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सदानंद दाते: महाराष्ट्र के नए DGP जिनके शरीर में आज भी मेटल के टुकड़े मौजूद हैं

सदानंद दाते को मुंबई आतंकी हमले के दौरान जांबाजी से आतंकियों का मुकाबला करने वाले अधिकारी के तौर पर याद किया जाता है. दाते के पास पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम करने का एक लंबा अनुभव है. वे CBI में DIG और CRPF में IG (Operations) की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

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सदानंद दाते महाराष्ट्र के नए डीजीपी होंगे. (इंडिया टुडे)

महाराष्ट्र (Maharashtra New DGP) सरकार ने मुंबई आतंकी हमले के हीरो सीनियर IPS अधिकारी सदानंद दाते (Sadanand Date) को नया पुलिस महानिदेशक बनाया है. उनका कार्यकाल दो साल का होगा. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के पूर्व महानिदेशक सदानंद दाते महाराष्ट्र की मौजूदा डीजीपी रश्मि शुक्ला की जगह लेंगे. वो 3 जनवरी को रिटायर हो रही हैं.

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हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, सदानंद दांते साल 1990 बैच के IPS अधिकारी हैं. साल 2024 तक वो महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ता (ATS) के प्रमुख थे. फिर उन्हें केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया. वहां उन्होंने NIA चीफ की जिम्मेदारी निभाई. महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध पर दो हफ्ते पहले वापस अपने मूल काडर में महाराष्ट्र भेज दिया गया.

कौन हैं सदानंद दाते ?

इंडिया टुडे के मुताबिक, पुणे यूनिवर्सिटी से आर्थिक अपराध में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले सदानंद वसंत दाते की पहचान शांत स्वभाव के तेज तर्रार ऑफिसर के तौर पर है. दाते के पास पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के साथ काम करने का एक लंबा अनुभव है. वे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में DIG और CRPF में IG (Operations) की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

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इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ता (ATS) चीफ और मुंबई पुलिस में जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (लॉ एंड ऑर्डर) और क्राइम की जिम्मेदारी संभाली. वे वसई-विरार के पहले पुलिस कमिश्नर भी रहे.

मुंबई आतंकी हमले के हीरो

सदानंद दाते को मुंबई आतंकी हमले के दौरान जांबाजी से आतंकियों का मुकाबला करने वाले अधिकारी के तौर पर याद किया जाता है. 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई को दहला दिया था. इस हमले में 160 से ज्यादा लोगों की जान गई थी.

सदानंद दाते उस समय मुंबई सेंट्रल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर थे. उन्होंने साउथ मुंबई के कामा और अल्बलेस अस्पताल में अजमल कसाब, अबू इस्माइल और उसके दस साथियों द्वारा बंधक बनाए गए एक लिफ्ट ऑपरेटर की जान बचाई थी.

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छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर लोगों की हत्या करने के बाद कसाब और इस्माइल अपनी टीम के साथ कामा और अल्बलेस अस्पताल में घुस आए. दाते ने पुलिस की एक छोटी सी टुकड़ी के साथ इनको घेर लिया. आतंकी लगातार गोलीबारी कर रहे थे और हैंड ग्रेनेड भी फेंक रहे थे. लेकिन फिर भी दाते और उनकी टीम लिफ्ट ऑपरेटर चंद्रकांत टिक्के को बचाने में कामयाब रही. आतंकी उनका इस्तेमाल अपनी ढाल के तौर पर कर रहे थे.

आतंकियों के ग्रेनेड अटैक में सदानंद दाते बेहोश हो गए, जिससे कसाब और इस्माइल को भागने का मौका मिल गया. इस हमले में दाते की आंख, गले, छाती और दाहिने घुटने में चोटें आई. आज भी मेटल के कुछ टुकड़े उनके शरीर में मौजूद हैं. अदम्य साहस और वीरता के साथ आतंकियों से मुकाबला करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति वीरता मेडल से सम्मानित किया गया था.

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