राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने के बाद हुई मौतें अब इंटरनेशनल स्तर पर भारत की छवि खराब कर रही हैं. मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई इन मौतों का संज्ञान अब खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लिया है. WHO ने भारत से सवाल पूछा है कि जिस कफ सिरप का संबंध बच्चों की मौत से है, वो कितने देशों को एक्सपोर्ट की गई?
कफ सिरप से हुई मौतों पर WHO ने पूछा - 'भारत बताए, कितने देशों को भेजी गई?'
WHO के एक अधिकारी ने बताया India से जवाब आने के बाद इस Cough Syrup को लेकर पूरी दुनिया में अलर्ट जारी किया जाएगा. अभी तक WHO ने Cough और Cold में इस्तेमाल होने वाले 'Coldrif Syrup' को लेकर कोई Alert जारी नहीं किया है.


WHO के एक अधिकारी ने बताया भारत से जवाब आने के बाद इस कफ सिरप को लेकर पूरी दुनिया में अलर्ट जारी किया जाएगा. अभी तक WHO ने कफ और खांसी में इस्तेमाल होने वाले 'कोल्ड्रिफ सिरप' को लेकर कोई चेतावनी या अलर्ट जारी नहीं किया है. द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार कथित तौर पर इस सिरप के ही पीने के बाद से अब तक 17 बच्चों की जान जा चुकी है. ये सभी मौतें राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई हैं. इस सिरप में एक चीज है जिसे लेकर सवाल उठ रहे हैं. ये चीज है डाइएथलीन ग्लाइकॉल यानी DEG. इस सिरप को तमिल नाडु स्थित श्रेसन फार्मा नाम की कंपनी बनाती है. फिलहाल इस कंपनी की भी जांच की जा रही है.
2023 में भी हुई थी कफ सिरप से मौतेंसाल 2023 की बात है. गैम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में एक कफ सिरप पीने के बाद 140 बच्चों की मौत हो गई थी. इन सभी मौतों में इस्तेमाल हुई कफ सिरप का लिंक भारत से होने की बात सामने आई थी. इसके बाद सरकार ने 18 दिसंबर, 2023 को एक आदेश जारी किया था. सरकार ने कहा था कि भारत से एक्सपोर्ट की जाने वाली हर कफ सिरफ की पहले सरकार द्वारा प्रमाणित लैब्स में टेस्टिंग होगी. साथ ही क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट आईपी 2एमजी और फिनाइलेफ्राइन एचसीएल आईपी 5एमजी ड्रॉप प्रति मिलीलीटर, फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (FDC) का इस्तेमाल 4 साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाएगा.
8 अक्टूबर, 2025 को, अखिल भारतीय केमिस्ट एवं औषधि विक्रेता संगठन (AIOCD) ने दवा बनाने और उसकी मार्केटिंग कंपनियों को एक लेटर लिखा है. इस लेटर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी निर्देशों के बारे में बताया गया है. इन निर्देशों के अनुसार, सभी खांसी-ज़ुकाम की दवाओं के लेबल पर 'चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित' लिखना जरूरी है. AIOCD ने कहा
बाजार में मौजूद कुछ स्टॉक्स में यह जानकारी या तो गायब है या ठीक तरह से लिखी हुई नहीं है. इससे नियम का पालन न होने और इसके दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है. यह मामला सीधे तौर पर पेशेंट की सुरक्षा और रेगुलेशंस से संबंधित है. इसलिए हम सभी दवा बनाने और उसकी मार्केटिंग करने वालों से आग्रह करते हैं कि वे तुरंत इसकी समीक्षा करें. ये सुनिश्चित करें कि सभी प्रोडक्ट्स की लेबलिंग नियमों के हिसाब से हो.
AIOCD ने सभी स्टेकहोल्डर्स से कहा है कि वे स्टॉकिस्टों, डिस्ट्रीब्यूटर्स और फील्ड वर्कर्स को को इस पर सलाह दें. इससे ये सुनिश्चित हो कि पूरी सप्लाई चेन में सरकार के बनाए मानकों के अनुसार काम हो.
वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: कफ सिरप से 19 बच्चों की मौत कैसे, दवा कंपनियों को कौन बचा रहा?