राजस्थान के धौलपुर ज़िले में सिलिकोसिस बीमारी के नाम पर घोटाले की ख़बर है (Rajasthan Silicosis Disease Scam). जनवरी से मार्च 2025 तक इस बीमारी के 109 केस रजिस्टर किए गए. अधिकारियों का कहना है कि जब इसकी जांच की गई, तो 106 केस फ़र्ज़ी पाए गए. स्वास्थ्य विभाग ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है.
सिलिकोसिस के 106 फर्जी मरीज पाए गए, पकड़े न गए होते तो राजस्थान सरकार को लगती 5.30 करोड़ की चपत
Dholpur Silicosis Disease Scam: धौलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. धर्म सिंह मीणा ने बताया कि इलाक़े में इस बीमारी के कम ही मामले आते हैं. लेकिन बीते दिनों मामलों की संख्या अचानक बढ़ गई. हर दिन 25 से 30 मामले आने लगे. इससे शक पैदा हुआ और जांच की गई.

प्रकृति में एक तरह का कण होता है, सिलिका. खनन करने, सुरंग खोदने या धातुओं से जुड़े काम करने पर ये शरीर में सांस के ज़रिए अंदर चले जाते हैं. इसी से सिलिकोसिस नाम की ये बीमारी होती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है. ये आमतौर पर पत्थर के खदानों में काम करने वाले मजदूरों को होती है.
धौलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. धर्म सिंह मीणा ने बताया कि इलाक़े में इस बीमारी के कम ही मामले आते हैं. लेकिन बीते दिनों मामलों की संख्या अचानक बढ़ गई. हर दिन 25 से 30 मामले आने लगे. इससे शक पैदा हुआ और जांच की गई.
CMHO धर्म सिंह मीणा के मुताबिक़, जांच के दौरान पता चला कि ज़्यादातर मरीजों के 'एक्स-रे बाहर से' कराए गए थे. जबकि उनके OPD नंबर ज़िला अस्पताल के ही थे. इसके बाद रेडियोग्राफर ने OPD नंबरों को एक्स-रे से जोड़कर ‘ग़लत तरीक़े से बीमारी बता दिया’. अन्य तरह कीं जांच भी अस्पताल के बाहर की कराई जा रही थी.
इस पूरे मामले की जांच के बाद 106 मरीज फ़र्ज़ी पाए गए. इन मरीजों के ख़िलाफ़ कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया है. मामले की जानकारी ज़िला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को भी दी गई है. इसके अलावा, CMHO धर्म सिंह मीणा ने जांच रिपोर्ट बनाकर राजस्थान स्वास्थ्य विभाग को भी भेजी है.
आजतक से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़, इस घोटाले में ज़िला अस्पताल के रेडियोग्राफर और कुछ डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध बताई गई. वहीं, कुछ अन्य कर्मचारियों के भी संलिप्त होने का शक है. मामला गंभीर है, ऐसे में पुलिस इसकी डिटेल में जांच कर रही है.
राजस्थान सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक़, मजदूर एक रजिस्ट्रेशन कराता है, जिससे इस बीमारी की जांच हो. फिर उसका सरकारी हॉस्पिटल में एक्स-रे और अन्य जांचें होती हैं. उसके बाद इस बीमारी का सर्टिफिकेट बनता है.
इस सर्टिफिकेट के आधार पर सिलिकोसिस मरीज को डेढ़ हज़ार रुपये मासिक पेंशन और पांच लाख रुपये आर्थिक मदद दी जाती है. इन पांच लाख रुपयों में से तीन लाख रुपये दो किश्तों में मरीज के खाते में पहुंचते हैं. और अगर मरीज की मौत हो जाए, तो दो लाख रुपये उसके परिवार को मिलता है. इसके अलावा भी सिलिकोसिस मरीज को दवा और अन्य सुविधाएं निशुल्क दी जाती है.
यानी अगर इन 106 मरीजों का सर्टिफिकेट बनता, तो राजस्थान सरकार को क़रीब 5.30 करोड़ रुपये की चपत लग जाती. पूरे धौलपुर ज़िले में सिलिकोसिस मरीजों का वेरिफिकेशन कराया जा रहा है.
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