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कावेरी इंजन पर बड़ा अपडेट! AMCA के लिए अमेरिका-रूस का मोहताज नहीं रहेगा भारत?

Kaveri Engine and AMCA: भारत बीते कई सालों से कावेरी इंजन पर काम कर रहा है. फिलहाल कावेरी के 52kN थ्रस्ट वाले वेरिएंट को A-FADEC से लैस किया जा रहा है. आने वाले समय में कावेरी की क्षमता में इजाफा होने की उम्मीद है. अगर ये प्लान कामयाब रहा तो AMCA में कावेरी का अपग्रेडेड वेरिएंट लगेगा.

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कावेरी इंजन के डेवलपमेंट से भारत स्वदेशी जेट के क्षेत्र में कदम रख देगा (PHOTO-X)

भारत अपना फाइटर जेट बनाने में कामयाब रहा है. तेजस फाइटर जेट (Tejas Fighter Jet) इसका उदाहरण है जो अब इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) में शामिल भी हो चुका है. साथ ही भारत अपना स्टेल्थ विमान एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) भी बना रहा है. सब ट्रैक पर रहा तो 2028 तक AMCA की पहली उड़ान देखने को मिल सकती है. लेकिन भारत के स्वदेशी फाइटर जेट प्रोग्राम में एक जगह ऐसी है, जहां गरारी अटक जाती है. वो है जेट का इंजन. भारत 'कावेरी' नाम का अपना जेट इंजन डेवलप कर रहा है. लेकिन इसकी पावर अभी उतनी नहीं पहुंच पाई है, जितना एक लड़ाकू विमान को उड़ाने के लिए चाहिए. लेकिन इसी बीच एक अपडेट आई है जिसके मुताबिक कावेरी इंजन (Kaveri Engine) के डेवलपमेंट में DRDO के एक बड़ी कामयाबी मिली है. DRDO ने कावेरी के ड्राई इंजन को एडवांस फुल अथॉरिटी डिजिटल इंजन कंट्रोल यानी A-FADEC से लैस कर दिया है. 

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कई बार किया गया टेस्ट सफल

कावेरी इंजन को A-FADEC के साथ कई बार, कई तरह की कंडीशंस में टेस्ट किया है. DRDO और गैस टर्बाइन रिसर्च डेवलपमेंट (GTRE) ने कावेरी के 52 किलोन्यूटन वाले वेरिएंट को A-FADEC के साथ लगभग 1300 घंटों तक टेस्ट किया है. इसमें इंजन को उन कंडीशंस में रखा गया जो असल उड़ान के समय सामने आते हैं. साथ ही इस इंजन को 75 घंटे तक बेंगलुरू के नेशनल हाई एल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में ऊंचाई पर उड़ान वाली कंडीशंस में भी टेस्ट किया गया है. IDRW के मुताबिक इसे 0.9 मैक की रफ्तार पर विंड टनल (एक कंट्रोल्ड चैंबर जिसमें तेज हवा की कंडीशन को सिमुलेट किया जाता है) ऊंचाई पर उड़ान के दौरान ऑक्सीजन की कमी, हवा का पतला होना जैसी समस्याएं आती हैं जिससे कई बार जेट का इंजन अचानक बंद हो जाता है. एयरफोर्स की भाषा में इसे 'Engine Flame Out' कहा जाता है. A-FADEC लगने से इंजन को इन सभी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी. GTRE ने इस टेस्ट फ्रांस की कंपनी Safran के साथ मिलकर पूरा किया है. Safran वही कंपनी है जो रफाल फाइटर जेट के इंजन बनाती है.

कैसे काम करता है A-FADEC?

FADEC एक ऐसा सिस्टम है जो फाइटर जेट के इंजन का ध्यान रखता है. ये एक कंप्यूटर से जुड़ा होता है जो जेट इंजन के शुरू होने से लेकर उसके हर पहलू को लगातार मॉनिटर करता रहता है. पायलट जो भी इनपुट देता है, वो एक तरह से इंजन को दिया हुआ कमांड होता है. A-FADEC लगने से ये पूरे कमांड आपस में एक साथ जुड़ जाते हैं.

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उदाहरण के लिए F-35 या रफाल के F4 वेरिएंट को ले लीजिए. इसमें एक फीचर है जिसे सेंसर फ्यूजन कहते हैं. इससे इसके सारे सिस्टम एक साथ जुड़ जाते हैं. एक कमांड देने पर कंप्यूटर ये भी देखता है कि उस कमांड का बाकी सिस्टम्स पर क्या असर पड़ेगा. कुछ यही काम A-FADEC भी करता है. A-FADEC सिस्टम में संभावित खराबियों का पहले ही पता लगा लेता है. इसके लिए ये सिस्टम इंजन में होने वाली हर हरकत जैसे उसके कंपन, तापमान और थर्मल पैटर्न को मॉनीटर करता रहता है. इस सिस्टम की वजह से न सिर्फ क्षमता बढ़ती है बल्कि ईंधन की खपत में भी कमी आती है.

AMCA के लिए रास्ता खुला

भारत बीते कई सालों से कावेरी इंजन पर काम कर रहा है. फिलहाल कावेरी के 52kn थ्रस्ट वाले वेरिएंट को A-FADEC से लैस किया जा रहा है. आने वाले समय में कावेरी की क्षमता में इजाफा होने की उम्मीद है. अगर ये प्लान कामयाब रहा तो AMCA में कावेरी का और अपग्रेडेड वेरिएंट लगेगा. और A-FADEC से लैस होने की वजह से यह विमान की क्षमता को और बेहतर कर देगा. साथ ही इंजन के लिए भारत की अमेरिका और रूस पर निर्भरता खत्म हो सकती है. क्योंकि अमेरिका ने तेजस का इंजन देने में जो देरी की है, उसका खामियाजा एयरफोर्स को जेट्स की कमी से चुकाना पड़ा है.

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