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वोटर लिस्ट से नाम कैसे हटाए जाते हैं, जिसको लेकर AAP ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया है?

दिल्ली की सीएम आतिशी ने आरोप लगाया था कि BJP की शह पर वोटर लिस्ट से AAP समर्थकों के नाम काटे जा रहे हैं. AAP के इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने सफाई दी है.

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चुनाव आयोग ने वोटर्स लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी है. (फोटो - इंडिया टुडे)

साल 2025 की शुरुआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) होने हैं. चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी वोटर लिस्ट में कथित फर्जीवाड़े को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर है. AAP सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि BJP दिल्ली के अंदर पूर्वांचल (यूपी-बिहार) के लोगों का वोट कटवा रही है. संजय सिंह से पहले इस हफ्ते की शुरुआत में दिल्ली की सीएम आतिशी ने भी BJP पर ऐसे आरोप लगाए थे. आम आदमी पार्टी के लगाए इन आरोपों से BJP इनकार करती रही है. वहीं अब चुनाव आयोग ने इन आरोपों पर सफाई देते हुए पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी है.

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पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री के आरोपों को जान लेते हैं, फिर चुनाव आयोग का पक्ष जानेंगे. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस हफ्ते की शुरुआत में आतिशी ने BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सरकारी मशीनरी का ‘दुरुपयोग’ करके उन वोटर्स के नाम हटाने का आरोप लगाया जो AAP समर्थक हैं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 

“केंद्र सरकार दिल्ली के लोगों के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रच रही है. इसी साजिश के तहत 28 अक्तूबर को दिल्ली के 29 SDM-ADM का ट्रांसफर किया गया. और उसके बाद अधिकारियों को बड़े पैमाने पर वोट काटने के आदेश दिए गए. अब SDM ऑफिस से AEROs (सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) और BLO को आदेश दिए जा रहे हैं. उन्हें एक वोटर लिस्ट दी जा रही है, जिसमें आम आदमी पार्टी के वोटर्स के नाम हैं. और उन्हें वोटर लिस्ट से नाम कटवाने हैं.”

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कैसे हटाए जाते हैं वोटर लिस्ट से वोटर के नाम?

आम आदमी पार्टी के आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने वोटर्स लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी है. चुनाव आयोग के मुताबिक, 

अगर कोई वोटर स्थाई रूप से किसी विधानसभा को छोड़कर जा चुका है या उसकी मृत्यु हो गई है और उसका नाम वोटर लिस्ट में है तो उस विधानसभा क्षेत्र का कोई भी वोटर उस पर आपत्ति दर्ज करा सकता है. इसके लिए उसे फॉर्म-7 दाखिल करना होता है.

चुनाव आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार, फॉर्म-7 दाखिल करने पर रजिस्टर्ड मौत के मामलों को छोड़कर आपत्ति करने वाले और जिसके खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई गई है, दोनों को स्पीड पोस्ट के माध्यम से नोटिस जारी किया जाता है. और इन नोटिस का जवाब नहीं देने पर वोटर का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया  जाता है.

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चुनाव आयोग के मुताबिक, निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी नाम को हटाने से पहले निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करे. और यह सुनिश्चित करे कि संबंधित वोटर को जवाब देने का पर्याप्त अवसर दिया जाए.

वोटर्स से जुड़े डिटेल्स कैसे बदले जाते हैं?

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने बताया कि वोटर्स से जुड़ी जानकारियों में बदलाव के लिए सहायक दस्तावेजों के साथ फॉर्म-8 दाखिल करना होता है. वोटर्स से जुड़ी जानकारियों में आवास में परिवर्तन, खुद को दिव्यांग के रूप में चिह्नित करना या फिर वोटर लिस्ट में एक जगह से दूसरी जगह नाम जुड़वाना शामिल है.

इसके अलावा, चुनाव आयोग ने बताया कि कोई भी वोटर एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र में या किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में एक से ज्यादा बार नाम नहीं रख सकता है. यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा- 17 और 18 के तहत एक दंडनीय अपराध है.

चुनाव आयोग ने आगे बताया कि अगर किसी वोटर का नाम एक से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र में है, तो फॉर्म-7 का उपयोग करके उन्हें हटाने के लिए आवेदन करना जरूरी है. इससे निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को बल मिलता है.

70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं. जनवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में दिल्ली चुनाव की तारीखों का आधिकारिक एलान हो सकता है.

वीडियो: Supreme Court के पूर्व जज KM Joseph ने चुनाव आयोग को क्यों सुनाया?

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