एक रेडिट यूजर ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें कुछ लोग विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage Site) में शुमार 'हुमायूं का मकबरा' (Humayun Tomb) की दीवार पर अपना नाम लिख रहे हैं. कुछ लोग तो दूसरे के कंधे पर चढ़कर लिखने की कोशिश कर रहे हैं.
हुमायूं के मकबरे को ब्लैकबोर्ड समझ लिया, एक-दूसरे के कंधे पर चढ़कर नाम लिख रहे लोग
वीडियो में लोग UNESCO World Heritage Site में शुमार Humayun Tomb की दीवार पर नाम लिख रहे हैं. कुछ लोग तो दूसरे के कंधे पर चढ़ कर लिखने की कोशिश कर रहे हैं.


रेडिट यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा
मैं हाल ही में हुमायूं के मकबरे पर गया था, और यह देखकर मैं दंग रह गया कि लोग दीवारों पर अपने नाम लिख रहे थे कुछ तो ऐसा करने के लिए एक-दूसरे के कंधों पर भी चढ़ गए. यह जगह लगभग 500 साल पुरानी है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, और हम आज भी इसे स्कूल डेस्क की तरह इस्तेमाल करते हैं. मैंने यह वीडियो इसलिए रिकॉर्ड किया क्योंकि मुझे सच में इस अनादर पर यकीन नहीं हो रहा था.

(यह भी पढ़ें: आगा खान: दूर देस के वासी जो हमारी नस्लों को विरासत की कद्र करना सिखा गए)
ताजमहल से भी पुराना है मकबराआज जहां कुछ भारतीय अपनी ही धरोहर को तबाह कर रहे हैं, वहीं दिल्ली से करीब 6 हजार किलोमीटर दूर स्विट्जरलैंड में जन्मे एक आदमी ने इसका कायाकल्प करवाया था. नाम- प्रिंस करीम आगा खान. जिन्होंने हिंदुस्तान की इन विरासतों को संवारने में सबसे अहम भूमिका निभाई.
1997 में उन्होंने अपनी संस्था आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर (AKTC) के ज़रिये इन जर्जर इमारतों को नई जिंदगी देने का बीड़ा उठाया. सरकार से हाथ मिलाया, इतिहासकारों से राय ली, और अगले 10 साल तक दिन-रात एक कर दिया. इस मेहनत का नतीजा था कि हुमायूं का मकबरा एक बार फिर शान से खड़ा हो गया. बाहर से एक शख्स आया और इतना सब कर गया, लेकिन भारत के नागरिक आज खुद ही अपने देश की विरासत का सम्मान नहीं कर रहे.
वीडियो: अहमद नगर का फराह बाग, जो हुमायूं के मकबरे से पहले बना और ताज महल की प्रेरणा बताया जाता है