. इस प्रावधान को पढ़कर लोगों ने आशंका जताई कि इससे कॉन्टेंट क्रिएटर्स से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सरकार की निगरानी बढ़ेगी.

नए मसौदे के अनुसार, कोई भी मध्यस्थ, जैसे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, अपने प्लेटफॉर्म पर दूसरों के कॉन्टेंट के लिए तब तक जिम्मेदार नहीं होंगे, जब तक वे बिल में लिखे नियमों को पूरा करते रहेंगे.

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