गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्यूरो (BPR&D) को एक काम सौंपा है. उन्होंने कहा है कि देश में आज़ादी के बाद हुए सभी आंदोलनों का अध्ययन किया जाए, खासकर 1974 के बाद वाले. इस स्टडी में देखा जाएगा कि इन आंदोलनों के पीछे क्या कारण रहे, कितना पैसा लगा, नतीजा क्या निकला और आंदोलन के पीछे कौन लोग थे.
'निहित स्वार्थ' वाले आंदोलन नहीं होने देगी सरकार? अमित शाह का पुलिस को बड़ा आदेश
गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि इस स्टडी के बाद एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तैयार किया जाए. ताकि आगे आने वाले वक्त में 'कुछ खास हितों के लिए कराए जाने वाले बड़े आंदोलनों' को रोका जा सके.
.webp?width=360)

इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमित शाह का कहना है कि इस स्टडी के बाद एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तैयार किया जाए. ताकि आगे आने वाले वक्त में 'कुछ खास हितों के लिए कराए जाने वाले बड़े आंदोलनों' को रोका जा सके.
रिपोर्ट के मुतबिक, गृह मंत्री ने इसी साल जुलाई के आखिरी हफ्ते में दिल्ली में हुई दो दिन की ‘नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रेटेजीज कॉन्फ्रेंस-2025’ में ये निर्देश दिए थे. अमित शाह के आदेश के बाद गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (यानी BPRD) एक टीम बना रही है. ये टीम राज्य पुलिस से मिलकर पुरानी केस फाइलें और CID की रिपोर्ट जुटाएगी.
रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ आंदोलन नहीं, अमित शाह ने कहा है कि इन आंदोलनों में लगे पैसों की भी अच्छे से जांच की जाए. इसके लिए ED (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट), FIU-IND (फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) और CBDT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) जैसी एजेंसियां भी जोड़ी जाएंगी.
टेरर फंडिंग पर भी फोकसबकौल इंडियन एक्स्प्रेस, इन एजेंसियों को कहा गया है कि वे आतंकी फंडिंग नेटवर्क पर भी काम करें. फाइनेंशियल डेटा खंगालकर ये पता लगाया जाए कि अज्ञात आतंकी नेटवर्क और उनके लिंक कैसे काम कर रहे हैं. साथ ही, अमित शाह ने यह भी कहा है कि BPRD राज्यों की पुलिस से मिलकर धार्मिक आयोजनों और भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों की भी स्टडी करे. ताकि भगदड़ जैसी घटनाओं की वजह समझी जा सके और इन्हें रोकने के लिए एक SOP तैयार हो.
पंजाब को लेकर अलग प्लानअखबार ने सूत्रों के हवाला से लिखा कि गृह मंत्री अमित शाह ने NIA, BSF और NCB को पंजाब से जुड़े मामलों पर खास ध्यान देने को कहा है. इसमें खालिस्तानी उग्रवाद और आम आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए अलग-अलग तरीकों पर काम होगा.
NIA को भी निर्देश दिया गया है कि वो एक ‘आउट-ऑफ-द-बॉक्स’ प्लान बनाए. ताकि जेलों में बैठे अपराधी जो बाहर नेटवर्क चला रहे हैं, उनकी गतिविधियों को रोका जा सके. इसके लिए अपराधियों को एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने जैसी रणनीति पर भी विचार किया जाए.
वीडियो: महुआ मोइत्रा की अमित शाह पर टिप्पणी से विवाद, BJP ने पुलिस में दर्ज कराई FIR