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नीरज चोपड़ा ने 4 महीने में ऐसा क्या किया कि कतर में उनका भाला 90 मीटर से भी आगे जा गिरा?

Neeraj Chopra ने दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर का थ्रो किया. वह बीते कई सालों से 90 मीटर पार जैवलिन फेंकने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उन्हें कामयाबी अब मिली है.

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नीरज चोपड़ा 90 मीटर पार करने वाले दुनिया के 25वें और एशिया के तीसरे खिलाड़ी बन गए. (फ़ोटो- PTI)

‘मुझ पर तो नहीं था, पर अब शायद भारतीय फैंस का 90 मीटर का बोझ उतर गया है’ नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जब 16 मई को पहली बार जैवलिन 90 मीटर के पार फेंका, तो रेव्ज स्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में उनके मुंह से यही शब्द निकले. हो भी क्यों न पिछले कई सालों से जब भी नीरज चोपड़ा किसी भी इवेंट में जाते, किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाते या किसी टूर्नामेंट में हिस्सा लेते तो लगातार एक ही सवाल होता था. 90 मीटर वाला थ्रो कब आएगा. अब यह सवाल नहीं होगा.

नीरज चोपड़ा ने दोहा डायमंड लीग 2024 में 90.23 मीटर का थ्रो करके अपने चाहने वालों का इंतजार खत्म किया. दोहा में उतरने से पहले नीरज चोपड़ा का सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.94 मीटर का था. उन्होंने साल 2022 की स्टॉकहॉम डायमंड लीग में यह प्रदर्शन किया था. इसके बाद से ही हर इवेंट के साथ यह उम्मीद लगाई जाती कि नीरज जल्द 90 मीटर पार करेंगे और इस वर्ल्ड चैंपियन ने दोहा में 90.23 मीटर की दूरी पर भाला फेंका और इंतजार खत्म किया.

आखिर ऐसा कैसे हुआ? नीरज ने अपने खेल में ऐसा क्या बदलाव किया, जिसके कारण वह यह सब करने में कामयाब रहे. नीरज की मेहनत और प्लानिंग के अलावा कतर की राजधानी में बहती हवा ने भी नीरज के इस ऐतिहासिक थ्रो की पटकथा लिखी.

पेरिस ओलंपिक के बाद 90 मीटर को ध्यान में रखते हुए ही नीरज चोपड़ा ने चेक गणराज्य के जेन जेलेजनी को अपना कोच चुना. जेन मौजूदा समय में जैवलिन थ्रो के वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं. उन्होंने 1998 में 98.48 मीटर का थ्रो किया और इस थ्रो के साथ बनाया गया उनका वर्ल्ड रिकॉर्ड आज भी कायम है. जेन ने 52 बार 90 मीटर से लंबे थ्रो किए और अब उनके साथ ट्रेनिंग करते हुए महज चार महीने में ही नीरज ने 90 मीटर का मार्क भी पार कर लिया. जेन ने इसके लिए नीरज के खेल में कुछ बड़े बदलाव किए.

नीरज जब दोहा डायमंड लीग में उतरे तो उनका जैवलिन फेंकने का तरीका काफी अलग था. उनकी हिप रोटेशन बहुत कम थी और साथ ही थ्रो करते समय शरीर काफी सीधा था यानी कि लीनियर था, इससे उन्हें बड़ा थ्रो करने में मदद मिली.

नीरज का अगला बड़ा बदलाव उनके ब्लॉक में था, जो कि अब बदला हुआ नजर आ रहा है. ब्लॉक दरअसल वह पोजीशन होती है, जिसमें खिलाड़ी थ्रो करने से पहले रुकता है. जेन के साथ ट्रेनिंग के बाद नीरज चोपड़ा का ब्लॉक स्टेबल हुआ है. इससे उनके थ्रो में ताकत बढ़ी है, जो कि लंबी दूरी के लिए अहम होते हैं.

नीरज चोपड़ा के 90 मीटर के थ्रो में एक और अहम कैरेक्टर था. दोहा की कंडीशंस. दोहा को हमेशा से ही जैवलिन थ्रोअर्स के लिए स्वर्ग माना जाता है. दुनिया भर के 25 खिलाड़ियों में से 5 का 90+ थ्रो दोहा में ही आया है. 16 मई को भी यहां की कंडीशंस थ्रोअर्स के लिए काफी अच्छी थी. बैकविंड (खिलाड़ी की पीठ की ओर से चल रही हवा) काफी अच्छी थी, जिससे सही एंगल पर जैवलिन को फेंकने पर उसे अच्छी उड़ान मिली. शायद यही कारण था कि एक नहीं दो-दो खिलाड़ियों ने 90 मीटर का मार्क पार किया. नीरज के अलावा जर्मनी के जूलियन वेबर ने 91.06 मीटर का थ्रो किया.

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