भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने IAS अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे 1.63 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई है. पूरा मामला एक सरकारी बंगले से जुड़ा हुआ है, जो 2015 में उन्हें अलॉट हुआ था. नोटिस में दावा किया गया है कि मई 2022 से फरवरी 2025 तक उन्होंने इस बंगले पर ‘अनधिकृत’ कब्जा बनाए रखा, जबकि अप्रैल 2022 में ही उनसे यह बंगला खाली करने के लिए कह दिया गया था.
IAS दुर्गा शक्ति नागपाल विवादों में, सरकारी विभाग ने मांगा मोटा हर्जाना
नोटिस में दावा किया गया है कि मई 2022 से फरवरी 2025 तक IAS Durga Shakti Nagpal ने इस बंगले पर ‘अनधिकृत’ कब्जा बनाए रखा, जबकि अप्रैल 2022 में ही उनसे यह बंगला खाली करने के लिए कह दिया गया था.


दुर्गा शक्ति नागपाल, उत्तर प्रदेश कैडर की 2010 बैच की IAS अधिकारी हैं. मौजूदा समय में वे लखीमपुर खीरी की जिला मजिस्ट्रेट हैं. 19 मार्च, 2015 को उन्होंने तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के विशेष कार्य अधिकारी (OSD) के तौर पर कार्यभार संभाला. जिसके बाद उन्हें टाइप-6A कैटेगरी का बंगला अलॉट हुआ. 6,600 प्रति माह किराया और पानी का शुल्क देकर वे इस बंगले में रहने लगीं.
साल 2019 आया और कृषि मंत्रालय में उनकी नियुक्ति 7 मई को खत्म हो गई. लेकिन कॉमर्स मिनिस्ट्री में काम करते हुए और बाद में 2021 में अपने कैडर में लौटने के बाद भी उन्होंने इस बंगले पर अपना कब्जा बनाए रखा. इसके बाद, कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले IARI ने कब्जा वापस पाने के लिए कई बार उन्हें नोटिस जारी किया. आरोप है कि IAS नागपाल ने बंगला खाली नहीं किया.
IARI के रिकॉर्ड के मुताबिक, संस्थान 2020 से ही उनसे बंगला खाली करने की अपील कर रहा था. IAS नागपाल ने जनवरी 2022 तक विस्तार की मांग की. IARI सहमत हो गया और अप्रैल, 2022 तक बंगले में रहने की परमिशन दे दी. साथ ही यह शर्त भी रखी कि अगर उन्होंने अप्रैल के आखिर तक यह बंगला खाली नहीं किया, तो मार्केट रेट के हिसाब से उनसे 92 हजार प्रति माह का किराया लिया जाएगा, जो धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा.
समय बीतता गया. कई नोटिस भेजने के बाद, जब IAS नागपाल ने बंगला खाली नहीं किया, तब, IARI ने दिल्ली पुलिस की मदद ली और इस तरह IAS नागपाल को इस साल फरवरी में घर खाली करना पड़ा. 2 मई को IARI ने उन्हें एक नोटिस जारी किया, जिसमें मई 2022 से फरवरी 2025 तक के लिए ‘क्षति शुल्क’ (Damage Charges) के तौर पर 1.63 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई.
IAS नागपाल ने क्या बताया?IAS नागपाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने कृषि मंत्रालय से समय-सीमा बढ़ाने की अपील की थी, जिसकी अनुमति भी मिल गई है. आगे कहा,
मैंने किराया भी चुका दिया है और बाद में घर खाली भी कर दिया है. फिर भी, कागजी कार्रवाई में कुछ कमी के कारण, उन्होंने अतिरिक्त ‘दंडात्मक शुल्क’ जोड़ दिया है, जो काल्पनिक और गलत है. मैंने इसे माफ करने का अनुरोध किया है, जो प्रक्रियाधीन है. राज्य सरकार ने भी 26 जून (इस साल) को मंत्रालय को एक पत्र भेजकर छूट का अनुरोध किया है.
IAS नागपाल ने बताया कि उन्होंने अपने माता-पिता के खराब स्वास्थ्य के हवाला देते हुए सेवा विस्तार की मांग की थी. उन्होंने बताया कि उनके पिता की बाईपास सर्जरी और मां के घुटने के रिप्लेसमेंट की वजह से उन्हें घर खाली करने में देरी हुई. फिलहाल, मामला विचाराधीन है.
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कौन हैं IAS दुर्गा शक्ति नागपाल?IAS अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल अपने दबंग अंदाज और खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त एक्शन को लेकर जानी जाती हैं. उनका तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी सीधा टकराव हो चुका है. यह बात साल 2013 की है. उत्तर प्रदेश में तब समाजवादी पार्टी की सरकार थी और दुर्गा शक्ति नागपाल तब गौतमबुद्ध नगर (सदर) के SDM पर तैनात थी.
यह वह समय था, जब IAS नागपाल खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ा एक्शन ले रही थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 28 साल की तेज-तर्रार युवा महिला IAS अधिकारी ने यमुना नदी के खादर में रेत से भरी 300 ट्रॉलियों को अपने कब्जे में ले लिया था. उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना और हिंडन नदियों में खनन माफियाओं पर नजर रखने के लिये विशेष उड़न दस्तों का गठन किया और उनका नेतृत्व भी खुद संभाला. नाम सुर्खियों में आया तो बात यूपी की राजधानी और राजनीतिक गलियारों तक पहुंची.
इसी दौरान, उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने अवैध रूप से बनाई जा रही एक मस्जिद की दीवार को गिरा दिया, जिससे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव फैल जाने की आशंका थी. सपा सरकार IAS नागपाल को सस्पेंड कर दिया. तर्क दिया कि उनके इस कदम से साम्प्रदायिक सौहार्द खतरे में पड़ सकता था. इस फैसले के बाद अखिलेश सरकार पर विपक्ष हमलावर हो गया था. IAS एसोसिएशन ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री के इस कदम की आलोचना की.
आखिरकार, अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल से मुलाकात की थी. नागपाल ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात रखी और मामले की जानकारी दी. सन्तुष्ट होकर अखिलेश यादव ने उन्हें चन्द घण्टों बाद ही बहाल कर दिया. फिलहाल, IAS नागपाल, लखीमपुर खीरी की जिला मजिस्ट्रेट हैं.
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