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क्या हैं अपाचे हेलिकॉप्टर्स, जिन्हें अपनी मारक क्षमता के चलते इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया?

एक साथ 128 टारगेट्स उड़ा सकता है.

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पठानकोट एयरबेस पर अपाचे हैलिकॉप्टर्स की तैनाती का एक प्रमुख कारण पाकिस्तानी सीमा और एलओसी से इसकी नजदीकी भी है. (फोटो- आईएएफ)
3 सितंबर 2019. इंडियन एयरफोर्स का पठान कोट एयरबेस. एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ की मौजूदगी में अपाचे हेलिकॉप्टर को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया. वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ की मौजूदगी में वॉटर टैंक से पानी की बौछार कर इसका स्वागत किया गया. बीएस धनोआ ने कहा कि अपाचे हेलिकॉप्टर पुराने हो चुके एमआई-35 की जगह लेंगे. इससे भारतीय वायुसेना की मारक क्षमताओं में वृद्धि होगी. वायुसेना प्रमुख ने इसे सेना के आधुनिकीकरण में प्रमुख कदम बताया.

क्या है अपाचे?

अपाचे मल्टी रोल हेलिकॉप्टर है. मल्टी रोल यानी कई सारे काम करने वाला. सितंबर 2015 में भारत ने अमेरिका की बोइंग लिमिटेड कंपनी से तकरीबन 4,168 करोड़ रुपए की एक डील की. इस डील में 22 अपाचे हेलिकॉप्टर्स की बात तय हुई. 3 सितंबर 2019 को आठ अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना को मिले. इससे पहले चार अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर्स की पहली खेप 27 जुलाई को मिल गई थी. साल 2020 तक सभी 22 हेलिकॉप्टर मिल जाएंगे. अपाचे AH-64E लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले दुनिया के सबसे बेहतरीन हमलावर हेलिकॉप्टर माने जाते हैं. अपाचे को अपने बेड़े में शामिल करने वाला भारत 14वां देश है. इससे पहले इज़रायल, यूनाइटेड किंगडम, सऊदी अरब, नीदरलैंड, इजिप्ट, यूएई, कुवैत, ग्रीस, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ताइवान और साउथ कोरिया अपाचे की सेवाएं ले रहे हैं. एमआई-35 को रिप्लेस करेगा अपाचे  एमआई-35 दो इंजनों वाला टर्बोक्राफ्ट, अटैक और एंटी आर्मर हेलिकॉप्टर है. यह चार बैरल वाले 12.7 मिमी रोटरी गन, आठ लोगों का हमलावर स्क्वॉड और 1500 किलो तक के हथियार ले जा सकता है. जिसमें एंटी-टैंक मिसाइलें भी शामिल हैं. इसकी अधिकतम क्रूज़ स्पीड 310 किमी/घंटा है. इसे ही अपाचे रिप्लेस कर रहा है. अपाचे की जरूरत क्यों? अटैक हेलिकॉप्टर्स का रोल भारतीय वायुसेना में बहुत कम रहा है. अब तक हेलिकॉप्टर्स का यूज अधिकतर ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया गया है. एयरफोर्स लड़ाई के लिए फाइटर जेट का यूज़ करते हैं. फाइटर जेट को उड़ने के लिए हवाई पट्टी चाहिए. उतरने के लिए भी हवाई पट्टी चाहिए.  फाइटर जेट काफी ऊंचाई पर उड़ते हैं. कारगिल के समय हमने फाइटर जेट यूज किया. उस समय जिस हिसाब से हमारे दुश्मन पहाड़ी में छिपे हुए थे, हमें अटैक हैलिकॉप्टर की जरूरत महसूस हुई थी. हेलिकॉप्टर जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स की तरह होता है. यानी हर तरह के काम कर लेता है. इसे पहाड़ी, घाटी और जंगलों में भी ऑपरेशन करने में कोई दिक्कत नहीं होती. ये सामान भी ढो लेता है. खोजी अभियान और मेडिकल इमरजेंसी के काम भी आता है. और इन सब को करने के लिए हेलिकॉप्टर को बहुत ज्यादा जगह भी नहीं चाहिए होती है. कुल मिलाकर हमें एक ऐसा व्हीकल चाहिए था, जो हवा में उड़े लेकिन जमीन पर एकदम करीब के टार्गेट को भी ध्वस्त कर दे. इन सबका विकल्प है अपाचे.

खासियतें

# अपाचे हेलिकॉप्टर का बैकअप तगड़ा है. इसमें दो पायलट होते हैं और दो इंजन. मतलब अगर एक फेल हो जाए तो दूसरा शुरू हो जाएगा. # अपाचे लेजर सिस्टम-सेंसर और नाइट विजन सिस्टम से लैस है. ये रात हो या दिन, हर मौसम में ऑपरेशन चला सकता है. # अपाचे 4.5 किलोमीटर दूर से एक साथ 128 टारगेट्स को निशाना बना सकता है. # अपाचे 16 एंटी टैंक मिसाइल लेकर उड़ सकता है. # अपाचे की रफ्तार 279 किलोमीटर प्रति घंटा है. # इसकी फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है. # अपाचे हेलिकॉप्टर को रडार पर पकड़ना बहुत मुश्किल है. # अपाचे हेलिकॉप्टर की राइफल में एक बार में 30 एमएम की 1200 गोलियां भरी जा सकती हैं. # अपाचे हेलिकॉप्टर ऊंचे पहाड़ों में बने आतंकी कैंपों और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में सक्षम हैं.

