दिल्ली का प्रदूषण आप पर कितना असर करता है, ये इस बात पर डिपेंड करता है कि आप इस पल्यूशन वाले वातावरण में क्या कर रहे हैं? मसलन, आप चल रहे हैं या दौड़ रहे हैं. खाली बैठे हैं या कोई और काम कर रहे हैं. हवाओं में मौजूद पीएम-2.5 और पीएम-10 सांस के साथ आपके शरीर में कहां जाकर स्टोर हो रहा है, यही प्रदूषण से होने वाली बीमारियों को तय करता है. विज्ञान से जुड़े विषयों की एक पत्रिका है नेचर (Nature). उसकी एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि सांस के जरिए शरीर में घुसने वाले PM2.5 कणों का करीब 12.6 फीसदी हिस्सा फेफड़ों के सबसे अंदरूनी हिस्से (एल्वियोलाई) तक पहुंच जाता है.
पुरुष हैं और 'आज की दिल्ली' में रहते हैं तो खतरा ज्यादा है: रिपोर्ट
दिल्ली की हवा में महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा प्रदूषण सोख रहे हैं. नेचर की एक हालिया स्टडी में ये बात सामने आई है. इसमें ये भी बताया गया है कि प्रदूषण के संपर्क में आने के बाद हमारी गतिविधियां उसके असर को तय करती हैं.
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यहीं से ये कण खून में मिल सकते हैं, जिससे दिल और सांस की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. वहीं PM10 के करीब 90 फीसदी कण नाक और गले के रास्तों (Head Airways) में ही जमा हो जाते हैं. इससे गले में जलन, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं होती हैं. इसी शोध में एक और दिलचस्प बात सामने आई है. PM-10 हो या PM2.5 दोनों महिलाओं के मुकाबले पुरुषों की सेहत पर ज्यादा असर डालते हैं. आपने वो वाली रील्स तो देखी ही होंगी, जिनकी थीम होती है- ‘Why women live longer than men’. इसका एक कारण तो ये भी बताया जा सकता है.
पुरुष ज्यादा सोखते हैं पार्टिकुलेटेड मैटरइंडिया टुडे से जुड़े प्रतीक सचान के मुताबिक, Nature में प्रकाशित शोध में 2019 से 2023 के बीच दिल्ली में प्रदूषण के इंसानों पर असर का आकलन किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां किसी इंडस्ट्रियल एरिया में चलते समय पुरुषों के शरीर में प्रदूषक तत्व महिलाओं के मुकाबले ज्यादा जमा होते हैं. रिसर्च के दौरान, पुरुषों के शरीर में PM2.5 के कण अधिकतम 13.13 माइक्रोग्राम प्रति मिनट तक जमा हुए जबकि महिलाओं में यह मात्रा 10.92 माइक्रोग्राम प्रति मिनट रही.
PM10 कणों की बात करें तो पुरुषों में यह 15.73 माइक्रोग्राम प्रति मिनट तक जमा हुआ. यानी एक ही तरह की गतिविधि में प्रदूषक तत्वों को सोखने की क्षमता पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले ज्यादा रही.
खुली हवा में बैठे रहने पर पुरुषों ने जितना PM2.5 सोखा, महिलाओं में उसकी मात्रा 1.4 गुना ज्यादा रही. वॉक करने पर ये अंतर तकरीबन 1.2 गुना रहा. PM10 जैसे बड़े प्रदूषक कण भी यही कहानी कहते हैं. रिसर्च के मुताबिक, बैठे रहने पर पुरुषों में PM10 का असर महिलाओं से 1.34 गुना ज्यादा रहा जबकि चलने के दौरान यह अंतर 1.15 गुना ज्यादा दर्ज हुआ.
हालांकि, रिपोर्ट का कहना है कि महिला हों या पुरुष. सुबह हो या शाम. दोनों ही वक्त दोनों ही के शरीर में PM2.5 चलने के दौरान ही सबसे ज्यादा जाता है.
ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब दिल्ली प्रदूषण से बुरी तरह जूझ रही है. 28 दिसंबर रविवार को भी दिल्ली में हालात बेहद खराब रहे. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार इस दिन शहर का औसत AQI 390 दर्ज किया गया, जो काफी ‘गंभीर स्थिति’ है.
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