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कौन हैं ये अर्जुन माथुर, जिन्हें मैसेज करके लोग पूछते हैं- आप गे हैं क्या?

एमी अवॉर्ड्स के लिए नॉमिनेट हुए हैं.

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अर्जुन माथुर, जिन्हें 'मेड इन हैवेन' सीरीज़ के लिए अमेरिका के एमी अवॉर्ड्स में बेस्ट एक्टर के लिए नॉमिनेट किया गया है.
साल 2019 में एक वेब सीरीज़ आई. नाम था 'मेड इन हैवेन'. जिसने भी ये सीरीज़ देखी, उसे 'करण मेहरा' किरदार से प्यार हो गया. एक गे कैरेक्टर, जिसने पर्दे पर बोल्ड सीन्स दिए. जिसने अपने अंदर के ग्रे शेड को दिखाया. ये किरदार निभाने वाले एक्टर थे अर्जुन माथुर. ऐसा नहीं है कि 'मेड इन हैवेन' उनकी पहली वेब सीरीज़ है. मगर इस सीरीज़ के बाद से अर्जुन माथुर लोगों के दिलो-दिमाग में घर कर गए.
अब आप सोच रहे होंगे, आज हम अचानक अर्जुन माथुर की बात क्यों कर रहे हैं? क्योंकि अर्जुन के इसी किरदार के लिए उन्हें 48वें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में बेस्ट एक्टर की कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है. अमेरिका के इस फेमस अवॉर्ड फंक्शन में कुछ इंडियन वेब सीरीज़ को भी जगह मिली है. मगर उसकी बात बाद में. पहले आपको आपको बताते हैं कौन हैं ये अर्जुन माथुर.
अर्जुन माथुर. फोटो-इंस्टाग्राम
अर्जुन माथुर. फोटो-इंस्टाग्राम

मगर ज़रा रुकिए. 
अर्जुन के बारे में जानने से पहले ये तो जान लीजिए कि 'मेड इन हैवेन' सीरीज़ में है क्या
'मेड इन हैवेन' सीरीज़ बनाई ज़ोया अख्तर और रीमा काटगी ने. कहानी दिल्ली के दो वेडिंग प्लानर्स की है. जहां परंपरा और इंडियन शादी के पीछे बहुत सारे झूठ और सीक्रेट्स हैं, जहां लोग चेहरे पर अलग ही किरदार लिए जी रहे हैं. यहां शादी तो है, मगर उसमें प्यार नहीं. एक ऐसी दुनिया, जहां लोग कमिटमेंट से डरते हैं. या यूं कहें, डरते हैं, इसलिए कमिटमेंट नहीं करते. बेसिकली इंडियन सोसायटी की सोच पर वार करती है ये सीरीज़.
मेड इन हैवेन का ट्रेलर

अब बात अर्जुन माथुर की...
लंदन में पैदा हुए
हां, कलाकार देसी है, मगर विदेश में पैदा हुआ है. उनके पिता होटल चलाते हैं. मां एक कार एक्सिडेंट में गुज़र गईं. अर्जुन की एक छोटी बहन भी हैं.
अर्जुन ने दिल्ली से पढ़ाई पूरी की और फिर ग्रेजुएशन करने यूके चले गए. न्यूयॉर्क से इन्होंने एक्टिंग की ट्रेनिंग ली. 10 साल की उम्र से ही अर्जुन ने तय कर लिया था कि वो एक्टर ही बनेंगे. फिर क्या, पूरी लगन और मेहनत से डटे रहे और आज एमी अवॉर्ड्स के बेस्ट एक्टर के लिए नॉमिनेट हो गए.
अर्जुन माथुर
अर्जुन माथुर

