भारतीय खगोलशास्त्री दोर्जे आंगचुक ने लद्दाख से पृथ्वी के घूमने का एक टाइम-लैप्स वीडियो कैप्चर किया है. यह वीडियो पृथ्वी की गति को दर्शाता है, जबकि वीडियो में आकाशगंगा स्थिर दिखाई देती है. इस वीडियो को बनाने में चार दिन लग गए. दोर्जे, लद्दाख के एक गांव ‘हानले’ में स्थित एक ऑब्जर्वेटरी में इंजीनियर-इन-चार्ज के रूप में काम करते हैं. ऑब्जर्वेटरी में अंतरिक्ष या पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक घटनाओं किए जाते हैं और अन्य चीजों पर नजर रखी जाती है.
जमीन पर रहकर पृथ्वी के घूमने का पता नहीं चलता ना, लद्दाख का ये वीडियो देखकर चलेगा!
Astronomer Dorje Angchuk ने Ladakh से Earth Rotation का Time-Lapse वीडियो कैप्चर किया. उन्हें इस वीडियो को बनाने में चार दिन लग गए. इस दौरान उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. कभी उनके कैमरे का स्टोरेज कम पड़ गया तो कभी बैटरी खत्म हो जाती.
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शुक्रवार, 31 जनवरी के दिन दोर्जे आंगचुक ने एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर की. पोस्ट मे 24 घंटे का टाइम-लैप्स वीडियो था जिसमें दिन से रात के बदलाव को दिखाया गया. इसे देखकर पता चलता है कि हमें भले पृथ्वी के घूमने और आगे बढ़ने का पता ना चलता हो, लेकिन असल में करोड़ों सालों से लगातार घूमते हुए आगे बढ़ रही है.
हमें पृथ्वी के घूमने का एहसास नहीं होता, लेकिन यह न केवल अपनी धुरी पर, बल्कि सूर्य के चारों ओर भी लगातार घूमती रहती है. दोर्जे द्वारा शेयर किए गए वीडियो में भी पृथ्वी का घूमना साफ दिखाई देता है, जबकि आकाशगंगा स्थिर नजर आती है. दोर्जे ने भी अपनी पोस्ट में यही बात लिखी,
क्या समस्याएं आईं?"तारे स्थिर रहते हैं, लेकिन पृथ्वी कभी नहीं रुकती".
दोर्जे ने बताया कि शुरुआत में वो ओरियन नक्षत्र (Orion) को फ्रेम करना चाहते थे, लेकिन उनकी भौगोलिक स्थिति के हिसाब से यह नक्षत्र बहुत ऊंचाई पर था. इसके अलावा लद्दाख की ठंड ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं. ठंड की वजह से कैमरे की बैटरियां जल्दी खत्म हो जाती थीं और बाकी उपकरण भी इस वातावरण के लिए अनुकूल नहीं थे.
चार रातों तक उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. कभी उनके कैमरे का स्टोरेज कम पड़ गया तो कभी बैटरी खत्म हो जाती. कभी टाइमर की खराबी होती. दोर्जे ने लिखा, “हर चुनौती से हमने नए सबक लिए और अपने सेटअप में लगातार सुधार लाते रहे.”
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मोशन ट्रैकर और मोबाइल कंट्रोल्स की मदद से उन्होंने आखिरकार पृथ्वी के घूमने का एक वीडियो तैयार कर लिया. हालांकि, पोस्ट-प्रोसेसिंग के दौरान भी उन्हें समस्याएं हुईं. कई फ्रेम्स को क्रॉप करना पड़ा, ताकि अंतिम प्रोडक्ट पूरी तरह से पॉलिस्ड और साफ मिले.
कहां से मिली प्रेरणा?दोर्जे ने बताया कि असल में उनसे अनुरोध किया गया था कि क्या किसी वीडियो के जरिए बच्चों को पृथ्वी का रोटेशन समझाया जा सकता है? इसके बाद वो इस वीडियो को बनाने में लग गए.
दोर्जे ने बताया कि इस वीडियो के बेस्ट एक्सपीरियंस के लिए इसे लूप मोड और फुल स्क्रीन पर देखना चाहिए, ताकि हम बड़े और न बदलने वाले आकाश के नीचे पृथ्वी के घूमने को स्पष्ट रूप से देख सकें.
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