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SBI अधिकारी बन कर रिटायर्ड टीचर को फोन किया, 'समर्पण राशि' के नाम पर दो सालों तक लूटते रहे

महिला का पहले से SBI बैंक में खाता है. उसने पहले से ही SBI लाइफ इंश्योरेंस से दो पॉलिसियां खरीदी थीं. पीड़िता ने बताया कि साल 2023 में उसे एक फोन कॉल आया. फोन करने वाले ने खुद का नाम राजीव शर्मा बताया. इसके बाद उसने फोन पर दावा किया कि वह SBI बैंक में सीनियर अधिकारी के तौर पर कार्यरत है.

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इंदौर में एक रिटायर्ड महिला टीचर के साथ 96 लाख रुपए की ठगी हुई है. (सांकेतिक तस्वीर-AI)

मध्यप्रदेश के इंदौर में एक रिटायर्ड महिला टीचर के साथ 96 लाख रुपये की ठगी हुई है. ठगों ने खुद को SBI इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बताकर महिला से बात करना शुरू किया था. इस दौरान पॉलिसी से जुड़ी अलग-अलग स्कीम में निवेश का झांसा देकर करीब 2 साल तक ठगी करते रहे. उन्होंने महिला से करीब 34 बार पेमेंट करवाई, जिसकी कुल कीमत 96 लाख रुपये बताई गई है.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक महिला का पहले से SBI बैंक में खाता है. उसने पहले से ही SBI लाइफ इंश्योरेंस से दो पॉलिसियां खरीदी थीं. पीड़िता ने बताया कि साल 2023 में उसे एक फोन कॉल आया. फोन करने वाले ने खुद का नाम राजीव शर्मा बताया. इसके बाद उसने फोन पर दावा किया कि वह SBI बैंक में सीनियर अधिकारी के तौर पर कार्यरत है. रिपोर्ट के मुताबिक फोन करने वाले ने पीड़िता से उसकी पॉलिसियों में मदद करने की बात कही.

इसके बाद ठगों ने महिला से पुरानी पॉलिसियों के बारे में बात की. इस दौरान उसने महिला को बताया कि वह अपनी पॉलिसियों पर ‘समर्पण राशि’ पाने के योग्य है. इसका लाभ लेने के लिए उसे एक प्रीमियम पेमेंट करना होगा. महिला अपनी पुरानी पॉलिसियों के बारे में सुनकर ठगों पर भरोसा कर बैठी. ठग के कहने पर उसने पहले प्रोसेसिंग फीस के रूप में 1 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए.

ये बस शुरुआत थी. इसके बाद अगले दो सालों तक जालसाजों ने पीड़िता को अलग-अलग बहानों से और रकम देने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कुल 34 ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में 96 लाख रुपये ठग लिए. जनवरी 2025 में ठगों ने अचानक पीड़िता से संपर्क बंद कर दिया. तब पीड़िता को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हो चुकी है. इसके बाद उसने तुरंत इंदौर क्राइम ब्रांच और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत दर्ज कराई. शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने ठगों से जुड़े बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है. अपराधियों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.

कैसे बचें ऐसे साइबर फ्रॉड से?

अगर कोई खुद को बैंक या इंश्योरेंस कंपनी का अधिकारी बताकर पैसे ट्रांसफर करने को कहे तो उसकी विश्वसनीयता की जांच करें. सीधे कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से संपर्क नंबर निकालकर बात करें.

अगर कोई अचानक फाइनेंशियल गेन का वादा करे और एडवांस पेमेंट मांगे तो सतर्क हो जाएं. बड़ी कंपनियां फोन पर सेंसिटिव इनफॉरमेशन नहीं मांगतीं.

कभी भी अपने बैंक अकाउंट की डिटेल, OTP, पासवर्ड या अन्य सेंसिटिव इनफॉरमेशन किसी अनजान पर्सन को ना दे. 

अगर आपको सरेंडर राशि या अन्य फायदे का ऑफर दिया जा रहा है तो सीधे अपने इंश्योरेंस प्रोवाइडर से कन्फर्म करें. केवल फोन कॉल पर आई जानकारी पर भरोसा न करें.

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