‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के बाद, अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान को लेकर तटस्थ होने का दावा किया. शुरुआत में उन्होंने मध्यस्थता में रुचि नहीं दिखाई, बल्कि कहा कि दोनों देशों को सीधी बातचीत करनी चाहिए. लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि आनन-फानन में अमेरिका ने ही सीजफायर (India Pakistan Ceasefire) की घोषणा की. मध्यस्थता का क्रेडिट लेने के लिए भी दावे पेश किए. कहा कि उनके नेताओं ने घंटों दोनों देशों से बातचीत की और फिर युद्ध विराम समझौते पर बात बनी.
वो अलर्ट जिसके बाद आसिम मुनीर ने डर कर अमेरिका को किया था फोन, फिर हुआ सीजफायर
How India-Pakistan Reached Agreement: 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई की. उनके कई एयरबेस को निशाना बनाया. इसके बाद पाकिस्तान के डिफेंस नेटवर्क में एक अलर्ट फ्लैश हुआ. ये ऐसा अलर्ट था जिसके बाद आसिम मुनीर को अमेरिका से संपर्क करने की आवश्यकता महसूस हुई.

हालांकि विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ये स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन' (DGMO) ने भारत में अपने समकक्ष को फोन किया था. दोनों के बीच सीधी बातचीत हुई और दोनों ओर से हमलों को रोकने पर बात बनी. लेकिन ये भी सच्चाई है कि दुनिया के सामने सबसे पहले ये बात अमेरिका ने रखी.
पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो की बातचीत अहम मानी गई. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े शुभाजीत रॉय लिखते हैं कि ये फोन कॉल सीजफायर की ओर पहला संकेत था. हालांकि मुनीर से बात करने से पहले, मार्को ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बात की थी. लेकिन फिर उन्हें वहां के आर्मी चीफ से बात करनी पड़ी.
रुबियो ने मुनीर से कहा कि वो दोनों देशों के बीच सुलह के लिए बातचीत कर सकते हैं. ये पहला मौका था जब अमेरिका और पाकिस्तानी आर्मी चीफ के बीच सीधा संपर्क हुआ. वही आर्मी चीफ जो भारत के खिलाफ आक्रमक कार्रवाइयों के केंद्र में हैं. वो मुनीर ही था जिसने हिंदू-मुसलमान और कश्मीर को लेकर भड़काऊ भाषण दिए. पहलगाम आतंकी हमले के पीछे मुनीर की बयानबाजी को जिम्मेदार माना गया. इस तरह कारगिल युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच सबसे ज्यादा तनाव पैदा हुए.
भारत-पाकिस्तान से अमेरिका की बातचीत का सिलसिला कुछ यूं रहा-
- 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद और 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पहले, 1 मई को मार्को और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच बात हुई.
- मार्को ने भारत-पाकिस्तान को साथ मिलकर तनाव कम करने के लिए कहा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा बनी रहे.
- इस बात को इस तरह से देखा गया कि दोनों देशों के बीच अब तनाव कम होंगे. या कम से कम तनाव बढ़ेगा नहीं.
- 7 मई को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सफल सैन्य कार्रवाई की. पाकिस्तान और Pok के आतंकी ठिकानों को चिन्हित किया गया. भारतीय सेना ने ऐसे नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.
- इसके तुरंत बाद भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजीत डोभाल ने मार्को को इसकी जानकारी दी.
- 8 मई को मार्को और एस जयशंकर की बात हुई. मार्को ने कहा कि दोनों देशों के बीच तत्काल तनाव को कम करने जरूरत है. उन्होंने दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत पर जोर दिया. साथ ही कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान आपस में बात करते हैं तो अमेरिका इस बातचीत को समर्थन देगा.
भारत ने ये स्पष्ट किया कि ये कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, ना कि पाकिस्तान के. सेना ने बहुत ही सटीक निशाना लगाया और उन्हीं जगहों पर मिसाइल दागे जहां से आतंकी साजिश रचे जाते थे. इसमें जैश, लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के ठिकाने शामिल हैं. लेकिन पाकिस्तान नहीं माना. उसने बौखलाहट में आकर भारत के सीमावर्ती इलाकों में हवाई हमले शुरू कर दिए. भारतीय सेना भी कायदे से जवाब देने लगी.
- इसके बाद हमले और जवाबी कार्रवाई का दौर चलता रहा.
- भारत की ओर से पाकिस्तानी सेना के ठिकानों को निशाना बनाया गया. जबकि पाकिस्तान भारत के नागरिको इलाकों में हमले कर रहा था.