कहां से हुई शुरुआत?

अपाचे का डिजाइन सबसे पहले ह्यूज हेलिकॉप्टर्स ने 1970 में तैयार किया था. उस समय अमेरिकी सेना को एडवांस्ड अटैक हेलिकॉप्टर की जरूरत थी. 1983 में पहला अपाचे बनकर तैयार हुआ. 1984 में ह्यूज हेलिकॉप्टर्स को मैक्डॉनल डगलस ने खरीद लिया. इसी साल पहला अपाचे हेलिकॉप्टर अमेरिकी सेना में शामिल हुआ. 1997 में मैक्डॉनल डगलस का बोइंग में विलय हो गया. और अब बोइंग ही अपाचे हेलिकॉप्टर्स को बनाती और बेचती है. बोइंग अब तक 2200 अपाचे दुनिया भर में बेच चुकी है. कई सारी दूसरी कंपनियां भी इसके अलग-अलग पार्ट्स बनाती हैं. अगस्ता-वेस्टलैंड भी ब्रिटिश आर्मी और इंटरनेशनल मार्केट के अपाचे हेलिकॉप्टर्स के पार्ट्स बनाती है.

ब्लैक डेथ

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म साल 1991. अपाचे ने इराक में जमकर तबाही मचाई. इराकियों को लगने लगा कि वे कभी भी कहीं से भी निशाना बनाए जा सकते हैं. उन्होंने अपने टैंकों से लोगों को बाहर निकाल लिया और सरेंडर कर दिया. इराकियों ने इसका नाम दिया था, ब्लैक डेथ. युद्ध खत्म होने के बाद पता चला कि अपाचे ने 500 से ज्यादा टैंक और सैकड़ों दूसरे वाहनों को तबाह कर दिया था. इसके अलावा अपाचे पनामा में चलाए गए 'ऑपरेशन जस्ट कॉज़', 2003 में गल्फ वॉर और फिर अफगानिस्तान में हुई लड़ाई में भी हिस्सा लिया.

कहां से आया नाम 'अपाचे?' 

अपाचे, उत्तरी अमेरिका के आदिवासियों का एक समूह है. जो खुद को टिने, डीनी और इसी से मिलते जुलते नामों से पुकारते थे. इन सबका अर्थ होता है The people यानी लोग. दुनिया पर कब्जा करने निकले यूरोपियनों ने जिन्हें इंडियन कहा. लेकिन कभी इनके प्रतिद्वंदी तो कभी व्यापार के साझीदार रहे जूनी कबीले के लोगों ने इन्हें Apachu नाम दिया. जिसका उनकी अपनी बोली में मतलब होता था एनिमी. यानी दुश्मन. अपाचे खानाबदोश प्रवृत्ति के होते थे. ये जंगली भैसों (अमेरिकी बाइसन) का पीछा करते. उनका शिकार करते. भैसों को मार कर उनका कच्चा मांस खाते. अपाचे इन भैसों की खाल को पहनते भी और सुखाकर बढ़िया तम्बू बनाते. जहां डेरा डालना होता वहां तंबू गाड़ देते, जब शिकार करना होता तो तंबू उखाड़कर चल देते. छापामार लड़ाई के लिए प्रसिद्ध थे अपाचे  1846 में अमेरिका और मेक्सिको में युद्ध शुरू हुआ. दो साल बाद 1848 में युद्ध खत्म हुआ तो अमेरिका अपाचियों के बड़े इलाके का मालिक बन चुका था. जिसके बाद अपाचे जनजातियों और अमेरिकी सेनाओं में लड़ाई का दौर शुरू हुआ. जो 1849 से 1886 तक चला. गेरोनिमो अपाचे समुदाय का एक प्रमुख योद्धा था. उसे मेडिसिन मैन के नाम से जाना जाता था. गेरोनिमो और उसके साथी गुरिल्ला लड़ाके थे. ये सैनिकों की टुकड़ियों पर हमले करते और पहाड़ों, गुफाओं में गायब हो जाते. बाद में उसने अमेरिकी सेना के सामने सरेंडर कर दिया. लेकिन उसकी बहादुरी के किस्से अब भी सुनाए जाते हैं. कहा जाता है कि हेलिकॉप्टर्स से छलांग लगाने से पहले अमेरिकी सैनिक गैरोनिमो का नाम लेते हैं.

गेरोनिमो एकिया

साल 2011 में गेरोनिमो एक बार फिर से चर्चा में था. मई का दूसरा दिन था. अमेरिकन एयरफोर्स के अपाचे हेलिकॉप्टर पाकिस्तान में अपने सबसे बड़े दुश्मन को मार गिराने के लिए तैयार थे. प्रेसिडेंट ओबामा समेत लाइव प्रसारण देख रहे थे. जैसे ही सीआईए के निदेशक लियोन पेनेटा ने 'गेरोनिमो एकिया' कहा, सभी खुशी से झूम उठे. इसका मतलब था. गेरोनिमो, एनमी किल्ड इन एक्शन. गेरोनिमो, अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन ओसामा बिन लादेन के लिए कोड वर्ड था.
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