जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में ‘17 प्रदर्शनकारियों की पहचान जारी करते हुए नोटिस चिपकाने’ को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं (Jamia notice posters controversy). छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर उनकी निजता का उल्लंघन करने और उनके जीवन को ख़तरे में डालने का आरोप लगाया है. आरोप है कि ‘नोटिस’ में 17 छात्रों के नाम, उनकी तस्वीरें, पहचान पत्र, पते, फ़ोन नंबर, ईमेल और कोर्स के साथ-साथ वो किस ‘वामपंथी संगठन’ से जुड़े हैं, इसकी भी जानकारी शामिल है.
जामिया यूनिवर्सिटी में लगे प्रदर्शनकारी छात्रों के पोस्टर, फोन नंबर से लेकर पता सब लीक हो गया
Jamia students posters personal details: छात्रों का कहना है कि कैंपस में अलग-अलग जगहों पर उनकी निजी जानकारियों के साथ नोटिस लगाकर उन्हें ‘बदनाम और शर्मिंदा’ करने की कोशिश हो रही है. वो असुरक्षित और टारगेटेट महसूस कर रहे हैं.

छात्रों का कहना है कि कैंपस में अलग-अलग जगहों पर उनकी निजी जानकारियों के साथ नोटिस लगाकर उन्हें ‘बदनाम और शर्मिंदा’ करने की कोशिश हो रही है. इन छात्रों में से कई ने दावा किया कि उन्हें 12 फ़रवरी को चीफ़ प्रॉक्टर के ऑफ़िस से सस्पेंड किये जाने का लेटर भी मिला है.
मामला क्या है?छात्रों का आरोप है कि 14 फ़रवरी के दिन में यूनिवर्सिटी में एक नोटिस लगाया गया था. इसका शीर्षक था- ‘10.02.2025 को शाम 5 बजे सेंट्रल कैंटीन JMI में बिना किसी अनुमति के विरोध प्रदर्शन आयोजित करने वाले छात्रों की लिस्ट.’ बाद में जब इसे लेकर विरोध किया जाने लगा, तो कथित तौर पर नोटिस हटा लिया गया.
दरअसल, जिस प्रोेटेस्ट का ज़िक्र किया जा रहा है, वो 10 फ़रवरी से चल रहा था. इस प्रोटेस्ट का कारण दो PhD स्कॉलर्स के ख़िलाफ़ यूनिवर्सिटी की कथित कार्रवाई की प्रतिक्रिया बताई गई. इन PhD स्कॉलर्स पर आरोप था कि इन्होंने 16 दिसंबर को एक प्रदर्शन आयोजित किया था, बिना यूनिवर्सिटी प्रशासन की अनुमति के. ऐसे में इन छात्रों को सस्पेंड भी कर दिया गया था.
जामिया की एक छात्र अंजली ने द प्रिंट को बताया,
2019 में CAA विरोधी प्रदर्शनों के बाद से छात्र हर साल 15 दिसंबर को छात्रों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा के विरोध में इकट्ठा होते हैं. लेकिन इस साल छात्रों को बताया गया कि उस दिन रखरखाव के लिए यूनिवर्सिटी बंद रहेगी. इसलिए 16 दिसंबर को प्रदर्शन करने का फ़ैसला किया गया था. लेकिन इसके तुरंत बाद चार छात्रों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया. वहीं, नोटिस का जवाब देने पर उन्हें बताया गया कि उनका जवाब संतोषजनक नहीं था.
10 फ़रवरी से जो विरोध प्रदर्शन चल रहा था, उसमें 13 फ़रवरी को एक मोड़ आया. इन दिन 14 छात्रों को हिरासत में ले लिया गया था. आरोप था कि इन छात्रों ने ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया’ और ‘कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश’ की. हालांकि, बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ़ से भी इन प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की गई. द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, ‘अवैध विरोध प्रदर्शन’ में शामिल होने के आरोप में सात छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया.

बता दें, प्रदर्शनकारी छात्रों की पहचान जारी करते हुए 'नोटिस चिपकाने’ को लेकर कई सवाल उठ रहे थे. AIMIM पार्टी के दिल्ली प्रमुख, डॉ. शोएब जमई, राष्ट्रीय जनता दल, अमरोहा से कांग्रेस सांसद कुंवर दानिश अली, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी समेत कई लोगों ने इसका तीखा विरोध किया है. इन लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की आलोचना की है.
वहीं, कई छात्रों ने भी इसे लेकर विरोध जताया था. नाम ना छापने की शर्त पर एक छात्रा ने द हिंदू को बताया कि उसे सुबह से ही कई नंबरों से मैसेज मिल रहे थी. इससे वो असुरक्षित और टारगेटेट महसूस कर रही है. छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने छात्रों की जान को खतरे में डाला है. AISA ने पूछा कि अगर इन छात्रों पर हमला हुआ, तो कौन ज़िम्मेदार होगा?

बता दें, यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ़ से इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. साथ ही, अलग-अलग मीडिया संस्थानों ने सवालों का भी कोई जवाब नहीं आने की बात कही है. जैसे ही कोई रिएक्शन आता है, हम उसे अपडेट करेंगे.
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