- पाकिस्तान के 400 से ज्यादा ड्रोन्स को सेना ने मार गिराया.
NDTV से जुड़े शिव अरूर सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखते हैं,
- 10 मई की सबुह, पाकिस्तान ने श्रीनगर को निशाना बनाया.
- इसके बाद इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तानी एयरफोर्स के प्रमुख ठिकानों पर मिसाइलें दागीं. पाकिस्तान के कई एयरबेस को ब्रह्मोस मिसाइल से निशाना बनाया गया.
पाकिस्तान के रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन मिलिट्री ठिकानों पर हमला हुआ.
- इन हमलों के तुरंत बाद, भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता चला कि पाकिस्तान के डिफेंस नेटवर्क पर एक हाई अलर्ट मैसेज फ्लैश हुआ है. वो मैसेज ये था कि भारत का अगला निशाना पाकिस्तान का परमाणु कमांड और नियंत्रण ढांचा हो सकता है.
- पाकिस्तान में रणनीति बनाने के जिम्मेदार लोगों ने सिक्योरिटी प्रोटोकॉल बढ़ा दिए.
इसी बीच पाकिस्तानी आर्मी की ओर से एक और बयान आया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में नेशनल कमांड ऑथोरिटी की बैठक बुलाई गई है. ये ऑथोरिटी पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की देखरेख करती है. हालांकि कुछ घंटों के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने इस बात को खारिज कर दिया.
- यही वो वक्त था जब पाकिस्तान ने तत्काल हस्तक्षेप के लिए अमेरिका से संपर्क किया. क्योंकि उसे अपने न्यूक्लियर कमांड सेंटर पर भारत की ओर से कार्रवाई की चिंता सताने लगी थी.
- सरकारी सूत्रों के अनुसार, अमेरिका को पहले से इस बात की आशंका थी कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ सकते हैं. इसलिए अमेरिकी अधिकारी दोनों देशों से संपर्क बनाए हुए थे.
- लेकिन उस अलर्ट के कारण अमेरिका को तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत महसूस हुई.
- माना जा रहा है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को चेताया कि वो भारत से बातचीत के लिए आधिकारिक सैन्य हॉटलाइन स्थापित करे. आसान भाषा में उन्होंने पाकिस्तान को कहा कि भारत से सीधे बातचीत की जाए और मामला शांत किया जाए.
- 10 मई की दोपहरको पाकिस्तान के DGMO मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को सीधे फोन किया. भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से 3:35 बजे फोन किया गया.
इसी दौरान भारत में सरकारी सूत्रों के हवाले से एक और खबर चली. इस खबर के करीब दो घंटे बाद ही सीजफायर की घोषणा हुई. युद्ध विराम की घोषणा से ठीक पहले भारत ने पाकिस्तान के लिए चेतावनी की एक लाइन खींच दी. भारत ने कहा- अगली बार से किसी भी आतंकी हमले को भारत के खिलाफ ‘एक्ट ऑफ वार’ यानी कि युद्ध माना जाएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जब सोशल मीडिया पर सीजफायर की घोषणा की तो भारत ने इसकी पुष्टि की. भारतीय विदेश सचिव ने बहुत ही स्पष्टता के साथ जानकारी दी कि फोन पाकिस्तान की ओर से आया था. दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत हुई. उन्होंने किसी मध्यस्थता की कोई चर्चा नहीं की.
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सिलसिला यहीं नहीं रुका. सीजफायर की घोषणा के कुछ ही घंटो बाद पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया.
- 10 मई की रातको विदेश सचिव को फिर से मीडिया को संबोधित करना पड़ा. उन्होंने युद्ध विराम समझौते के उल्लंघन की पुष्टि की.
- कहा कि सेना को जवाबी कार्रवाई करने की पूरी छूट दी गई है. पाकिस्तान इस उल्लंघन की जिम्मेदारी ले और कार्रवाई करे. भारत इस उल्लंघन को गंभीरता से ले रहा है.
- इसके बाद से खबर लिखे जाने तक, तनाव बढ़ने या गंभीर हमले की कोई खबर नहीं आई है.
- 11 मई की सुबह, अमेरिकी प्रेसिडेंट ने क्रेडिट लेने का एक और दांव खेला. उन्होंने एक पोस्ट किया और लिखा,
मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है.
ट्रंप ने “मजबूत और अडिग नेतृत्व” पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि वो भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर भी गौर करेंगे. वो देखेंगे कि इसे सुलझाया जा सकता है या नहीं.
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