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BMC की करोड़ों की इन्फेक्शन रोकने वाली चटाइयां डॉक्टरों को समझ क्यों नहीं आ रहीं?

BMC ने चार Medical college and Hospitals के लिए 4 करोड़ 27 लाख की लागत से 43 हजार ‘एंटी इंफेक्टिव बेड कवर मैट’ की खरीददारी की है.

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BMC ने एंटी इंफेक्टिव बेड कवर मैट के लिए 4 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्चे हैं. (इंडिया टुडे)

बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC)  ने अपने अस्पतालों के लिए करोड़ो की चटाइयों (Anti Infective Bed Cover Mats) की खरीददारी की है. दावा है कि ये चटाइयां इंफेक्शन फैलाने वाले कीटाणुओं को पनपने से रोकेंगी. लेकिन हैरानी की बात है कि इस चटाई के बारे में कई इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को भी नहीं पता. 

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस चटाई का नाम है, ‘एंटी इंफेक्टिव बेड कवर मैट.’ BMC ने चार मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल्स के लिए 4 करोड़ 27 लाख की लागत से 43 हजार ‘एंटी इंफेक्टिव बेड कवर मैट’ की खरीददारी की है. इन चटाइयों की सप्लाई का जिम्मा वीर हाउसिंग प्रोजेक्ट्स LLP नाम की एक रियल एस्टेट फर्म के जिम्मे है. 

वहीं इसकी खरीददारी उत्तराखंड बेस्ड पायनियर पॉलीलेदर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से की गई है. कंपनी के प्रतिनिधियों ने बताया कि वे महाराष्ट्र में इस प्रोडक्ट के अधिकृत सप्लायर हैं. और उन्होंने इसके पहले भी राज्य के कुछ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को इसकी सप्लाई की है.

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सप्लायर का दावा है कि ये चटाई रोग फैलाने वाले कीटाणुओं को पनपने से रोकने वाला, वाटरप्रूफ और गंधहीन है. उनके मुताबिक एक चटाई का इस्तेमाल लगभग एक सप्ताह तक किया जा सकता है. और इसका असर दस धुलाई तक रहता है.

सप्लायर लैब में किए गए जांच के आधार पर ये दावे कर रहे हैं. ये लैब टेस्ट BMC द्वारा टेंडर जारी किए जाने के पहले हुए थे. लेकिन किसी भी हॉस्पिटल में इस चटाई का क्लिकल ट्रायल नहीं हुआ है. न ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) या फिर सरकारी गाइडलाइंस के मुताबिक इसका क्लिकल ट्रायल हुआ है.

सप्लायर्स ने बताया कि BMC ने एक बार रैंडम सैंपलिंग मेथड से इन चटाइयों का टेस्ट किया था, जिसमें उनका प्रोडक्ट सफल रहा. उन्होंने आगे बताया कि सप्लायर के तौर पर उनकी ओर से सभी नियमों और प्रक्रियाओं का पालन किया है.

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महाराष्ट्र सरकार के एक अस्पताल में काम करने वाले माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने बताया कि कंपनियां किसी भी प्रोडक्ट के लैब रिपोर्ट के आधार पर उनका ट्रायल किसी हॉस्पिटल सेटअप में करती हैं. अगर ऐसे ट्रायल व्यापक तौर पर उपलब्ध नहीं है फिर इसे एक कंपनी का दावा भर माना जाएगा. 

प्राइवेट हॉस्पिटल में काम करने वाले कुछ डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने ऐसे किसी मैट के बारे में सुना भी नहीं है. सप्लायर्स का तर्क है कि ये प्रोडक्ट फिलहाल राज्य के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में ही उपलब्ध है, इसलिए प्राइवेट डॉक्टर्स को इसकी जानकारी नहीं होगी.

संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. मंदार कुंबल ने बताया कि यह प्रोडक्ट घरेलू उपयोग के लिए बिकने वाले प्रोडक्ट जैसा ही है. उन्होंने बताया, इसमें तांबा या जस्ता मिलाया गया है ताकि यह एंटी बैक्टीरियल हो, लेकिन इस बात को साबित करने के लिए कोई मजबूत क्लिनिकल स्टडी नहीं है. 

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