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ब्लैकमेल करने का आरोप, HC से बेल मांगी, मिली भी पर कोर्ट ने कहा- सोशल मीडिया से दूर रहना होगा

युवक पर आरोप था कि उसने अलग-अलग अकाउंट्स से महिला के एडिटेड फोटो और वीडियो पोस्ट किए और उसे ब्लैकमेल किया. मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो अदालत ने राहत तो दी लेकिन कुछ शर्तें लगा दीं.

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कई और शर्तें भी कोर्ट ने युवक के सामने रखीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

राजस्थान में एक 19 साल के लड़के पर लड़की ने अश्लील कॉमेंट्स करने का आरोप लगाया था. उसके खिलाफ पुलिस में केस दर्ज कराया था. शिकायत पर कार्रवाई हुई और पुलिस ने युवक को अरेस्ट कर लिया. राहत पाने के लिए युवक हाईकोर्ट पहुंचा. यहां से उसे राहत तो मिली, लेकिन कोर्ट ने उसके आगे ऐसी शर्तें रख दीं कि वह इससे सकते में जरूर आ गया होगा. 

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युवक पर क्या थे आरोप

दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक, एक महिला ने युवक के खिलाफ इसी साल 21 फरवरी को केस दर्ज कराया था. महिला का आरोप था कि युवक ने उसे अलग-अलग मोबाइल और कई सोशल मीडिया आईडी से उनकी एडिटेड फोटो और वीडियो पोस्ट किए. इसके जरिए ब्लैक मेल करने का भी आरोप लगा. पीड़िता ने अपने बयान में यह भी कहा कि अरोपी ने उसे धमकी दी और उसके वैवाहिक संबंधों को बिगाड़ने की भी कोशिश की. 

हाईकोर्ट से मांगी जमानत

तमाम कानूनी कार्यवाहियों से होता हुआ मामला हाईकोर्ट पहुंचा. युवक ने कोर्ट ने जमानत की गुहार लगाई. युवक के वकील ने कोर्ट में कहा कि लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं. युवक का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है. मामले की ट्रायल में वक्त लगेगा. उसकी उम्र 19 साल है और वह सेकेंड ईयर में पढ़ता है. इन तर्क का हवाला देते हुए युवक की जमानत मांगी गई. 

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कोर्ट ने जमानत देते हुए ये शर्तें रखीं

कोर्ट ने युवक को राहत देते हुए जमानत दे दी. लेकिन कुछ शर्तों के साथ. कोर्ट ने युवक को 3 साल सोशल मीडिया से दूर रहने की शर्त पर जमानत दी. जस्टिस अशोक कुमार जैन की अदालत ने कहा कि आगर आरोपी शर्तों का उल्लंघन करता है तो उसकी जमानत रद्द की जा सकती है. साथ ने कुछ और भी शर्तें रखीं जो इस प्रकार हैंः 

- युवक इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचेट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने नाम या किसी दूसरे नाम से अकाउंट नहीं बनाएगा.

- वॉट्सऐप, टेलीग्राम और अन्य किसी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के जरिए पीड़िता और उसके परिवार के किसी भी सदस्य को मैसेज नहीं करेगा.

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- आरोपी युवक सबूतों से छेड़‌छाड़ नहीं करेगा और न ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा.

- पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से संपर्क नहीं करेगा.

- युवक को एक शपथ पत्र पेश करना होगा जिसमें वह कहेगा कि पास पीड़िता की कोई फोटो और वीडियो नहीं है. अगर कोई फोटो और वीडियो है तो उन्हें जमानत पर रिहा होने से पहले डिलीट करना होगा.

- भविष्य में किसी भी तरह के अपराध में शामिल नहीं होगा.

- ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहेगा.

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