एक बड़े से ट्रक पर बने 'पिंजरे' में तीन पुतले लगे हैं. एक पीएम नरेंद्र मोदी का, दूसरा गृह मंत्री अमित शाह का और तीसरा विदेश मंत्री एस जयशंकर का. यह कनाडा की सड़कों पर खालिस्तानी समर्थकों की ओर से निकाली गई परेड का सीन है. इस परेड में एलान किया गया कि कनाडा से 8 लाख हिंदुओं को तुरंत वापस भारत भेजा जाए. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के टोरंटो के माल्टन गुरुद्वारे में यह 'हिंदू विरोधी' परेड आयोजित की गई जिसका वीडियो वायरल हो रहा है.
पिंजरे में 'PM मोदी', 'अमित शाह' और 'एस जयशंकर', खालिस्तानियों की 'हिंदू विरोधी' परेड डराने वाली
कनाडा की सड़कों पर हिंदू विरोधी परेड का एक वीडियो सामने आया है. इसमें खालिस्तानी समर्थक कनाडा के हिंदुओं को वापस भारत भेजने की मांग कर रहे हैं.
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कनाडा में हाल ही में चुनाव हुए हैं. लिबरल पार्टी के मार्क कार्नी को सत्ता मिली है. इससे कुछ दिन पहले ब्रिटिश कोलंबिया राज्य के एक मंदिर और एक गुरुद्वारे में तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी. सुबह 3 बजे सरे शहर में बने लक्ष्मी नारायण मंदिर और वैंकूवर के रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे पर ये अटैक किए गए थे. इसके बाद खालिस्तान समर्थकों ने ये हिंदू विरोधी परेड निकाली.
कनाडा में एक हिंदू समुदाय के नेता ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. शॉन बिंदा ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा,
कनाडा का सबसे घातक हमला“यह भारत सरकार के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं है. यह खालिस्तानी आतंकवादी समूह की ओर से हिंदू विरोधी नफरत है, जो कनाडा में सबसे घातक हमले के लिए कुख्यात है. फिर भी यहां अहंकारपूर्वक रहने के अधिकार का दावा कर रहा है.”
कनाडा के सबसे घातक हमले का मतलब शायद 1985 में एयर इंडिया के 'कनिष्क' विमान बम विस्फोट से है. इस हमले में 329 लोग मारे गए थे. यह विमान मॉन्ट्रियल से बॉम्बे जा रहा था, जब खालिस्तानी अलगाववादियों ने इस पर हमला किया था. 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बदले के तौर पर ये हमला किया गया था. 9/11 के अमेरिकी हमले से पहले इसे दुनिया का सबसे बड़ा चरमपंथी हमला माना जाता था. इसमें बड़ी मात्रा में भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों की मौत हुई थी.
इस हिंदू विरोधी परेड को लेकर कनाडा के पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने पोस्ट किया. उन्होंने सवाल किया कि क्या मार्क कार्नी का कनाडा खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ़ कार्रवाई करने में जस्टिन ट्रूडो के कनाडा से अलग होगा? उन्होंने आगे लिखा,
"हमारी सड़कों पर उत्पात मचाने वाले ‘जिहादियों’ ने सामाजिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुंचाया है. वे किसी भी यहूदी को धमका रहे हैं लेकिन खालिस्तानी सबसे घृणित सामाजिक खतरे के रूप में उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं जिन्हें विदेशी फंड प्राप्त है."

वहीं अमेरिका के हिंदुओं के एक गठबंधन ने इसे शर्मनाक दिन बताया है. उन्होंने कहा कि दुनिया ने पहले भी ऐसी नफरत का नमूना देखा है. ऐसे में सतर्क रहने की जरूरत है. बता दें कि कनाडा के सरे में पिछले महीने सालाना खालसा दिवस वैसाखी परेड में भी खालिस्तान के झंडे और भारत विरोधी दृश्य देखे गए थे.
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