रैकेट खेलों में सबसे खूबसूरत कहा जाता है टेनिस को. दुर्भाग्य से भारत में इसे सिर्फ अंग्रेज़ी का खेल माना जाता है. मशहूर कॉमेंटेटर जसदेव सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब उन्होंने टेनिस की हिंदी कॉमेंट्री की बात उठाई तो अंग्रेज़ीदां लोग मज़ाक उड़ाते थे. कहते थे क्या बोलोगे घासीय-बल्ला मुठभेड़. लेकिन जसदेव सिंह ने कॉमेंट्री की और ऐसी की, कि आज तक याद किए जाते हैं. जो भी वजह रही हो, लोग टेनिस के बारे में उतना नहीं जानते जितना टेनिस खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं. मसलन सानिया मिर्ज़ा और लिएंडर पेस को तो हर कोई देखता है लेकिन उनका खेल उतना समझा नहीं जाता. और मीडिया में भी महिला टेनिस खिलाड़ियों को पटाका गुड्डी की तरह पेश किया जाता है. फेसबुक पर स्क्रॉल करते हुए आप देखते ही होंगे, '
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दी लल्लनटॉप आपके लिए लाया है खेलों को समझाने का आसान तरीका. आज पहले नंबर पर बारी है टेनिस की. टेनिस में सबसे पहले टॉस होता है. टॉस जीतने वाला खिलाड़ी सर्विस या पाले में से एक चुनता है. मान लीजिए आपने टॉस जीतकर सर्विस का फैसला किया. तो पाला चुनने का अधिकार हमारा रहा. अब आप सर्विस करेंगे और पहला गेम जीतने के लिए आपको कम से कम 4 अंक लेने होंगे. अगर गेंद हमारे रैकेट से लगने के बाद हमारे पाले में बिना टप्पा खाए वापस आप तक आए तो वो हुआ रिटर्न. और अगर हम ऐसा न कर सकें या बाहर मार दें तो आपको मिला अंक. ऐसे 4 अंक लेने हैं आपको. पहले अंक पर लिखा जाएगा 15, फिर 30, फिर 40 और फिर गेम यानी 1 गेम. इस उटपटांग गिनती की भी कहानी है. घंटे में 60 मिनट होते हैं तो किसी भाईसाहब ने एक अंक को लिख दिया 15, 2 को 30, 3 को 45 और गेम को 60. फिर किसी दूसरे को यह स्कोरिंग पसंद नहीं आई और 15-30-40-गेम की परंपरा चला दी और वो आज तक चल रही है.

अब मान लीजिए पहले 3 अंक आपने ले लिए और आपका स्कोर हो गया 40-0. फिर हमने ऐसे शॉट लगाए कि आपके हाथ भी न आए, हमने भी 3 अंक ले लिए, दोनों का स्कोर हुआ 40-40. इस स्थिति को कहते हैं
ड्यूस. कायदा तो ये है कि 4 अंक लेते ही गेम हो गया पर एक झोल है. झोल ये कि खिलाड़ियों के अंकों में कम से कम 2 का अंतर होना चाहिए. यानी अब आपको 2 अंक और लेने पड़ेंगे तभी बात बनेगी. मान लीजिए 40-40 स्कोर पर, ड्यूस पर आप अंक ले उड़े, इस स्थिति को कहते हैं
एडवांटेज़ आप. फिर हमने ऐसा शॉट दिया कि आप देखते ही रह गए, फिर दोबारा स्कोर कहलाएगा ड्यूस. जब तक कोई 2 अंकों का अंतर न बना ले गेम चलता रहेगा. मान लीजिए ड्यूस पर हमने 2 ऐसे शॉट धरे कि गेम हम जीत गए. इसे कहते हैं
सर्विस ब्रेक. और अब सर्विस रहेगी हमारी, हम अपनी सर्विस आराम से जीत गए. इसे कहते हैं
सर्विस होल्ड. स्कोर हो गया हमारे पक्ष में 2-0. अब आपकी सर्विस, फिर हमारी, फिर आपकी. ऐसे ही खेल चलता रहेगा. कब तक ? जब तक कोई 6 गेम न जीत ले. आपने स्कोर देखा ही होगा नडाल 6-2, 6-3 से जीते. 6-5 से कोई सेट नहीं जीता जाता. कम से कम 2 गेम का अंतर होना चाहिए.

