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सेना को मिली AK-203 राइफल की एक और खेप, 'शेर' की गरज से दहाड़ेंगे सेना के जवान

Indian Army को Modern Weapons से लैस करने का काम जारी है. इसी क्रम में सेना को 5 हजार AK-203 Assault Rifles की खेप डिलीवर की गई है. इन बंदूकों को यूपी के अमेठी स्थित Indo-Russian Rifles Private Limited फैक्ट्री में बनाया गया है.

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AK 203 असॉल्ट राइफल के साथ इंडियन आर्मी का एक जवान (PHOTO-Wikipedia)

इंडियन आर्मी (Indian Army) की ट्रेनिंग के दौरान जवान हो या अफसर, सभी को एक चीज सिखाई जाती है ‘चाहे कुछ भी हो जाए, कभी अपने हथियार को खुद से अलग मत करो, जंग के मैदान में तुम्हारी जान बचाने और दुश्मन की जान लेने का काम तुम्हारी राइफल ही करेगी’. इस कड़ी में इंडियन आर्मी को आधुनिक हथियारों से लैस करने का काम जारी है. इसी क्रम में सेना को 5 हजार और AK-203 असॉल्ट (AK-203 Assault Rifles) राइफल्स की खेप डिलीवर की गई है. इन बंदूकों को यूपी के अमेठी स्थित इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) फैक्ट्री में बनाया गया है. इस लेटेस्ट डिलीवरी के साथ ही इस फैक्ट्री ने आर्मी को अब तक कुल 53 हजार राइफल्स की डिलीवरी दी जा चुकी है.

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6 लाख AK-203 राइफल्स का है कुल ऑर्डर

अगस्त 2025 में अमेठी प्लांट में बनी इन राइफल्स का क्वालिटी चेक किया गया. इस क्वालिटी चेक को डायरेक्टरेट जनरल ऑफ क्वालिटी अश्योरेंस (DGQA) ने पूरा किया था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक क्वालिटी चेक के बाद ही बॉर्डर एरिया में तैनात सैनिकों के लिए इन राइफल्स को हरी झंडी दी गई. भारतीय सेना की ओर से इंडो-रशियन राइफल्स को कुल 6 लाख बंदूकों का ऑर्डर मिला है. इन 6 लाख बंदूकों को बनाने के लिए सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत अमेठी में प्लांट बनाया है. कुल 5200 करोड़ की लागत से बने इस प्लांट ने 15 अगस्त 2023 को अपनी पहली खेप इंडियन आर्मी को सौंपी थी. अभी तक इस राइफल का 50 प्रतिशत तक स्वदेशीकरण किया जा चुका है. यानी इसमें 50 प्रतिशत भारतीय हिस्सेदारी है, जबकि बाकी हिस्सा रूस का है. सरकार को उम्मीद है कि अक्टूबर 2025 तक इस राइफल का 70 प्रतिशत तक स्वदेशीकरण हो जाएगा. साथ ही दिसंबर 2025 तक राइफल का 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण पूरा होने की उम्मीद है. इसके बाद इस राइफल को 'शेर' के नाम से जाना जाएगा.

हर 100 सेकेंड में एक राइफल देगा अमेठी प्लांट

एक बार प्लांट पूरी क्षमता पर काम करने लगे, तो इसमें हर 100 सेकेंड में एक राइफल बनेगी. यानी महीने में 12 हजार और पूरे साल में लगभग 1 लाख 50 हजार राइफल का प्रोडक्शन किया जा सकेगा. ये पूरी कवायद इसलिए है ताकि सेना को एक हल्की और सटीक राइफल दी जा सके. साथ ही ये पुरानी हो रही इंसास (INSAS) राइफल्स की जगह लेगी जिसको लेकर सेना की ओर से कई बार शिकायतें आती रही हैं.

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हल्की, सटीक और घातक है AK-203

सेना जो राइफल इस्तेमाल करती है, उसकी क्या खासियत होनी चाहिए? हमने लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात इंडियन आर्मी के जवानों से बात की तो उन्होंने बताया कि राइफल उनका 'फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस' है. ऐसे में ये जरूरी है कि उनकी राइफल सटीक ढंग से वार करे. AK-203 एक ऐसा ही हथियार है जो हल्का और सटीक है. हमने AK-47 और उसकी विश्वसनीयता के कई किस्से सुने हैं. AK-203 उसी सीरीज की गन है. इसके कुछ फीचर्स को देखें तो 

  • वजन: बिना मैगजीन के 3.8 किलोग्राम 
  • फायर रेट: 700 राउंड प्रति मिनट 
  • कैलिबर (गोली): 7.62X39mm
  • रेंज: लगभग 800 मीटर 
  • बंदूक का प्रकार: गैस ऑपरेटेड (हर गोली चलने के बाद गैस की मदद से वापस रीलोड हो जाती है)
  • साइट: आयरन साइट के साथ स्कोप, लेजर और नाइट लाइट लगाने की सुविधा

इस नई गन के आने से इंडियन आर्मी की फायरपावर में निश्चित तौर पर इजाफा होगा. पुरानी इंसास राइफल के साथ लगातार शिकायतें सामने आ रही थीं कि ये हथियार खराब मौसम में जाम हो जा रहा है. साथ ही इसकी सटीकता भी उतनी नहीं है. ऐसे में ये राइफल्स सेना के लिए बूस्टर का काम करेंगी. साथ ही मेक इन इंडिया की वजह से ये गन रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

वीडियो: अमेठी आर्डिनेंस फैक्ट्री में बनने वाली Ak 203 राइफल का क्रेडिट किसे मिलना चाहिए?

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