करियर ग्राफ
अर्जुन माथुर का करियर ग्राफ उतार-चढ़ाव वाला रहा. उन्होंने साल 2004 में आई फिल्म 'क्यों हो गया ना' से अपने करियर की शुरुआत की, जिसमें वो असिस्टेंट डायरेक्टर थे. इसके बाद 2005 में आई 'मंगल पांडे', 'बंटी और बबली', 'रंग दे बसंती' जैसी फिल्मों में भी असिस्टेंट डायरेक्टर रहे.
एक्टिंग में कदम रखा साल 2007 में. ये एक शॉर्ट फिल्म थी. नाम था 'माइग्रेशन', जिसे मीरा नायर ने डायरेक्ट किया था. 12 मिनट की ये फिल्म इसलिए भी खास थी, क्योंकि अर्जुन ने इसमें गे का रोल प्ले किया था. फिल्म में उनके अपोज़िट थे लेजेंड एक्टर इरफान खान.
अर्जुन माथुर और आमिर खान, मंगल पांडे के सेट पर. फोटो- इंस्टाग्राम.
अर्जुन माथुर और आमिर खान, 'मंगल पांडे' के सेट पर. फोटो- इंस्टाग्राम.

'लक बाई चांस' से उन्होंने बड़े पर्दे पर कदम रखा. इसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ, वो आज तक जारी है. 'माई नेम इज़ खान', 'अंकुर अरोड़ा मर्डर केस', 'माई फ्रेंड पिंटो', 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' जैसी फिल्में कीं. वेब सीरीज़ में भी 'बृज मोहन अमर रहें', 'द गॉन गेम' और 'होम स्टोरीज़' जैसी सीरीज़ कीं. अर्जुन माथुर ने साल 2011 की फिल्म 'आई एम' में भी गे का कैरेक्टर प्ले किया.
गे हो क्या?
'हिन्दुस्तान टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में अर्जुन माथुर ने बताया कि उनके किरदार के बाद लोग उन्हें मैसेज करने लगे. उन्होंने बताया-
कभी किसी ने मुझसे सामने से आकर नहीं पूछा कि मैं गे हूं क्या? मैंने इससे पहले भी दो बार गे का रोल किरदार निभाया है. तो असल ज़िंदगी में लोगों को पता है कि मैं कलाकार हूं, एक्टर हूं. मगर 'मेड इन हैवेन' के बाद इंस्टाग्राम पर लोग मुझे पर्सनल मैसेज करने लगे. पूछते हैं कि मैं गे हूं क्या? मुझे गंदे-गंदे मैसेज भी करते हैं.
जब दो लड़कों की मां ने किया था मैसेज
'बिज्ज़ एशिया लाइव डॉट कॉम' साइट को दिये एक इंटरव्यू में अर्जुन ने बताया कि इस सीरीज़ के बाद उनके पास एक औरत का मैसेज आया, जो 35 साल की थीं. अर्जुन ने बताया-
35 साल की एक मां का मैसेज मेरे पास आया, जिन्होंने लिखा कि होमोसेक्शुएलिटी हमेशा उन्हें असहज कर जाती है. मगर आपके किरदार और इस सीरीज़ ने नज़रिया बदल दिया. अब उनके दोनों बच्चे बड़े होकर गे भी बनें, तो वो उन्हें पूरी तरह सपोर्ट करेंगी. ये बात मेरे लिए बहुत स्पेशल थी.
भारत में समलैंगिकता अपराध नहीं
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए समलैंगिकता या होमोसेक्शुएलिटी को अवैध बताने वाले कानून को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है. बता दें कि इससे पहले भारत में होमोसेक्शुएलिटी को अपराध माना जाता था, जिसमें 10 साल या फिर ज़िंदगीभर के लिए जेल का प्रावधान था.
पहली बार साल 2001 में दिल्ली हाई कोर्ट में इस मुद्दे को उठाया गया. नाज़ फाउंडेशन ने याचिका दायर की थी. अब भारत उन देशों में शुमार है, जहां समलैंगिकता कोई अपराध नहीं है.
'मेड इन हैवेन' के साथ नेटफ्लिक्स की 'दिल्ली क्राइम' को बेस्ट ड्रामा और अमेज़न प्राइम की 'फोर मोर शॉर्ट्स' को बेस्ट कॉमेडी शो के लिए नॉमिनेशन मिला. अर्जुन माथुर को लोग भर-भर के बधाइयां दे रहे हैं.


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