The Lallantop

एक कविता रोज: हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

अब 'दी लल्लनटॉप' पर पढ़िए हर रोज एक कविता. शुरुआत शब्दों से जादू पैदा करने वाले विकुशु से.

Advertisement
post-main-image
फोटो - thelallantop
जब जज़्बातों का प्रसव होता है, तब कविताएं फूटती हैं. कुछ यह भी मानते हैं कि वे कहानियों की प्रकारांतर से अभिव्यक्ति हैं. कवि धूमिल ने कहा कि कविता भाषा में आदमी होने की तमीज़ है. कवि विद्रोही ने लिखा कि जब कवि गाता है, तब भी कविता होती है, और जब कवि रोता है, तब भी कविता होती है. कर्म है कविता. तो ये कर्म-कविता आपकी जिंदगी में किस तरह से शामिल है, आप जानते ही हैं. व्याकरण को अलग रखें तो ईयर फोन लगाकर जो आप सुनते हैं, वो गीत-गाने भी कविता का ही एक रूप हैं. सुनते हुए लगता है कि हमारी जिंदगी, हमारा दुख या हमारे एहसास, कई गुना ज़्यादा होकर समूची दुनिया में पसर गए हैं. तो कविताएं तो सबको पसंद हैं. पर बेस्ट वाली हम पढ़वाएंगे. हर रोज एक कविता. 'दी लल्लनटॉप' लेकर आया है नई सीरीज- 'आज की कविता.' शुरुआत चकाचौंध से दूर रहकर लिखने वाले कवि विनोद कुमार शुक्ल की एक कविता से, जिन्हें कुछ लोग भारत का मार्केज कहते हैं. शब्दों को वह इस तरह रखते हैं कि जादू पैदा होता है. 'अतिरिक्त नहीं' कविता संग्रह से उनकी यह कविता पढ़ें. इसमें उनका जादू भी देखें और ये भी देखें कि कैसी एक पीली पवित्र सकारात्मक ऊष्मा यह आपके भीतर बोती है.
 

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था व्यक्ति को मैं नहीं जानता था हताशा को जानता था

इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया

 

मैंने हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ

मुझे वह नहीं जानता था मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था

 

हम दोनों साथ चले दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे साथ चलने को जानते थे


इस कविता को यूट्यूब चैनल 'हिंदी कविता' के लिए मानव कौल ने भी पढ़ा था. https://www.youtube.com/watch?v=nkU8N5ikBjs आप 'आज की कविता' के लिए अपनी पसंदीदा कविताएं कमेंट बॉक्स में सुझा सकते हैं.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement