पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड आंतकी मूसा को इंडियन आर्मा ने जॉइंट ऑपरेशन में मार गिराया है. ऑपरेशन महादेव नाम के इस जॉइंट ऑपेरशन में कुल तीन आतंकियों के मारे जाने की जानकारी सामने आई है. बता दें कि इंडियन आर्मी की 24 राष्ट्रीय राइफल्स (24 RR), 4 पैराशूट रेजिमेंट (4 para) के अलावा सीआरपीएफ (CRPF) और जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी (Jammu Kashmir Police SOG) ने इस ऑपरेशन में हिस्सा लिया.
पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड आतंकी मूसा ढेर, 'ऑपरेशन महादेव' में मारे गए तीन आतंकी
इस ऑपरेशन लश्कर के तीन पाकिस्तानी आतंकी सुलेमान, यासिर और हमजा मारे गए हैं. खास बात ये है कि इन तीनों में से एक आतंकी सुलेमान ऊर्फ मूसा (Suleiman aka Musa) पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था. साथ ही मूसा सोनमर्ग हमले का भी मास्टरमाइंड था.

22 अप्रैल को पहलगाम अटैक के दौरान एक चायनीज फोन का इस्तेमाल हुआ था, हमले के बाद से वो फोन 11 जुलाई तक बंद रहा. 11 जुलाई के दिन वो फोन फिर से एक्टिव हुआ, जॉइन्ट ऑपरेशन लॉन्च हुआ. फोन बंद हो गया. लेकिन एरिया आयडेंटिफ़ाई कर लिया गया था. फिर 26 जुलाई के दिन वो फोन फिर से चालू हुआ. 24 राष्ट्रीय रायफल्स, 4 पैरा एसएफ, जम्मू-कश्मीर SOG और CrPF ने ऑपरेशन महादेव लॉन्च किया. 28 जुलाई की सुबह टीम ने श्रीनगर से सटे डाचीगाम के जंगलों में आतंकवादियों को स्पॉट किया. 5 का ग्रुप था, उनमें से दो से तीन आराम कर रहे थे. इस ऑपरेशन लश्कर के तीन पाकिस्तानी आतंकी सुलेमान, यासिर और हमजा मारे गए हैं. खास बात ये है कि इन तीनों में से एक आतंकी सुलेमान ऊर्फ मूसा (Suleiman aka Musa) पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड था. साथ ही मूसा सोनमर्ग हमले का भी मास्टरमाइंड था.
संसद में चर्चा, कश्मीर में ऑपरेशनजिस समय संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होनी थी, उसी समय इंडियन आर्मी ने डाचीगम नेशनल पार्क के पास, डल झील से लगभग एक घंटे की दूरी पर स्थित लिडवास और माउंट महादेव के बीच आतंकियों को घेर लिया. आर्मी की श्रीनगर स्थित 15 कोर जिसे चिनार कोर (Chinar Corps) भी कहा जाता है, ने 12 बजकर 37 मिनट पर एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी कि ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) के तहत लिडवास (Lidwas) एरिया में सुरक्षाबलों और आतंकियों की मुठभेड़ शुरू हुई है. लगभग 2 बजे लिडवास में 3 आतंकियों के मारे जाने की खबर आई.
28 जुलाई को दोपहर 12 बजे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी थी. चर्चा तो हंगामे की भेंट चढ़ने की वजह से देर से शुरू हुई लेकिन फौज अपने काम में लगी थी. तीन आतंकियों को लिडवास के पास घेर लिया. इसके बाद इंडियन आर्मी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ टीम ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन शुरू किया. आतंकी सरेंडर करने के मूड में नहीं थे. लिहाजा फौज ने कॉर्डन (घेरा) डालकर हमला किया और तीनों आतंकियों को मार गिराया.

सेना ने एक्स पर पोस्ट कर जानकारी दी कि तीन आतंकी मारे गए हैं. लेकिन ऑपरेशन अब भी जारी है. जहां एनकाउंटर हुआ, वहां पर आतंकियों के पास से भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ है. बरामद हथियारों में AK-47, M4 कार्बाइन के साथ ग्रेनेड बरामद किया गया है. साथ ही जंगल में एक ऐसी जगह का भी पता चला है जहां ये आतंकी छिपकर रह रहे थे. सेना पूरे इलाके में सर्च और कॉम्बिंग कर रही है जिससे इनके बारे में और जानकारी मिल सके. साथ ही सेना ये भी सुनिश्चित कर रही है कि कहीं इनके कोई मददगार जंगल के अंदर न छिपे हों. सरेंडर किए हुए ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और मिलिट्री इंटेलिजेंस द्वारा मारे गए आतंकियों की पहचान की जा रही है.
भारतीय सेना की 7 कमांड्स में से एक है उत्तरी या Northern Command. इस कमांड के तहत सेना की 3 कोर आती हैं जिसे लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी लीड करते हैं. इसी के तहत श्रीनगर के मशहूर बादामी बाग में सेना की 15वीं कोर का मुख्यालय है जिसे 'चिनार कोर' भी कहा जाता है. इस कोर के अंतर्गत सेना की 19वीं माउंटेन डिवीजन, 28वीं इंफेंट्री डिवीजन आती है. साथ ही इसके अंतर्गत राष्ट्रीय राइफल्स की किलो फोर्स और विक्टर फोर्स भी आती है. घाटी में होने वाले सभी एंटी-टेररिस्ट ऑपरेशंस में राष्ट्रीय राइफल्स की भूमिका सबसे अहम होती है.
वीडियो: तारीख: 'आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम' राष्ट्रीय राइफल्स का इतिहास जान लीजिए