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पूर्व IPS संजीव भट्ट को कोर्ट ने बरी किया, हिरासत में टॉर्चर मामले में निर्दोष पाए गए

IPS Sanjeev Bhatt: गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाने वाले पूर्व IPS संजीव भट्ट को कोर्ट ने एक मामले में राहत दी है. कहा, 'वो उस समय सार्वजनिक सेवा में थे. एक अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जो मंजूरी चाहिए थी, वह नहीं ली गई थी.' और क्या कहा कोर्ट ने?

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पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को कोर्ट ने 1997 हिरासत में टॉर्चर मामले में बरी कर दिया है. (फाइल फोटो-इंडिया टुडे)

गुजरात की एक अदालत ने 1997 के हिरासत में टॉर्चर मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को बरी कर दिया है. शनिवार, 7 दिसंबर को गुजरात के पोरबंदर जिले के कोर्ट ने कहा कि आरोपों को साबित करने के लिए संजीव भट्ट के खिलाफ कोई भी सबूत पेश नहीं किया जा सका, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है. 

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PTI की रिपोर्ट के मुताबिक एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मुकेश पंड्या ने संजीव भट्ट को बरी किया है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष संदेह से परे केस को साबित करने में विफल रहा है. ऐसा लगता है कि शिकायतकर्ता को अपराध स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया था. उसे खतरनाक हथियारों और धमकियों का इस्तेमाल कर आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया गया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि संजीव भट्ट उस समय सार्वजनिक सेवा में थे. एक अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जो मंजूरी चाहिए थी, वो भी नहीं ली गई थी.

इस मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को जिला अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साल 1990 में हिरासत के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. उन पर आरोप था कि उनके टॉर्चर के कारण उसकी मौत हुई. इस मामले में कोर्ट ने IPC 302 के तहत भट्ट को दोषी करार दिया था. इस केस में 8 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन्हें कोर्ट ने IPC की धारा 323 और 506 के तहत दोषी करार दिया था.

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साल 1990 में संजीव भट्ट जामनगर में एडिशनल सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस के पद पर तैनात थे. बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथयात्रा के वक्त जमजोधपुर इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान उन्होंने 150 लोगों को हिरासत में लिया था. इनमें से एक शख्स प्रभुदास वैष्णानी की कथित टॉर्चर के कारण मौत हो गई.

इसके बाद 1996 में दर्ज किए गए अन्य मामले में भी संजीव भट्ट को 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. ये मामला तब का है जब संजीव भट्ट बनासकांठा के एसपी थे. तब राजस्थान के एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को उन्होंने गिरफ्तार किया था. सुमेर को कथित रूप से 1.15 किलो ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था. हालांकि, संजीव भट्ट पर आरोप लगा कि उन्होंने राजपुरोहित को पकड़ने के लिए ड्रग्स रखने की साजिश रची थी. इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें सजा बोली गई. फिलहाल संजीव भट्ट राजकोट जेल में बंद हैं और अपनी सजा काट रहे हैं.

संजीव भट्ट अप्रैल 2011 में चर्चा में आए थे. उस समय उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने का आरोप लगाया था. इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दायर किया था.

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वीडियो: पूर्व IPS संजीव भट्ट ड्रग केस से जुड़े किस मामले में दोषी पाए गए?

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