यहां भी एक झोल है. मान लीजिए हम और आप इतना शानदार खेले कि पहले सेट में स्कोर हो गया 6-6. अब क्या ? अब होगा टाई ब्रेक. टाई ब्रेक दौर में खेल को शुरू करने वाले को बाद में सर्विस मिलती है तो पहली सर्विस हमारी है, एक सर्विस मिलेगी. फिर 2 आपको, फिर 2 हमें और इसी तरह से चलता जाएगा और स्कोरिंग रहेगी 15-30-40-गेम या ड्यूस वाली. और मान लीजिए टाई ब्रेक का गेम आप जीत गए तो आपका स्कोर हुआ 7-6 और सेट आपके नाम.
इस तरह से आमतौर पर तीन सेट होते हैं और 2 सेट जीतने वाला विजेता
लेकिन साल में 4 बड़े टूर्नामेंट होते हैं जिन्हें ग्रैंड स्लैम कहते हैं. ये 4 हैं जनवरी में होने वाला ऑस्ट्रेलियन ओपन, मई में होने वाल फ्रेंच ओपन, जून में होने वाला विंबवडन और आखिर में अगस्त में होने वाला अमेरिकी ओपन. इन 4 ग्रैंड स्लैम में पुरुषों के मैच 5 सेटों के होते हैं.
एक चीज़ तो रह ही गई –
डबल फॉल्ट. सर्विस हमेशा कोर्ट के दाईं ओर से शुरू होती है. उधर हम हमारे पाले में दाईं ओर खड़े रहेंगे. हमारे सामने एक बक्सा बना होगा जिसे सर्विस बॉक्स कहते हैं. आपकी सर्विस इस बॉक्स में ही आनी चाहिए नहीं तो हो जाएगा फॉल्ट. और ऐसे दो फॉल्ट कर देंगे तो 1 अंक मिल जाएगा हमें यानी आपका स्कोर 0-15 हो जाएगा. सर्विस सही जगह पड़ी लेकिन नेट से लग गई तो इसे कहते हैं
लेट. लेट सर्विस में कुछ नहीं होता और आप दोबारा सर्व करेंगे बस. आप पहली सर्विस दाईं ओर से करेंगे, दूसरी बाईं ओर से. ऐसे ही हम पहली सर्विस दाईं ओर रिसीव करेंगे और दूसरी बाईं ओर. हर 3 गेम के बाद हमारे पाले आपस में बदल जाएंगे. रिटर्न आपको बिना टप्पा खाए पहुंचाना है, हां चाहे हमारे पाले में वो टप्पा खा जाए और हमारे रैकेट से लगने के बाद वो आपके पाले में ही टप्पा खाए, हमारे पाले में खा गई तो एक अंक गया हमारा.
अब बात कोर्ट की. टेनिस के मुकाबले 3 तरह की सतह पर खेले जाते हैं. मिट्टी, घास और प्लास्टिक-रबड़. घास के टेनिस कोर्ट को ग्रास कोर्ट कहते हैं. विंबलडन इस पर होता है. मिट्टी की सतह पर बना कोर्ट क्ले कोर्ट कहलाता है, फ्रेंच ओपन क्ले कोर्ट टूर्नामेंट है और नडाल क्ले कोर्ट के बादशाह हैं वैसे ही जैसे भारत के खिलाड़ी स्पिन गेंदबाज़ी के होते हैं. ऑस्ट्रेलियन ओपन और यूएस ओपन कृत्रिम सतह पर होते हैं, प्लास्टिक-रबड़ पर, इसे हार्ड कोर्ट कहते हैं.

