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अरविंद केजरीवाल 3 किताबों के साथ जा रहे हैं तिहाड़, एक तो प्रधानमंत्री के ऊपर है

Delhi के CM Arvind Kejriwal ने Neerja Chowdhury की किताब How Prime Ministers Decide को जेल में अपने साथ रखने की मांग की. इस किताब में केजरीवाल को किन सवालों के जवाब मिल सकते हैं?

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अरविंद केजरीवाल को 15 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. (फाइल फोटो: PTI/सोशल मीडिया)

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) 15 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिए गए. इस दौरान उन्हें तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में रहना होगा. कोर्ट से उन्होंने 3 किताबों को जेल में रखने की इजाजत मांगी. उन किताबों के नाम हैं- रामायण, भगवत गीता और हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड (How Prime Ministers Decide). जैसा कि नाम से जाहिर है कि तीसरी वाली किताब प्रधानमंत्री से जुड़ी है. जिसे लिखा है- वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी (Neerja Chowdhury) ने. इस किताब में क्या है खास जानेंगे इस आर्टिकल में.

इस पुस्तक में 1980 से 2014 के बीच छह प्रधानमंत्रियों के प्रमुख फैसलों के बारे में विस्तार से बात की गई है. जैसा की किताब के नाम से भी जाहिर होता है. नीरजा अपनी किताब में इस बात को डिकोड करती हैं कि आखिर एक प्रधानमंत्री सोचते कैसे हैं? सबसे ऊंचे राजनीतिक पद पर पहुंचने के बाद कोई व्यक्ति सत्ता संघर्ष, साजिशों और अपने प्रतिद्वंद्वियों को कैसे मैनेज करता है?

किन घटनाओं के बारे में बात हुई है?

किताब में जिन प्रधानमंत्रियों से जुड़े किस्सों की बात हुई है, वो हैं- इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह. सबसे दिलचस्प है इस किताब के चैप्टर्स के नाम. बस एक शीर्षक काफी कुछ कह जाने में सफल होता है.

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प्रधानमंत्रीकार्यकालचैप्टर
इंदिरा गांधी1980-1984राख से उठी प्रधानमंत्री
राजीव गांधी1984-1989एक धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री जिसने धर्मनिरपेक्षता को कम आंका
वीपी सिंह1989-1990एक चालाक प्रधानमंत्री जिन्होंने भारतीय राजनीति को फिर से बनाया
पीवी नरसिम्हा1991-1996एक प्रधानमंत्री जिसने फैसला लेने से इंकार कर दिया
अटल बिहारी वाजपेयी1996/1998-2004गरजने वाले शांतिप्रिय प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह2004-2014एक अंडर-रेटेड प्रधानमंत्री जो विजयी हुए
Indira Gandhi

“मुझे लगता है मैं पहाड़ों में चली जाऊंगी और वहीं रिटायरमेंट ले लूंगी. हो सकता है मैं हिमाचल प्रदेश में कहीं एक छोटा सा कॉटेज ले लूं और वहीं अपना संस्मरण लिखूं.”

लेखिका के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ये बातें तब कहीं जब वो सफदरजंग रोड स्थित अपने घर पर कुछ आगंतुकों से मिल रही थीं. उनके जीवन के ऐसे दिलचस्प किस्सों के अलावा उनकी राजनीतिक यात्रा पर भी विस्तार से चर्चा की गई है. 1977 में हार के बाद इंदिरा गांधी ने 1980 में वापसी की थी. इस सत्ता वापसी की रणनीति कैसे बनाई गई? किताब में इससे जुड़ीं कई अनकही कहानियां दर्ज हैं.

एक धर्मनिरपेक्ष प्रधानमंत्री जिसने धर्मनिरपेक्षता को कम आंका

ये नाम दिया गया है- राजीव गांधी के बारे में लिखे गए चैप्टर का. इसमें लेखिका राजीव गांधी के फैसलों की पड़ताल करती हैं. शाह बानो मामले की भी चर्चा है. दरअसल, 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामले में उन्हें तलाक देने वाले शौहर को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. मुस्लिम पर्सनल लॉ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जबरदस्त विरोध किया. 1986 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने संसद में कानून बनाकर इस फैसले पलट दिया था.

किताब में वीपी सिंह को एक चालाक प्रधानमंत्री बताया गया है. वीपी सिंह और मंडल आयोग की रिपोर्ट पर भी चर्चा है. इस आयोग की रिपोर्ट के फैसलों की समीक्षा की गई है.

PV Narasimha Rao और बाबरी मस्जिद का मुद्दा

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के आसपास कई जटिल घटनाएं हुईं. तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव ने जो फैसले लिए, उससे क्या बदला? लेखिका नीरजा उनके फैसलों की समीक्षा के साथ ही उनकी भूमिका पर भी विचार करती हैं. राव के प्रधानमंत्री बनने से लेकर उनके प्रधानमंत्री बने रहने तक की कहानी को काफी डिटेल से इस किताब में लिखा गया है. 

परमाणु परीक्षण की अनुमति देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने शांतिप्रिय विचारों के कारण जाने जाते थे. किताब उन बदलावों और उन कारणों पर प्रकाश डालती है जिससे प्रेरित होकर उन्होंने न्यूक्लियर टेस्टिंग को हरी झंडी दिखाई.

किताब का आखिरी चैप्टर में मनमोहन सिंह और भारत-अमेरिका के बीच हुए सिविल न्यूक्लियर डील की जानकारी मिलती है. इस समझौते में सिंह को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसकी जानकारी भी है.

अतीत के प्रधानमंत्रियों के फैसलों ने देश को कैसे प्रभावित किया? और हम उनका मूल्यांकन कैसे करते हैं? किताब में इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं. केजरीवाल इनमें से किस सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं? ये तो वही बता पाएंगे.

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