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'टू-नेशन थ्योरी के विचारवालों से देश को खतरा', भागवत भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर भी बोले हैं

Mohan Bhagwat ने इस बात पर जोर दिया कि देश की असली ताकत सिर्फ सेना या प्रशासन में नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं में भी है.

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नागपुर में RSS के कार्यक्रम में बोलते मोहन भागवत. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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योगेश पांडे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा है कि जब तक ‘टू-नेशन थ्योरी’ का विचार रहेगा, तब तक देश खतरे में रहेगा. उन्होंने कहा कि वैचारिक विभाजन भारत के सामाजिक ताने-बाने के लिए चुनौती बन गया है. 

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नागपुर में RSS के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-2’ के समापन समारोह में भागवत ने कहा,

जब तक ‘दो-राष्ट्र सिद्धांत’ का विचार रहेगा और जब तक दोहरी भाषा खत्म नहीं होगी, तब तक देश खतरे में रहेगा. युद्ध के तरीके भी बदल गए हैं. आमने-सामने लड़ कर नहीं जीत सकते, तो अब साइबर वॉर से लेकर कई सारी बातें हैं. एक प्रकार से लगातार प्रॉक्सी वॉर चल रहा है. बार-बार शासन करने के बाद भी, बार-बार सारी दुनिया में कहने के बाद भी ये संदेश जाता नहीं है.

हम किसी को अपना दुश्मन नहीं मानते. लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए. आत्मनिर्भरता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.

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पहलगाम हमले पर क्या कहा?

मोहन भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि देश की असली ताकत सिर्फ सेना या प्रशासन में नहीं है, बल्कि लोगों की भावनाओं में भी है. उन्होंने पहलगाम हमले के बाद देश की एकता और प्रतिक्रिया की सराहना की. उन्होंने कहा,

पहलगाम में नृशंस हमला हुआ. हमारे यहां घर में घुसकर मारा. संघ में भी क्रोध था. कार्रवाई हुई. अपनी सेना की क्षमता और वीरता चमक उठी. सेना के पराक्रम को हमने देखा. युद्ध के प्रकार भी बदले हैं. प्रॉक्सी वॉर शुरु हुआ है. घर में बैठकर बटन दबाकर ड्रोन छोड़े जा सकते हैं. अपनी सुरक्षा के लिए हमें खुद पर निर्भर होना ही पड़ेगा. हमें अपनी सुरक्षा के लिए पूर्ण सजग होना पड़ेगा.

'भड़काऊ भाषा के चंगुल में ना फंसे'

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RSS सरसंघचालक ने लोगों से आग्रह किया कि वो भड़काऊ भाषा वालों के चंगुल में ना फंसे. उन्होंने कहा,

हमें ये देखना होगा कि समाज के किसी वर्ग की किसी वर्ग से लड़ाई न हो. कानून हाथ में लेना ठीक नहीं. हिंसा करना ठीक नहीं है. ये सारी बातें हमें छोड़ देनी चाहिए. भड़काऊ भाषा वाले लोगों के चंगुल में नही फंसना है. हमें एक दूसरे के साथ सद्भावना, सदाचार और सहयोग करने की आवश्यकता है. देश और समाज के नाते हम एक हैं. सनातन आचरण हम सब को एक साथ लाता है. हमारी मूल व्यवस्था एक है. पूर्वजों के समय से ही हम सब एक हैं.

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'धर्मांतरण हिंसा है'

उन्होंने आगे कहा,

धर्मांतरण एक हिंसा है. हमने कभी इसका समर्थन नहीं किया. ईसा मसीह पर हमारी भी श्रद्धा है, लेकिन लोक-लालच नहीं चलेगा. जो वापस आना चाहते हैं, उनको लाना चाहिए…

भागवत ने आगे कहा कि आदिवासी समाज हमारे मूल में है.

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