अब इतना गहरा आ गए हैं तो टेनिस की कुछ शब्दावली भी हो जाए. आपने फोरहैंड-बैकहैंड जरूर सुना होगा. मोटी परिभाषा ये कि दाएं हाथ से खेलने वाला खिलाड़ी दाएं हाथ का शॉट लगाए तो फोरहैंड और बाएं हाथ का दे तो बैकहैंड. या यूं समझिए की आप दाएं हाथ से खेलते हैं तो दाएं हाथ की हथेली सामने करके खेलें तो फोरहैंड नहीं तो बैकहैंड. जैसे हम कहते हैं ना दिया उल्टे हत्थे का, उसे ही टेनिस में बैकहैंड कहते हैं. कुछ खिलाड़ी दोनों हाथों से सर्विस करते हैं तो उन्होंने जिस हाथ से सर्विस की वो फोरहैंड हुआ. एक शब्द और है
ऐस यानी इक्का. अगर आपने ऐसी धमाकेदार सर्विस मारी की हम उसे छू भी न पाए तो वो शॉट कहलाएगा ऐस.
डेविस कप-फेड कप क्या होता है?
डेविस कप में खिलाड़ी अपने देश की ओर से खेलते हैं. बाकी टूर्नामेंट्स में दो अलग-अलग देशों के खिलाड़ी जोड़ी बना सकते हैं. एक ही देश के 2 खिलाड़ी आपस में भिड़ सकते हैं लेकिन डेविस कप में देशों के बीच मुकाबले होते हैं. 1 मुकाबले में कुल 5 मैच होते हैं. पहले दिन पुरुषों के 2 एकल मुकाबले. फिर अगले दिन 1 युगल मुकाबला और आखिरी दिन पुरुषों के 2 एकल मुकाबले. फिर से लेकिन आखिर दिन और पहले दिन के प्रतिद्वंद्वी आपस में बदल जाते हैं, इसलिए इन्हें रिवर्स सिंगल्स कहा जाता है. आमतौर पर ये मैच शुक्रवार, शनिवार और रविवार को होते हैं. 5 में से जो टीम 3 मैच जीतेगी वो अगले दौर में जाएगी. कुल 130 देशों की टीमें हैं और मुख्य ग्रुप में सिर्फ 16 टीमें खेलती हैं जिसे वर्ल्ड ग्रुप कहते हैं. भारत की टीम पहले एशिया-ऑसेनिया ग्रुप में जीतेगी, फिर अगले दौर में प्ले ऑफ खेलेगी. अगर जीती तो वर्ल्ड ग्रुप में जगह मिलेगी, अंतिम-16 टीमों में.
इसी तरह महिलाओं का फेड कप होता है और मिक्स्ड डबल्स के लिए हॉपमैन कप होता है. हॉपमैन कप अभी नया है. यह टूर्नामेंट दिसंबर के आखिर में ऑस्ट्रलियन ओपन से ठीक पहले खेला जाता है और 8 देशों की टीमें भाग लेती हैं.
तो बस कुल इतनी सी कहानी है टेनिस की. क्रिकेट की एक ही विश्व संस्था है – आईसीसी लेकिन टेनिस में तीन संस्थाए हैं. पुरुषों के पेशेवर टेनिस टूर्नामेंट करवाने वाली एसोशियसन ऑफ टेनिस प्रोफेशनल्स (एटीपी), महिलाओं के पेशेवर टेनिस टूर्नामेंट करवाने वाली वीमेन्स टेनिस एसोशियसन (डब्ल्यूटीए) और डेविस कप जैसे टूर्नामेंट करवाने वाली आईटीएफ यानी इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन. नए खिलाड़ियों के लिए आईटीएफ राष्ट्रीय टेनिस संघों के साथ मिलकर टूर्नामेंट करवाती रहती है. एक-दो ऐसे टूर्नामेंट खेलिए और फिर आपको एटीपी या डब्ल्यूटीए सर्किट में खेलने का मौका भी मिल जाएगा और आपकी रैंकिंग भी आने लगेगी. तो अगर आपको टेनिस खेलना है या अपने बच्चे को टेनिस खिलाड़ी बनाना है तो रास्ता सीधा सा है. भारत में ऑल इंडिया टेनिस एसोशियसन की वेबसाईट पर जाइए, संपर्क कीजिए, कोई कोच पकड़िए और खेलिए-खिलाइए टेनिस.