रायपुर मेडिकल कॉलेज से 15 साल पहले रिटायर हुए स्पोर्ट्स टीचर को अब पेंशन मिलेगी. दरअसल, 2010 में अफसरों ने उनकी नियुक्ति को फर्जी बताते हुए पेंशन रोक दी थी. जिसके बाद स्पोर्ट्स टीचर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लंबी लड़ाई लड़ी. अब कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने कहा कि कॉलेज प्रशासन को 15 साल की बकाया पेंशन देनी पड़ेगी, वो भी ब्याज समेत (Raipur Medical College).
स्पोर्ट्स टीचर की पेंशन रोकी थी, 13 साल बाद एक करोड़ रुपये देेने पड़े, कोर्ट का आदेश था
Chhattisgarh: 2010 में रायपुर मेडिकल कॉलेज के स्पोर्ट्स टीचर की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए पेंशन रोक दी गई थी. जिसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और लंबी लड़ाई लड़ी. अब कोर्ट का फैसला आ गया है.
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दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर रतिंद्र बोस की नियुक्ति 1977 में हुई थी. उन्होंने लगभग 31 साल कॉलेज में नौकरी की और रिटायरमेंट के 2 साल पहले 2010 में VRS (Voluntary Retirement Scheme) ले लिया. लेकिन अफसरों ने उनकी नियुक्ति को फर्जी बताते हुए पेंशन रोक दी. उन्हें बताया गया कि उनकी नियुक्ति मापदंडों के अनुसार नहीं हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कई दिनों तक दफ्तर का चक्कर भी काटा, लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसके बाद उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब उनके पक्ष में फैसला आया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कॉलेज प्रशासन को 15 साल की बकाया पेंशन ब्याज समेत देनी पड़ेगी. जो करीब एक करोड़ होगी.
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मेडिकल कॉलेज में ये अकेला ऐसा केस नहीं है. जिसमें नियुक्ति और प्रमोशन को लेकर विवाद न हो. रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में ऐसे 2 दर्जन केस पड़े हुए हैं. कॉलेज प्रशासन का दावा है कि नियुक्ति नियमों के अनुसार नहीं की गई है. इसी तरह के एक दूसरे मामले में मेडिकल कॉलेज के ही फिजिसिस्ट राजेश चंदोला के परिवार को पेंशन नहीं मिली है. करीब चार पहले उनकी मृत्यु हो गई थी. उनकी भी नियुक्ति और प्रमोशन पर सवाल उठाकर पेंशन रोकी गई है. करीब 32 साल तक उन्होंने मेडिकल कॉलेज में नौकरी की. उनकी पत्नी ने कोर्ट में लड़ाई लड़ी. कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और करीब 30 लाख पेंशन देने का आदेश दिया है.
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