प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ED के निदेशक राहुल नवीन (Rahul Navin) ने अपनी टीम के अधिकारियों से साफ कहा है कि वो और ज्यादा नए केस दर्ज करने की बजाय मौजूदा दर्ज मामलों की जांच पूरी करने पर ध्यान लगाएं. तेजी से कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करें और तब नए मामलों पर जाएं.
अपने ही दर्ज केसों के बोझ में दबी ED, राजनीतिक मामलों पर से फोकस हटाएगी?
ईडी ने अपनी कार्यप्रणाली बदलने की तैयारी कर ली है. एजेंसी के डायरेक्टर ने अपने अधिकारियों से कहा है कि वो नए मुकदमे दर्ज करना बंद करें और जो मुकदमे दाखिल हैं, उन पर तेजी से काम पूरा करें.


‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राहुल नवीन ने अधिकारियों से ये भी कहा है कि सिर्फ ‘राजनातिक मामलों’ पर समय और संसाधन खपाने की जरूरत नहीं है. उन्हें साइबर फ्रॉड, क्रिप्टो घोटाले और आतंकी फंडिंग जैसे अपराधों पर भी ध्यान देना चाहिए.
बताया जा रहा है कि ईडी अपनी छवि सुधारने के लिए कामकाज का तरीका बदलने की कोशिश कर रही है. एजेंसी पर अक्सर ये आरोप लगते हैं कि वह जो मामले दर्ज करती है, उसमें किसी तार्किक नतीजों तक पहुंचने में उसे सालों लग जाते हैं. ‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ (PMLA) के 20 साल के सफर में ED के सिर्फ 56 मामलों में ही ट्रायल यानी मुकदमा पूरा हो पाया है.
ये बात सही है कि पेंडिंग ट्रायल और धीमी जांच ED की सबसे बड़ी कमियों में से एक है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2005 में PMLA लागू होने के बाद से नवंबर 2025 तक ED ने 8 हजार 327 मामले दर्ज किए. 1.85 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अटैच की और 1100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया. लेकिन इनमें से सिर्फ 1 हजार 927 मामलों में ही जांच पूरी कर अभियोजन शिकायत दाखिल की गई. यानी 25 प्रतिशत से भी कम.
अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaints) वो चार्जशीट होती है, जो कोई एजेंसी किसी मामले में जांच पूरी होने के बाद सबूतों के साथ उस मामले को कोर्ट में पेश करती है.
ट्रायल का रिकॉर्ड और खराबED के ट्रायल का रिकॉर्ड तो और भी खराब है. किसी भी मामले की जांच खत्म होने के बाद कोर्ट में जो उसकी सुनवाई होती है, उसे ही ट्रायल कहा जाता है. एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक सिर्फ 56 मामलों में ही ED का ट्रायल पूरा हुआ है. यानी सिर्फ 56 मामलों में कोर्ट के फैसले आए हैं. इनमें से 53 मामलों में दोषी को सजा हुई है. आंकड़ें बताते हैं कि ED के दर्ज किए केवल 386 मामलों में ही अब तक आरोप तय हो पाए हैं.
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ED का Conviction Rate (दोषसिद्धि दर) तकरीबन 95 प्रतिशत है, जो ज्यादातर केंद्रीय एजेंसियों से काफी बेहतर है. CBI की का Conviction Rate जहां करीब 70 प्रतिशत है. वहीं, NIA के तकरीबन 94 प्रतिशत केसों में कन्विक्शन साबित हुआ है.
ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि पेंडिंग केस एजेंसी और आरोपियों दोनों के लिए मुसीबतें खड़ी करते हैं. इसकी वजह से एजेंसी की आलोचना भी होती है. उनका कहना है कि मुकदमे एजेंसी के हाथ में नहीं हैं, लेकिन जो चीजें उनके हाथ में हैं, उन पर तेजी से काम होना चाहिए. जैसे- केस की जांच तेजी से निपटाए जा सकते हैं. प्रॉसीक्यूशन कम्प्लेंट यानी चार्जशीट फाइल करने की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है. इन्हीं सबको लेकर अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वो जांच में तेजी लाएं. मामलों पर कोर्ट से फॉलोअप लेते रहें ताकि ट्रायल जल्द से जल्द पूरा हो सके.
अधिकारियों के मुताबिक, ईडी के डायरेक्टर ने इस साल (2025-26 में) 500 चार्जशीट दाखिल करने का लक्ष्य रखा है. नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत से अब तक एजेंसी ने 188 Prosecution Complaints यानी चार्जशीट दाखिल भी कर दिए हैं. पिछले रिकॉर्ड के हिसाब से यह रेट काफी अच्छा माना जा रहा है.
इसी ईडी ने साल 2012-13 में सिर्फ 12 अभियोजन शिकायतें दाखिल की थीं. हालांकि, पिछले साल ये संख्या 333 तक पहुंच गई थी. 2021-22 में 128, 2022-23 में 172 और 2023-24 में 281 अभियोजन शिकायतें ED ने दाखिल की थीं. इस तेजी का असर भी दिखा है. क्योंकि इस दौरान ED की ओर से दर्ज कई मामलों में जांच पूरी करने की रफ्तार बढ़ी है.
एजेंसी अब मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिए और ज्यादा स्पेशल कोर्ट बनाने के लिए न्यायपालिका के साथ भी बातचीत कर रही है.
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